रायपुर:  छत्तीसगढ़ में कर चोरी के मामले में आयकर विभाग ने जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज प्रोजेक्ट्स (जेएईएस) पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 32 करोड़ रुपये की कर चोरी का पर्दाफाश किया है। यह कार्रवाई विभाग की असेसमेंट विंग द्वारा बुधवार दोपहर से शुरू होकर गुरुवार देर रात तक चली। 

जांच के दौरान फर्जी बिलिंग, जाली खर्च और कर देनदारी को कृत्रिम रूप से कम करने जैसे गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ। यह साजिश सरकार से धोखाधड़ी कर रिफंड प्राप्त करने के उद्देश्य से रची गई थी। आयकर विभाग ने इसे ‘हाई रिफंड’ मामला घोषित किया है, जो कर कानूनों की खामियों का दुरुपयोग कर अनुचित लाभ उठाने की कोशिश को दर्शाता है। जेएईएस निदेशक धर्मेंद्र सिंह, जोगेंद्र सिंह और अमरेंद्र सिंह ने गहन पूछताछ के बाद 32 करोड़ रुपये की कर चोरी स्वीकार की। इसके परिणामस्वरूप उन पर 10.75 करोड़ रुपये का अग्रिम कर लगाया गया, जबकि 25 लाख रुपये का अतिरिक्त जुर्माना अब भी बकाया है। कुल मिलाकर, कंपनी पर 11 करोड़ रुपये का कर देय है। 

जांच में जेएईएस निदेशकों के अधीन कई डमी कंपनियां भी सामने आईं, जिनमें मां मदवारानी कोल बेनेफिशिएशन प्रा. लि., फेसिक फोर्जिंग प्रा. लि., किंग रिसोर्सेज प्रा. लि., और अन्य शामिल हैं। हालांकि, इन कंपनियों का उपयोग कर चोरी के लिए नहीं किया गया था। दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर इनकी आगे जांच की जाएगी। इस कार्रवाई में आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 133(A)(1) के तहत 26 सदस्यीय टीम ने हिस्सा लिया, जिसमें मुख्य आयकर आयुक्त अपर्णा करन और प्रधान आयकर आयुक्त प्रदीप हेडाउ की निगरानी में संयुक्त आयकर आयुक्त बीरेंद्र कुमार और उप आयकर आयुक्त राहुल मिश्रा ने नेतृत्व किया। 

आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि कॉर्पोरेट कर चोरी के मामलों पर कड़ी निगरानी जारी रहेगी। यह कार्रवाई उन कंपनियों के लिए चेतावनी है, जो अवैध तरीकों से कर बचाने की कोशिश कर रही हैं। विभाग ने कहा कि जेएईएस मामला भविष्य में कानूनी कार्रवाई और पुनर्मूल्यांकन का आधार बनेगा।  आयकर विभाग की यह सख्ती देशभर में कर चोरी रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो कर कानूनों के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने में मददगार साबित होगी। 

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