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अंबिकापुर: सुंदर वादियां, खुशनुमा वातावरण और ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा, विभिन्न संस्कृतियों का संगम स्थल स्थल है मैनपाट। जहां पहुंचते ही आपको अलौकिक शांति की प्राप्ति होती है। मैनपाट के नयनाभिराम दृश्य स्वतः ही सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां चारों ओर फैली हरियाली, घुमावदार पहुँचमार्ग, मन को असीम शीतलता प्रदान करने वाले जलप्रपात, अचंभित करने वाले प्राकृतिक दृश्य और दूर-दूर तक फैला पाट क्षेत्र है।
मैनपाट विन्धपर्वत माला पर स्थित है जिसकी समुद्र सतह से ऊंचाई 3781 फीट है इसकी लम्बाई 28 किलोमीटर और चौडाई 10 से 13 किलोमीटर है। राजधानी रायपुर से अम्बिकापुर की दूरी लगभग 365 किमी है, वहीं अम्बिकापुर से मैनपाट की दूरी लगभग 50 किमी है। यहां की जलवायु के कारण मैनपाट को छत्तीसगढ का शिमला कहा जाता है। प्राकृतिक सम्पदा से भरपूर यहां बौद्ध मंदिर, सरभंजा जल प्रपात, टाईगर प्वांइट तथा मछली प्वांइट प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। अम्बिकापुर से मैनपाट जाने के लिए दो रास्ते है पहला रास्ता अम्बिकापुर-सीतापुर रोड से होकर जाता और दूसरा ग्राम दरिमा होते हुए मैनपाट तक जाता है।
मैनपाट में पर्यटन को बढ़ावा देने तथा विकास को गति देने के लिए वर्ष 2012 में जिला प्रशासन सरगुजा द्वारा मैनपाट महोत्सव की शुरुआत की गई। अब हर वर्ष मैनपाट महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें देश के नामी कलाकारों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति, विभागीय स्टॉलों के द्वारा विकास की झलक देखने को मिलती है। यहां एडवेंचर स्पोर्ट्स, नौकायन, पतंग फेस्ट, मेला, दंगल आदि गतिविधियां लोगों के मनोरंजन का माध्यम बनते हैं। इस वर्ष जिला प्रशासन द्वारा 23 से 25 फरवरी तक मैनपाट महोत्सव का आयोजन रोपाखार जलाशय के समीप किया जा रहा है।
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कब आएं-
वैसे तो मैनपाट का मौसम वर्षभर खुशनुमा होता है, परन्तु नवम्बर से जनवरी के मध्य सर्दियों के मौसम में मैनपाट की खूबसूरती और बढ़ जाती है। बारिश के बाद झरनों की सुंदरता, चारों ओर खेतों में लहराती हुई टाऊ की फसल दर्शनीय होती है। इसलिए ये मौसम मैनपाट में सैर करने के लिए सबसे अच्छा मौसम है।
कैसे पहुंचे-
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है। राज्य के बाहर के सैलानी हवाई मार्ग, रेलमार्ग तथा सड़क मार्ग से भी रायपुर पहुंच सकते हैं। यहां रेलमार्ग से अम्बिकापुर पहुंचकर फिर सड़क मार्ग से मैनपाट जाया जा सकता है। मैनपाट पहुंचने के लिए टैक्सी एवं बस आसानी से यहां उपलब्ध हो जाते हैं।
कहां रूकें-
मैनपाट में रुकने के लिए छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड द्वारा निर्मित रिजॉर्ट शैला और करमा हैं। साथ ही यहां निजी होटल एवं रिजॉर्ट भी हैं जहां पर्यटक अपनी सुविधा अनुसार ठहर सकते हैं।
मैनपाट के पर्यटन स्थल –
बौद्ध मंदिर – मैनपाट से ही रिहन्द एवं मांड नदी का उदगम हुआ है। इंडो-चाइना वार के पश्चात 1962-63 में तिब्बती शरणार्थियों को मैनपाट में बसाया गया। यहां तिब्बती लोगों का जीवन एवं बौद्ध मंदिर आकर्षण का केन्द्र है। इसलिए इसे मिनी तिब्बत भी कहा जाता है।
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टाइगर प्वाइंट- मैनपाट के महत्वपूर्ण प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट में टाइगर प्वाइंट का अपना विशेष महत्व है। टाइगर प्वाइंट एक खूबसूरत प्राकृतिक झरना है जिसमें पानी इतनी तेजी से गिरता है कि शेर के गरजने जैसी आवाज आती है। चारों तरफ घनघोर जंगलों के बीच पहाड़ से गिरता हुआ झरना बहुत ही आकर्षक लगता है।
उल्टापानी – मैनपाट के बिसरपानी गांव में स्थित उल्टापानी छत्तीसगढ़ की सबसे ज्यादा अचंभित और हैरान करने वाला दर्शनीय स्थल है। यहां पर पानी का बहाव नीचे की तरफ न होकर ऊपर यानी ऊँचाई की ओर होता है। यहां सड़क पर खड़ी न्यूट्रल चारपहिया गाड़ी 110 मीटर तक गुरूत्वाकर्षण के विरूद्ध पहाड़ी की ओर अपने आप लुढ़कती है।
जलजली- मैनपाट में प्रकृति के नियमों से दूर जलजली वह पिकनिक स्पॉट है जहाँ दो से तीन एकड़ जमीन काफी नर्म है और इसमें कूदने से धरती गद्दे की तरह हिलती है। आस-पास के लोगों के मुताबिक कभी यहां जल स्त्रोत रहा होगा जो समय के साथ उपर से सूख गया तथा आंतरिक जमीन दलदली रह गई। इसी वजह से यह जमीन दलदली व स्पंजी लगती है।
फिश प्वाइंट- मैनपाट में पर्यटकों के लिए जंगलों के बीच एक रोमांचकारी और मन को लुभाने वाला मशहूर जगह फिश प्वाइंट (मछली) स्थित है। यह भी एक जलप्रपात है।
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मेहता प्वाइंट- मैनपाट में स्थित मेहता प्वाइंट ऊंची पहाडियां, गहरी घाटियां तथा वन मनोरम दृश्यों से भरपूर हैं। मैनपाट आने वाले पर्यटक सुंदर व्यू का आनन्द लेने के लिए इस पिकनिक स्पॉट में अवश्य पहुंचते हैं।
ठिनठिनी पत्थर– अम्बिकापुर के 12 किमी. की दुरी पर दरिमा हवाई अड्डा हैं। दरिमा हवाई अड्डा के पास बडे-बडे पत्थरो का समुह है। इन पत्थरो को किसी ठोस चीज से ठोकने पर आवाजे आती है। सर्वाधिक आश्चर्य की बात यह है कि ये आवाजे विभिन्न धातुओ की आती है। इनमे से किसी- किसी पत्थर खुले बर्तन को ठोकने के समान आवाज आती है। इस पत्थरो मे बैठकर या लेटकर बजाने से भी इसके आवाज मे कोइ अंतर नही पडता है। एक ही पत्थर के दो टुकडे अलग-अलग आवाज पैदा करते है। इस विलक्षणता के कारण इस पत्थरो को अंचल के लोग ठिनठिनी पत्थर कहते है।
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इसके अतिरिक्त यहां बूढ़ा नागदेव जलप्रपात है जिसे जलपरी प्वाइंट भी कहते है। प्रकृति की गोद में बसे इस जलप्रपात तक पहुंचते ही सारी थकान दूर हो जाती है।