बलरामपुर: सुपोषित महिलाएं और सुपोषित बच्चे ही सुनहरे भविष्य की पहली सीढ़ी होते हैं। महिलाओं और बच्चों के विकास और उनके स्वास्थ्य को बेहतर रखने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा लगातार पोषण स्तर में सुधार और बेहतरी का प्रयास किया जा रहा है। इसी प्रयास के तहत सेक्टर तातापानी के आंगनबाड़ी केन्द्र धनेशपुुर में एक नई पहल “गर्भवती माताओं के लिए पोषण पेटी” की शुरूआत की गई है, जिसके सकारात्मक परिणाम परिलक्षित हो रहे है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विमला देवी ने बताया कि शिशु के जीवन के प्रथम 1000 दिवस गर्भ के 9 माह तथा जन्म के बाद 24 माह बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इन 1000 दिवस में शिशु कुपोषित न हो, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है क्योंकि इन्हीं 1000 दिवस में पूरे जीवन की सभी क्षमताओं के विकास की नींव पड़ती है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए आंगनबाड़ी केन्द्र की कार्यकर्ता विमला देवी और सेक्टर पर्यवेक्षक ने गर्भवती माताओं के पोषण जरूरतों को पूरा करने के लिए उनके परिवार को मोटिवेट करके विगत 02 माह से प्रत्येक गर्भवती के घर पोषण पेटी बनवा रही है। पोषण पेटी में प्रति माह 500-500 ग्राम चना, मूंग मुंगफली, गुड़ और रेडी टू ईट रखवाया जाता है। चना, मुंग अंकुरित करके, मुंगफली भिंगोकर गुड़ के साथ खाने का परामर्श दे रही है, गर्भवती माता को हर रोज इन चीजों का सेवन करना है। गर्भवती माताएं निरंतर इसका सेवन करते रहे इसलिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा सतत् गृहभेंट भी किया जाता है। मात्र इतने प्रयास से गर्भवती माता को पोषण में लगभग 430 ग्राम प्रोटीन मिल जाती है, जो प्रतिमाह आवश्यक प्रोटीन जरूरतों के 25 प्रतिशत को पूरा करता है। पोषण पेटी की नई पहल के अतिरिक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा प्रसव पूर्व गर्भवती माताओं का शीघ्र पंजीयन, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, आई.एफ.ए. सम्पूरक सुरक्षित एवं संस्थागत प्रसव, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लाभ तथा साग-सब्जियों का उपयोग करने और दिन में कम से कम 02 घण्टे आराम करने संबंधी सलाह गर्भवती माताओं और उनके परिवार वाले विशेष कर सास और पति को कॉउंसलिंग के माध्यम से दिया जा रहा है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विमला देवी बताती है कि कुपोषण एवं एनिमिया को दूर करने के लिए व्यवहार परिवर्तन एक बेहतर साधन है, जिसे हमने पोषण माह के दौरान प्रभावी तरीके से प्राप्त करने का प्रयास दिया है। पोषण माह के दौरान सभी गर्भवती माताओं के घर पोषण वाटिका विकसित करवाया गया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने सेक्टर पर्यवेक्षक के मार्गदर्शन में पोषण वाटिका में हरी साग-सब्जी और स्थानीय फलदार वृक्ष लगवाकर उनके सेवन के लिए गर्भवती माताओं को प्रेरित किया तथा साग-सब्जी व फल से मिलने वाले फायदे और उनका हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में बताया। गर्भवती माताओं को प्रतिदिन आंगनबाड़ी केन्द्र में महतारी जतन योजना से लाभान्वित भी किया जा रहा है।

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