रायपुर: भारत की आजादी की लड़ाई सिर्फ एक देश को विदेशी साम्राज्य से मुक्त कराने की लड़ाई नहीं थी बल्कि इसके अनेक सामाजिक, आर्थिक, नैतिक और राजनैतिक पहलू थे। इस लड़ाई से न्याय और लोकतंत्र का अमृत निकला। वास्तव में यह मानवता को तरह-तरह के अत्याचारों और अन्यायों से मुक्त कराने की बड़ी लड़ाई थी, जिसका संदेश पूरी दुनिया में गया।
आजादी की लड़ाई में लाखों लोगों ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी। इसमें छत्तीसगढ़ का नाम अग्रिम पंक्ति में दर्ज कराने वाले अमर शहीद गैंदसिंह, शहीद वीर नारायण सिंह जैसे महान सपूतों का पावन स्मरण करते हुए मैं सभी अमर शहीदों को नमन करता हूं। मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां, रानी लक्ष्मीबाई, रानी अवंतिबाई लोधी जैसी हजारों विभूतियों की शहादत हमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान की प्रेरणा देती रहेगी।
हमारा सौभाग्य है कि आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वाले अनेक महान नेता आजाद देश के नवनिर्माण का नेतृत्व भी करते रहे। मैं उन पुरखों की याद करते हुए नई पीढ़ी को बलिदान और योगदान की गौरवशाली विरासत से जोड़ना चाहता हूं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, लाल बहादुर शास्त्री, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल-बाल-पाल, मौलाना अबुुल कलाम आजाद जैसी विभूतियों ने राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व दिया था।
वहीं वीर गुण्डाधूर, पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव, डॉ. खूबचंद बघेल, पं. सुंदरलाल शर्मा, डॉ. ई.राघवेन्द्र राव, क्रांतिकुमार, बैरिस्टर छेदीलाल, लोचन प्रसाद पाण्डेय, यतियतन लाल, डॉ. राधाबाई, पं. वामनराव लाखे, महंत लक्ष्मीनारायण दास, अनंतराम बर्छिहा, मौलाना अब्दुल रऊफ खान, हनुमान सिंह, रोहिणीबाई परगनिहा, केकतीबाई बघेल, बेलाबाई, इंदरू केंवट, उदय राम वर्मा, खिलावन बघेल, घसिया मंडल जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान भी स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। मैं इन सभी को सादर नमन करता हूं।
देश की आजादी और संविधान प्रदत्त अधिकार सबके लिए हैं और जब तक सब भारतवासी उनका समुचित उपयोग कर पाएंगे, तभी तक हमारी आजादी सुरक्षित रह पाएगी। प्रत्येक राज्य को और देश के प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाकर ही देश को मजबूत बनाया जा सकता है। यही कारण है कि हमने छत्तीसगढ़ में हर व्यक्ति और हर वर्ग को न्याय दिलाने का संकल्प लिया।
आज मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमारी न्याय योजनाओं का प्रत्यक्ष असर हो रहा है। हमारी न्याय योजनाएं प्यार की गंगा बहा रही हैं और दिलों को जोड़ रही हैं। किसान, ग्रामीण, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग, महिला, युवा, बच्चे आदि सभी का जीवन सरल बनाने, इनकी जरूरतों को पूरा करते हुए तरक्की के रास्ते पर आगे ले जाने के लिए हमने बड़े-बड़े निर्णय लिए हैं।
हमने किसानों से किया हुआ वादा कैसे निभाया, यह बात सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि पूरा प्रदेश और देश जानता है। सरकार बनते ही सबसे पहले लगभग 9 हजार करोड़ रुपए का अल्पकालिक कृषि ऋण माफ किया। 2500 रुपए प्रति क्विंटल में धान खरीदा। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की मात्रा लगभग 56 लाख मीटरिक टन से बढ़ाकर 107 लाख मीटरिक टन किया। यह कुशल प्रबंधन और हमारी सरकार के प्रति बढ़े विश्वास के कारण हुआ। धान बेचने वाले किसानों की संख्या 12 लाख 60 हजार से बढ़कर करीब 25 लाख हो गई। धान खरीदी केन्द्रों की संख्या 1 हजार 989 से बढ़ाकर 2 हजार 617 किया। हम अपने वादे पर अडिग हैं कि आगामी खरीफ मौसम में छत्तीसगढ़ के किसान भाई-बहनों से प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। किसानों को ब्याजमुक्त ऋण देने के लिए प्राथमिक कृषि साख समिति की संख्या 1 हजार 333 से बढ़ाकर 2 हजार 58 किया। कृषि ऋण की राशि 3 हजार 546 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 7 हजार करोड़ रुपए की गई। किसानों की बकाया सिंचाई कर की 342 करोड़ रुपए की राशि माफ की गई।
‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के माध्यम से धान के साथ ही अन्य खाद्यान्न, मिलेट, उद्यानिकी, वृक्षारोपण आदि के लिए नगद राशि दी गई, जिससे किसानों के खाते में 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि डाली गई। गन्ना प्रोत्साहन राशि के रूप में 208 करोड़ रुपए दिए गए। हमारी सरकार द्वारा समर्थन मूल्य घोषित करते हुए कोदो, कुटकी और रागी की खरीदी की जा रही है। प्रदेश में पहली बार लगभग 94 हजार क्विंटल मिलेट फसलों का उपार्जन हमने किया है। समर्थन मूल्य पर दलहन खरीदी का वादा भी पूरा किया गया है, जिससे प्रदेश में दलहन उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
हमारी सरकार ने नई तरह की खेती और फसलों को बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। लाख पालन और मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया गया है। ‘छत्तीसगढ़ टी-कॉफी बोर्ड’ का गठन करते हुए जशपुर जिले में 102 एकड़ में चाय और बस्तर जिले में 80 एकड़ में कॉफी का रोपण किया गया है। पोषणबाड़ी योजना के तहत 4 लाख बाड़ियां विकसित की गई हैं। छुईखदान में ‘पान अनुसंधान केन्द्र’ की स्थापना की गई है।
किसानों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए 587 कृषक सदन तथा किसान कुटीर, धमधा में फल-सब्जी मंडी, जगदलपुर, कांकेर तथा धमतरी में सामुदायिक बीज बैंक, कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में उच्च स्तरीय फाईटोसेनेटरी प्रयोगशाला की स्थापना की गई है। खेतों में ज्ञान की फसल रोपने के लिए 6 नवीन कृषि महाविद्यालय, 11 उद्यानिकी महाविद्यालय, एक वानिकी महाविद्यालय एवं एक खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, इस प्रकार कुल 19 नवीन महाविद्यालयों और महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है।
हमने वादा निभाते हुए जल संसाधन विकास नीति 2022 लागू की। बेहतर सिंचाई प्रबंधन के कारण वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2022-23 में 2 लाख 50 हजार हेक्टेयर में अतिरिक्त खरीफ सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई। विगत 4 वर्षों में सिंचाई परियोजनाओं के 1 हजार 36 कार्य स्वीकृत हुए हैं, जिसके लिए 4 हजार 451 करोड़ रुपए से अधिक राशि स्वीकृत की गई। 2 लाख 36 हजार 338 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई क्षमता का विस्तार सुनिश्चित किया गया। नदियों के संरक्षण और संवर्धन का वादा निभाते हुए ‘अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण’ तथा ’इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण’ का गठन किया है। बांध पुनर्वास एवं सुधार योजना पर कार्य शुरू किया है।
हमारी ‘सुराजी गांव योजना’ गांवों, खेतों, पर्यावरण और आजीविका में सुधार की दृष्टि से देश और दुनिया में सराही गई है। इसके माध्यम से हजारों नरवा का उपचार किया जा चुका है, जिससे उन क्षेत्रों का भूजल स्तर तेजी से बढ़ा है। गौठानों के लिए प्रदेश में 1 लाख एकड़ से अधिक जमीन संरक्षित की गई। 7 हजार से अधिक चारागाह स्वीकृत हुए। 10 हजार से अधिक गौठानों में आर्थिक गतिविधियां शुरू हुईं, जिसमें से लगभग 6 हजार गौठान स्वावलंबी हो गए हैं। घुरुवा और गोधन न्याय योजना के माध्यम से गांवों में नई किस्म की आर्थिक क्रांति का सूत्रपात हुआ है। गोबर और गौमूत्र खरीदी, इनसे जैविक खाद तथा जैविक कीटनाशक के निर्माण से छत्तीसगढ़ रासायनिक खाद से मुक्ति की दिशा में चलना शुरू कर चुका है। गौठानों की आर्थिक गतिविधियों से महिला स्व-सहायता समूहों सहित विभिन्न जुड़े हुए लोगों को हुई आय भी 500 करोड़ रुपए से अधिक हो चुकी है। इसी तरह बारी कार्यक्रम में लगभग 5 लाख निजी बाड़ी तथा लगभग 6 हजार सामुदायिक बाड़ी का विकास किया जा चुका है।
कृषि उत्पादों के संरक्षण और प्रसंस्करण के लिए हमने फूडपार्क विकसित करने का वादा भी निभाया है। इसके लिए 112 विकासखण्डों में भूमि चिन्हांकित कर कार्यवाही आगे बढ़ाई गई है। उद्यानिकी फसलों के लिए 63 कोल्ड स्टोरेज स्थापित किए गए हैं। वहीं पाटन विकासखण्ड में ‘गामा रेडियेशन सुविधायुक्त एकीकृत पैक हाउस’ की स्थापना की जा रही है।
हमने ‘गोधन न्याय योजना’ के माध्यम से पशुपालन को बढ़ावा दिया है तो पशु स्वास्थ्य के व्यापक प्रबंध भी किए हैं। 45 नवीन पशु औषधालयों की स्थापना और 20 पशु औषधालयों का उन्नयन किया गया है। 163 मोबाइल वेटनरी यूनिट, राज्य स्तरीय कॉल सेंटर तथा 28 जिलों में पशुओं को हिंसा से बचाने के लिए सोसायटी का गठन किया गया है।
संवारने, तरक्की और खुशहाली के नए-नए आयाम गढ़ने को हमने सबसे जरूरी काम समझा है। वर्ष 2018 तक तेन्दूपत्ता संग्रहण और मात्र 7 लघु वनोपजों की खरीदी भी बेहद अनमने तथा अव्यवस्थित तरीके से की जाती थी, जिससे वन आश्रित लोगों का हक मारा जा रहा था। हमारी सरकार ने तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2 हजार 500 रुपए से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रतिमानक बोरा किया। वर्ष 2021 तथा 2022 में हुए तेन्दूपत्ता के कारोबार से इस वर्ष लगभग 500 करोड़ रुपए की राशि संग्राहकों को प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में दी जा रही है। वहीं हमने 67 अन्य लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने का इंतजाम किया और 388 करोड़ रुपए मूल्य की लघु वनोपजों का संग्रहण किया गया है। छत्तीसगढ़ देश की कुल लघु वनोपज का तीन चौथाई से अधिक उपार्जन करने वाला राज्य बन गया है। हमने इन वनोपजों के मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण, विपणन के लिए भी अनेक उपाय किए हैं। ‘सी-मार्ट’ का संचालन किया जा रहा है, जहां 1 हजार 512 प्रकार के उत्पादों को बेचा जाता है।
निरस्त वन अधिकार पत्रों के दावों की समीक्षा और बड़े पैमाने पर वितरित करने का वादा हमने किया था। आज मुझे यह कहते हुए संतोष का अनुभव होता है कि प्रदेश में 5 लाख 18 हजार 617 व्यक्तिगत, सामुदायिक तथा वन संसाधन श्रेणी के वन अधिकार पत्रों के माध्यम से 1 करोड़ 4 लाख 21 हजार एकड़ भूमि वितरित की गई है। इतना ही नहीं, देश में पहली बार हमने नगरीय क्षेत्र में वन अधिकार पत्र तथा विशेष कमजोर जनजाति समूहों को पर्यावास के अधिकार पत्र भी प्रदान किए हैं।
बस्तर संभाग में कोसाफलों के उत्पादन को भी यहां की ताकत बनाने के लिए ‘मुख्यमंत्री रेशम मिशन’ का गठन कर कार्य प्रारंभ किया गया है। रैली कोसाफल के धागाकरण से बस्तर के रेशमी सपने पूरे होंगे। प्रदेश में रेशम बनाने के कार्य में लगे लगभग 51 हजार हितग्राहियों को भी ऐसे प्रयासों का लाभ मिलेगा। छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ मर्यादित, छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड, छत्तीसगढ़ माटीकला बोर्ड को सशक्त बनाकर तथा पारंपरिक कार्यों के लिए मंडलों का गठन कर आदिवासी तथा अन्य ग्रामीण अंचलों में लाखों लोगों की आजीविका के साधन मजबूत किए गए हैं।
अनुसूचित क्षेत्रों में सड़क, पुल, पुलिया, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बिजली, पानी, रोजगार के साधन जैसी तमाम बुनियादी अधोसंरचनाओं का विकास किया गया। जिसके कारण वहां शासन-प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है। कानून-व्यवस्था और सुरक्षा की स्थितियों में तेजी से सुधार हुआ है। इसके साथ ही हमने आदिवासी समाज की मूल संस्कृति को सम्मान के साथ बचाए रखने के लिए भी बहुत संवेदनशील प्रयास किए हैं। प्रत्येक देवगुड़ी और गोटुल के संरक्षण, जीर्णोद्धार और निर्माण के लिए 5 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की है। ‘मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना’ की शुरुआत भी कर दी गई है, जिसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत को 10 हजार रुपए की राशि दी जा रही है।
सार्वभौम पीडीएस हमारा एक बड़ा वादा था। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने 2 करोड़ 66 लाख लोगों तक पीडीएस को पहुंचाकर वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार शत-प्रतिशत कव्हरेज कर लिया है। खाद्य सुरक्षा के साथ पोषण सुरक्षा को भी गति दी गई है। सभी जिलों में अंत्योदय, प्राथमिकता, एकल निराश्रित, निःशक्तजन राशनकार्डधारियों, मध्याह्न भोजन योजना एवं पूरक पोषण आहार योजना के हितग्राहियों को आयरन फोलिक एसिडयुक्त फोर्टिफाइड चावल का वितरण किया जा रहा है। 64 लाख जरूरतमंद राशनकार्डधारियों को वर्ष 2023 की पूरी अवधि में मासिक पात्रता का चावल निःशुल्क दिया जा रहा है। ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना’ का क्रियान्वयन भी सभी राशन दुकानों में किया जा रहा है।
की गई है, वहीं अब बस्तर तथा सरगुजा संभाग के लिए 12 हजार 489 शिक्षकों की भर्ती-प्रक्रिया प्रचलन में है।
आर्थिक रूप से मध्यम और कमजोर तबकों के बच्चों को महंगे स्कूलों में शिक्षा दिलाने का सपना लाखों परिवारों को तोड़ देता था, इसलिए हमने सरकारी स्कूलों को ही अधोसंरचना, पढ़ाई तथा पाठ्य सहगामी सुविधाओं की दृष्टि से इतना उन्नत बनाने की पहल की है कि ये स्कूल शिक्षा के साथ मान-सम्मान और स्वाभिमान के केन्द्र भी बनें। शासकीय स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना के अंतर्गत अब 377 अंग्रेजी माध्यम तथा 349 हिन्दी माध्यम विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं, जहां 4 लाख 21 हजार बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। यहां से निकले युवाओं को अंग्रेजी माध्यम में उच्च शिक्षा की उत्कृष्ट सुविधा देने के लिए शासकीय स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम कॉलेज भी 10 जिलों में शुरू किए गए हैं। ऐसे स्कूल-कॉलेजों की मांग लगातार बढ़ रही है।
इतना ही नहीं, प्रदेश के सभी स्कूलों के भवन तथा अन्य सुविधाओं को उच्च स्तरीय बनाने के लिए हमने इसी वर्ष ‘मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना’ शुरू की, जिसमें 2 हजार 133 करोड़ रुपए की लागत से 29 हजार से अधिक शालाओं में समुचित कार्य कराए जाएंगे। इनमें से लगभग 2 हजार शालाओं में कार्य पूर्ण हो भी चुके हैं तथा 14 हजार शालाओं के कार्य प्रगति पर हैं।
कोरोना काल में शालाएं बंद होने के कारण हमने वैकल्पिक तरीकों से पढ़ाई कराई थी, जिसके कारण अन्य प्रदेशों में हुए नुकसान की तुलना में हमारे प्रदेश के बच्चों का स्तर बेहतर रहा। इसके बावजूद कोरोना काल से प्रभावित हुई पढ़ाई की भरपाई के लिए प्रदेश में विश्व बैंक की 2 हजार 500 करोड़ रुपए की मदद से चॉक परियोजना शुरू की जा रही है।
हायर सेकेण्डरी परीक्षा के प्रमाण-पत्र के साथ आईटीआई प्रशिक्षित होने का प्रमाण-पत्र देने की हमारी योजना से युवाओं को पढ़ाई के साथ रोजगारपरक प्रशिक्षण मिल रहा है और इससे उनका आत्मविश्वास भी तेजी से बढ़ा है। हमारी इस योजना का अनुसरण करने के निर्देश भारत सरकार ने अन्य राज्य सरकारों को भी दिए हैं, वहीं कौशल उन्नयन के विभिन्न उपायों के साथ रोजगार मेलों के माध्यम से निजी क्षेत्रों में नौकरियां सुनिश्चित की जा रही हैं, जिसका लाभ लगभग 19 हजार युवाओं को मिला है।
प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय स्तर के आवासीय विद्यालय का सपना साकार करने के लिए नवा रायपुर में 100 करोड़ रुपए की लागत से भवन निर्माण कार्य प्रारंभ किया जा चुका है, वहीं राष्ट्रीय स्तर के शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना भी नवा रायपुर में की जा रही है।
हमने युवाओं पर भरोसा जताते हुए उनके सुखद भविष्य के लिए अनेक कदम उठाए हैं। मुझे खुशी है कि युवाओं से भी मुझे बहुत प्यार और आदर मिला है। ‘भेंट-मुलाकात’ कार्यक्रमों में सार्थक संवाद और उनके उत्साह से मैं अभिभूत हूं। हमने 4 नए संगीत महाविद्यालयों के साथ 71 नए महाविद्यालय प्रारंभ किए। सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल, क्रीड़ा अधिकारी के पदों पर 1 हजार 553 नियुक्तियां की गईं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं के परीक्षा शुल्क माफ करने का फैसला लिया, जिससे 22 लाख 28 हजार युवाओं की करीब 33 करोड़ रुपए की फीस माफ हुई है। व्यापम, लोक सेवा आयोग, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनियों तथा स्वामी आत्मानंद स्कूलों में हुई भर्ती से लगभग 42 हजार युवाओं को नौकरी मिली है। शासन से वित्त पोषित विभिन्न निगमों, मंडलों, समितियों, विभागों में की गई भर्तियों की संख्या हजारों में है। हमने बेरोजगारी भत्ता देने का वादा भी निभाया है, जिसके तहत 1 लाख 22 हजार से अधिक युवाओं को लगभग 113 करोड़ रुपए की राशि बेरोजगारी भत्ते के रूप में दी गई है।
युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की अच्छी तैयारी कराने के लिए देश की ख्याति प्राप्त कोचिंग संस्थानों से ऑनलाइन कोचिंग की निःशुल्क व्यवस्था हम शीघ्र करने जा रहे हैं। इसके लिए प्रत्येक विकासखण्ड मुख्यालय में एक स्थान पर वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग की व्यवस्था की जाएगी।
हमने युवाओं के सर्वांगीण विकास के साथ ही उनके कैरियर निर्माण के अनेक मोर्चों पर एक साथ काम किया है। प्रदेश के विभिन्न स्थानों में वहां की विशेषताओं के आधार पर खेल अकादमी शुरू की। साथ ही 24 जिलों में ‘खेलो इंडिया सेंटरों’ का संचालन शुरू किया गया है। मुझे विश्वास है कि चौतरफा प्रयासों से हमारे युवा साथियों के सुनहरे भविष्य का सफर आसान होगा। युवाओं को सामाजिक कार्यों से जोड़ने, उन्हें सांस्कृतिक उत्थान का सूत्रधार बनाने के लिए प्रदेश में 13 हजार 242 ‘राजीव युवा मितान क्लब’ गठित किए गए हैं, जिनके 4 लाख से अधिक सदस्य प्रदेश की फिज़ा में मोहब्बत, एकजुटता और तरक्की के रंग घोल रहे हैं।
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के युवाओं के लिए नियुक्ति तथा चयन प्रक्रियाओं में आरक्षण को लेकर लगी रोक हटने के बाद हमने शैक्षणिक संस्थाओं में पूर्ववत 58 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है।
शहरों में पर्यावरण संरक्षण के साथ सांस्कृतिक महत्व के वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए ‘कृष्ण कुंज योजना’ शुरू की गई है, जिसके तहत लगभग 250 एकड़ में 60 हजार से अधिक पौधों का रोपण किया गया है।
छोटे भूखंडों का पंजीयन मध्यमवर्गीय परिवारों की मूलभूत आवश्यकता है, जिसका हनन पूर्व में किया गया था। हमने ऐसे भूखंडधारी क्रेता तथा विक्रताओं को न्याय दिलाने का वादा निभाया, जिसके कारण लगभग 5 लाख भूखंडों का पंजीयन हुआ। इसी तरह महिलाओं के पक्ष में स्टॉम्प शुल्क की रियायत आवासीय भवनों के पंजीयन में दी गई। इन फैसलों से लाखों लोगों का जीवन आसान हुआ है, उन्हें वित्तीय तरलता का लाभ मिला है।
22 लाख से अधिक स्मार्ट कार्ड आधारित पंजीयन प्रमाण-पत्र, ड्राइविंग लायसेंस आदि आवेदकों को घर पहुंचाकर दिए गए हैं। वहीं ‘मुख्यमंत्री मितान योजना’ के अंतर्गत नगरीय निकायों से संबंधित सेवाओं के दस्तावेज घर पहुंचाकर दिए जा रहे हैं, जिसका लाभ 1 लाख 15 हजार से अधिक लोगों को मिल चुका है।
भाइयों और बहनों, छत्तीसगढ़िया की सबसे बड़ी पहचान उसका अपनी माटी के प्रति प्यार, श्रद्धा, स्वाभिमान और अभिमान है। हमारी यह पहचान समरस और सद्भावी समाज की रचना करती है। अपनी साझा संस्कृति को बचाने के लिए हमने हरेली, तीजा-पोरा, माता कर्मा जयंती, छेरछेरा पुन्नी, विश्व आदिवासी दिवस और छठ पूजा जैसे अवसरों पर अवकाश की घोषणा की। हमने ’अरपा पइरी के धार’ को राजगीत बनाया, छत्तीसगढ़ महतारी का चित्र जारी किया, छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा भी जिलों में स्थापित कराई जा रही है। राजकीय गमछा घोषित किया। अपनी संस्कृति के हर पहलू जैसे खान-पान, लोक-कला, मड़ई -मेला को सम्मानित और प्रोत्साहित किया। ग्रामीण खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए प्रति वर्ष ‘छत्तीसगढ़िया ओलंपिक’ आयोजित करने की शुरूआत की। प्रति वर्ष अक्ती त्यौहार को ‘माटी पूजन दिवस’ घोषित किया। राम वनगमन पर्यटन परिपथ के रूप में 2 हजार 260 किलोमीटर के क्षेत्र में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पदचिन्हों और लोक आस्था के प्रतीकों को संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। ऐसे अनेक स्थानों पर निर्माण कार्यों का लोकार्पण भी किया जा चुका है। हमने चंदखुरी में माता कौशल्या के प्राचीन मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार तथा सौंदर्यीकरण किया है। साथ ही ‘माता कौशल्या महोत्सव’ का आयोजन भी प्रारंभ किया है। ‘राष्ट्रीय रामायण महोत्सव’, ‘राज्य स्तरीय रामायण मंडली प्रोत्साहन योजना’ के तहत मानस मंडलियों की प्रतियोगिता का आयोजन भी शुरू किया गया है।
हमारे ‘आदिवासी लोक नृत्य महोत्सव’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता, पहचान और सराहना मिली है। राज्य अलंकरण पुरस्कारों की सूची में देवदास बंजारे स्मृति पंथी नृत्य पुरस्कार, लाला जगदलपुरी साहित्य पुरस्कार, हबीब तनवीर सम्मान, खुमान साव सम्मान, लक्ष्मण मस्तुरिया सम्मान को भी शामिल करने की घोषणा से हमारी माटी के सपूतों के योगदान को चिरस्थायी बनाया जा सकेगा। इसके अलावा हमारे लोक कलाकारों तथा साहित्यकारों के लिए ‘चिन्हारी पोर्टल’, ‘मुख्यमंत्री लोक कलाकार प्रोत्साहन योजना’, ‘गुरु शिष्य परंपरा छात्रवृत्ति’, वित्तीय सहायता योजना, अशासकीय संस्थाओं को आर्थिक अनुदान, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद का गठन जैसे अनेक कार्य भी किए गए हैं। छत्तीसगढ़ फिल्म नीति के अमल से बालीवुड की 19 फिल्मों की शूटिंग सुनिश्चित हुई है, वहीं छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माण के लिए भी अनेक सुविधाएं दी गई हैं।
न्याय दिलाने के हमारे संकल्पों और प्रयासों की बदौलत एक ओर जहां बस्तर के लगभग 600 गांव नक्सलमुक्त हुए हैं। वहीं दूसरी ओर नक्सल हिंसा प्रभावित 300 से अधिक स्कूलों का पुनर्निर्माण और संचालन भी शुरू हुआ है। हमने आदिवासियों को अनावश्यक आपराधिक प्रकरणों से रिहाई दिलाने का वादा किया था। लगभग 1 हजार 400 लोगों को राहत देकर हमने यह वादा भी निभाया है। वहीं चिटफंड कंपनियों के शिकार लगभग 46 हजार निवेशकों को 34 करोड़ रुपए की राशि वापस दिलाई गई है। ऐसी कंपनियों से लगभग 142 करोड़ रुपए की कुर्की की गई है, अतः यह राशि भी प्रभावित निवेशकों को लौटाने की कार्यवाही की जा रही है। चिटफंड कंपनियों के 700 से अधिक आरोपी पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। साइबर अपराध पर प्रभावी अंकुश लगाने के प्रयासों से 8 करोड़ रुपए से अधिक राशि अपराधियों के हाथों में जाने से रोकी गई है।
पुलिस में विभिन्न पदों पर भर्ती पदोन्नति के साथ ही, बस्तर फाइटर्स बल का गठन, तृतीय लिंग आरक्षकों की भर्ती, पुलिसकर्मियों के लिए कल्याणकारी योजनाएं आदि प्रयासों से पुलिस का मनोबल बढ़ा है।
हमने नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का जो संकल्प लिया था, उसे पूरा करने का काम जी-जान से कर रहे हैं। यही वजह है कि प्रदेश के वन अंचल से लेकर कस्बों, गांवों, शहरों में, हर जगह खुशहाली आई है। हमने विभिन्न वर्गों का स्वाभिमान और स्वावलंबन बढ़ाने के लिए उनके खातों में 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत प्रदान की। जिससे प्रदेश में व्यापार, व्यवसाय, उद्योग, हर क्षेत्र में प्रगति की रफ्तार बनी हुई है। हर क्षेत्र में रिफॉर्म का असर कार्य में सरलता तथा विकास में तेजी के रूप में दिखाई पड़ रहा है। यह पूरे प्रदेश के लिए गौरव का विषय है कि हमारी अभिनव योजनाओं से लेकर केन्द्रीय योजनाओं तक में प्रदेश की उपलब्धियां देश में अव्वल स्थान पर रही हैं। अनेक योजनाओं को भारत सरकार ने स्वयं सराहा है तथा उन्हें अन्य राज्यों में लागू करने की सिफारिश भी की है। विकास का हमारा ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ प्रदेशवासियों के लिए उम्मीदों की नई किरण लेकर आया है, साथ ही देश को नई दिशा देने में भी सफल रहा है।
भाइयों और बहनों, इस स्वतंत्रता दिवस से गणतंत्र दिवस 2024 के बीच बहुत छोटा-सा कालखंड है, लेकिन मैं एक बार फिर कहना चाहता हूं कि 26 जनवरी 2024 को हमें 75 वां गणतंत्र दिवस बहुत गौरवशाली ढंग से मनाना है। आजादी के लिए हमारे पुरखों ने जो कुर्बानियां दीं, सेना के जवानों और तमाम सुरक्षा बलों ने देश की एकता और अखण्डता को बचाए रखने में जितने कष्ट सहन किए, हमारे महान नेताओं ने जिस तरह देश को एकजुट बनाए रखने के लिए संघर्ष किए, उन्हें याद रखना है। नए जोशो-खरोश और समर्पण के साथ हमें छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा करना है। छत्तीसगढ़ के विकास को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए अभी हमें बहुत कुछ करना है। मुझे विश्वास है कि आप सबका प्यार और आशीर्वाद हमें मिलता रहेगा।