अम्बिकापुर: राष्ट्रीय कृमि दिवस के अवसर पर गुरुवार को जिले के सभी स्कूल एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों में 01 से 19 वर्ष तक के बच्चों को एल्बेंडाजॉल की गोली खिलाई गई। शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नवापारा में अम्बिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल एवं कलेक्टर विलास भोसकर ने अम्बिका मिशन स्कूल के बच्चों को एल्बेंडाजॉल की गोली खिलाई। विधायक श्री अग्रवाल ने कहा कि कृमिनाशक दवा के सेवन से बच्चों का बौद्धिक विकास, स्वास्थ्य एवं पोषण का स्तर तथा रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की टीम को आपसी समन्वय से जनजागरूकता बढाते हुए लक्ष्य पूरा करने कहा तथा ज्यादा से ज्यादा बच्चों को कृमिनाशक दवा एल्बेंडाजॉल का सेवन करने अपील की। कलेक्टर श्री भोसकर ने कहा कि यह दवा सुरक्षित है। मिट्टी, पानी और वातावरण के कारण बच्चे और बड़े दोनों में कृमि हो सकता है। स्कूली बच्चों के दवा सेवन से उनके बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होगी।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पी एस मार्को ने बताया कि सरगुजा जिले में कुल 3,42,667 लक्षित बच्चे हैं, जिन्हें कृमिनाशक दवा एल्बेंडाजॉल 400 मि.ग्रा. गोली खिलाई जानी है। आज के पश्चात छूटे हुए बच्चों को 04 सितम्बर को समस्त आंगनबाड़ी केन्द्रों, शासकीय व निजी विद्यालयों, मदरसों में बच्चों को कृमिनाशक दवा का सेवन कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभियान की सफलता को लेकर संबंधित कर्मियों को जरूरी प्रशिक्षण दिया गया है। सभी प्रखंडों को पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्ध करायी गयी है। उन्होंने बताया कि 01 से 02 साल के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली का चूर्ण बनाकर साफ पानी के साथ खिलाना है। वहीं 02 से 03 साल के बच्चों को पूरी गोली का चूर्ण खिलाया जाना है। 03 से 04 साल तक के बच्चे जो दवा चबाकर नहीं खाना चाहें, उन्हें दवा का चूर्ण बनाकर दिया जा सकता है। वहीं इससे अधिक उम्र के बच्चे दवा चबा कर सेवन करेंगे, ऐसे बच्चे जो बीमार हैं या अन्य दवा चल रही है उसको कृमि की दवा नहीं देनी है। जिले में निर्धारित आयु वर्ग के ऐसे बच्चे और किशोर जो स्कूल नहीं जाते हैं उनपर भी विशेष फोकस किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पेट में कृमि होने से कई तरह की समस्या हो सकती है। ऐसे लक्षण के प्रति माता-पिता को जागरूक रहना चाहिए। बच्चों को पढ़ने में मन नहीं लगेगा, खाने में रूचि घटने लगेगी या अधिक भोजन करेंगे लेकिन शरीर में नहीं लगेगा। एल्बेंडाजोल की गोली खिलाने से बच्चे एनीमिया के शिकार से बच सकते हैं, मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है तथा बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। मानसिक और शारीरिक विकास के लिए एक से 19 वर्ष तक बच्चों को गोली खिलानी जरूरी है। जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ पुष्पेन्द्र राम ने बताया कि समुदाय को जागरूक करने के लिए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी गई है। एक से पांच वर्ष तक स्कूल नहीं जाने वाले बच्चे को आंगनबाड़ी केंद्रों में दवा दी जा रही है।