अंबिकापुर: मरने के बाद यह शरीर मिट्टी है जो किसी काम का नहीं। हमारे शरीर के उपयोग से पढ़ाई कर अच्छा डॉक्टर बनेंगें और लोगों की सेवा करेंगे यह हमारे लिए सौभग्य की बात होगी। यही विचार कर हमने देहदान की घोषणा किया है। यह कहना है 67 वर्षीय जगदीश प्रसाद गुप्ता व 84 वर्षीय ब्रम्हप्रकाश का जिन्होंने मंगलवार को समय-सीमा की बैठक में कलेक्टोरेट सभाकक्ष में कलेक्टर कुन्दन कुमार, पुलिस अधीक्षक श्रीमती भावना गुप्ता, नगर निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगई, मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ आर0 मूर्ति के समक्ष घोषणा किये।

मेडिकल कॉलेज के लिए देहदान करने के पुनीत घोषणा पर उपस्थित सभी अधिकारियों के द्वारा दोनों का अभिनंदन किया गया।84 वर्षीय ब्रम्हप्रकाश मूलतः पंजाब के अमृतसर के रहने वाले हैंं जो पिछले करीब 22 वर्ष से वापस नहीं गए हैं। परिवार से पूरी तरह नाता टूट चुका है। वर्तमान में अजिरमा स्थित वृद्धा आश्रम में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि देहदान के बारे में समाचार पत्रों में पढ़ा था जिससे देहदान की इच्छा उत्पन्न हुई। उत्तरप्रदेश निवासी जगदीश प्रसाद गुप्ता ने बताया कि विगत एक साल से वृद्धा आश्रम में रह रहे हैं। उन्होंने भी परिवार से पूरी तरह से नाता तोड़ लिया है। उनका कहना है कि मृत्यु के बाद शरीर अच्छे काम के लिए उपयोग हो जिसमें डॉक्टरों को सीखने का काम आना बड़ी बात है इसलिए देहदान करने का विचार आया।

मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभागाध्यक्ष ने बताया कि देहदान करने के लिए तीन व्यक्तियों को घोषणा पत्र देना होता है जिसमें देहदान करने वाला देहदान के लिए लाने वाला व्यक्ति तथा साक्षी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि देहदान का घोषणा पत्र तथा इससे संबंधित जानकारी के लिए रजिस्टर संधारित होती है। एक शरीर का उपयोग मेडिकल कॉलेज में पांच से छः बैच के विद्यार्थियों के काम आता है।

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