नई दिल्ली, एजेंसी। इस साल लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में 21 तोपों की सलामी स्वदेशी आर्टेलरी गन से दी जाएगी। अभी तक द्वितीय विश्वयुद्ध की ब्रिटिश पाउंडर-गन से 21 तोपों की सलामी दी जाती थी। आजादी के अमृत महोत्सव यानि आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में पहली बार नई पहल की गई है।
रक्षा सचिव डा.अजय कुमार ने बताया कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) विकसित किया है। अब तक परंपरागत रूप से सलामी के लिए इस्तेमाल की जा रही ब्रिटिश तोपों के साथ स्वदेशी होवित्जर तोप भी सलामी देंगी। इसके लिए एडवांस्ड टाड आर्टिलरी गन सिस्टम प्रोटोटाइप का उपयोग किया जाएगा। इस तोप का उपयोग करने की पहल स्वदेशी रूप से तोपों को विकसित करने की भारत की बढ़ती क्षमता का प्रतीक बनाने के उद्देश्य से की गई है।
क्या है अटैग गन की खासियत?
एडवांस टॉड गन सिस्टम (अटैग्स तोप) सिस्टम को डीआरडीओ ने टाटा और भारत-फोर्ज कंपनियों के साथ मिलकर तैयार किया है। 155 x 52 कैलिबर की इस एटीएजीएस तोप की रेंज करीब 48 किलोमीटर है और जल्द ही भारतीय सेना के तोपखाने का हिस्सा बनने वाली है। वर्ष 2018 में रक्षा मंत्रालय ने 150 अटैग गन खरीदने को मंजूरी दी थी।
एटीएजीएस एक विश्व स्तरीय गन प्रणाली
स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए इसके गोले दागने में कुछ विशेष बदलाव किए गए हैं। मालूम हो कि एटीएजीएस परियोजना को 2013 में डीआरडीओ ने भारतीय सेना में पुरानी तोपों को आधुनिक 155 एमएम आर्टिलरी गन से बदलने के लिए शुरू की थी। एटीएजीएस 155 एमएम कैलिबर गन सिस्टम है जिसमें 48 किलोमीटर की फायरिंग रेंज और उच्च गतिशीलता, त्वरित तैनाती, रात के दौरान प्रत्यक्ष-फायर पद्धति में स्वचालित कमांड और नियंत्रण प्रणाली जैसी उन्नत विशेषताएं हैं। एटीएजीएस एक विश्व स्तरीय गन प्रणाली है जो अपनी खास क्षमता के लिए जानी जाती है।