रायपुर। राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स ) के वित्त विभाग में राशि के गबन मामले में आरोपित कनिष्ठ लेखाधिकारी योगेंद्र पटेल को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने आरोपित को तीन दिनों की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। पुलिस ने एम्स प्रबंधन से भी मूल दस्तावेज मांगे हैं।

आमानाका थाने की पुलिस ने एम्स के एक कर्मचारी की शिकायत पर शुक्रवार को फर्जी कूटरचित दस्तावेज, धोखाधड़ी और गबन समेत कई अन्य धारा के तहत अपराध दर्ज कर आरोपित को गिरफ्तार किया था। एम्स में 27,89,400 रुपये गठन का मामला सामने आया है। प्रबंधन की ओर से एम्स स्थापना से लेकर अब तक के रिकार्ड को खंगाले जा रहे हैं, जिसमें पांच करोड़ से ज्यादा की राशि गबन करने की संभावना जताई जा रही है।

दरअसल मामला यह है कि एम्स में नौकरी छोड़ने से पहले डाक्टरों को नियमानुसार तीन महीने पहले आवेदन के माध्यम से प्रबंधन को इसकी सूचना देनी पड़ती है। जो डाक्टर इस अवधि को पूरा किए बिना बीच में नौकरी छोड़ देते हैं तो नोटिस पीरिएड के बचे दिनों में बनने वाले वेतन की राशि का भुगतान करना पड़ता है।एम्स के बहुत से डाक्टरों ने नोटिस पीरिएड में नौकरी छोड़ी थी। डाक्टरों से राशि लेकर नई रसीद के बदले तीन-चार वर्ष पुरानी रसीद दे दी गई और उस राशि को एम्स के खाते में जमा ही नहीं किया गया। ऐसे ही जिन डाक्टरों ने डिमांड ड्राफ्ट जमा किया था, उन्हें कुछ समय बाद लेन-देन करके डिमांड ड्राफ्ट लौटा दिया गया था।

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