सूरजपुर: कलेक्टर इफ्फत आरा के निर्देश पर जिला कार्यक्रम अधिकारी चन्द्रबेस सिंह सिसोदिया के मार्गदर्शन में जिला बाल संरक्षण इकाई विभिन्न हायर सेकेण्डरी एवं हाई स्कूलों में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। कोविड-19 के समय में लगभग दो वर्षाे से स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम नहीं हो पाया था। अभी स्कूलों के खुलने के साथ ही दूरस्थ स्कूलों में बच्चों को उनके अधिकारों एवं बच्चों से संबंधित कानूनों एवं उनके सुरक्षा के उपायों की जानकारी उन्हें दी जा रही है। लगातार जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल के नेतृत्व में टीम स्कूली बच्चों को जागरुक करने में लगी है। विगत तीन दिनों में जिला बाल संरक्षण इकाई प्रतापपुर विकास खण्ड का दुरस्त ग्राम डांड़करवा हाई स्कूल, विकास खण्ड सूरजपुर के ग्राम डेडरी के हायर सेकेण्डरी स्कूल एवं प्रेमनगर विकास खण्ड के उमेश्वरपुर के हायर सेकेण्डरी स्कूल में जागरुकता कार्यक्रम किया और बच्चों से वार्तालाभ भी किया। तीनों स्कूलों में जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने बच्चों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत गांव में बाल विवाह रोकवाने का आह्वान बच्चों से किया। उन्होंने बताया कि बाल विवाह अब केवल कुरीति ही नहीं बल्कि अपराध है। बाल विवाह करने में एक लाख जुर्माना एवं दो साल के सजा का प्रावधान है।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि सभी बच्चों को नशे से बचना चाहिए। नशे की लत एक बार लग जाती है तो उससे वापस निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए किशोर न्याय अधिनियम में विशेष रुप से धारा 77 एवं 78 का प्रावधान दिया गया है। नशे से पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है। श्री जायसवाल ने बच्चों को पॉक्सो एक्ट की जानकारी दी और बताया कि कैसे लैंगिक अपराध से बच्चें बच सकते है। उन्होंने बच्चों को लैंगिक अपराध से बच्चों को गुड-टच एवं बैड-टच को समझाने की बात बताई, और उन्हें बचने के लिए चार सूत्र भी दिये। जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने और आगे बढ़ने के लिए कहा। कार्यक्रम में जिला महिला संरक्षण अधिकारी इन्द्रा चौबे, साबरीन फातिमा, तुलसी झा, चाईल्ड लाईन से कार्तिक मजूमदार, रमेश साहू, पैरालिगल वालेंटियर विकास, जिला बाल संरक्षण इकाई से पवन धीवर उपस्थित थे।