
सूरजपुर: छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के अधिकारी/कर्मचारी 3 दिवसीय सांकेतिक हड़ताल के माध्यम से अपनी पीड़ा सरकार को अवगत कराएंगे। छत्तीसगढ़ में मनरेगा कर्मियों ने कम वेतन में अधिक काम कराए जाने और बीते 4 महीने से वेतन न दिए जाने को लेकर काफी आक्रोश है. मनरेगा महासंघ जिला मिडिया प्रभारी गणेश प्रसाद ने कहा कि अल्प वेतन में मनरेगा कर्मियों से मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यों के अलावा शासन के कई अन्य कार्य भी लिए जा रहे हैं. इसके बाद भी उन्हें 4 महीने से वेतन नहीं मिल पाया है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ बजट को लेकर भी वे निराश हैं. मेहनत के बाद भी अपने हक का वेतन न मिलने से वे मानसिक रूप से पीड़ित हो रहे हैं।
मनरेगा कर्मियों का सवाल कैसे होगा सुशासन पर विश्वास?
मनरेगा महासंघ के जिला अध्यक्ष सुनील गुप्ता ने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी शासित मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं बिहार जैसे विभिन्न राज्यों में मनरेगा कर्मियों के सेवा, सामाजिक सुरक्षा एवं वेतन भुगतान संबंधी एक अच्छी मानव संसाधन नीति लागू है. साथ ही केन्द्र सरकार से राशि प्राप्त न होने पर राज्य सरकार द्वारा पूल फण्ड के माध्यम से राज्यों में वेतन भुगतान कर केन्द्र से राशि मिलने के बाद समायोजन कर लिया जाता है. वहीं छत्तीसगढ़ राज्य में भारतीय जनता पार्टी की ‘‘डबल ईंजन की सरकार‘‘ होने के बाद भी मनरेगा कर्मी अपनी सेवा, सामाजिक सुरक्षा एवं वेतन संबंधी सुविधाओं से वंचित हैं. अतिरिक्त कार्य का बोझ है, ऐसे में सुशासन पर विश्वास कैसे होगा?
बजट को लेकर निराशा
मिडिया प्रभारी गणेश ने आगे कहा कि 3 मार्च को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट वित्त मंत्री ओ.पी.चैधरी ने पेश किया. बजट में महात्मा गांधी नरेगा योजनांतर्गत कार्यरत कर्मियों के लिए कुछ भी नहीं किया गया है, जिसके चलते प्रदेशभर के मनरेगाकर्मी निराश हैं. मनरेगा कर्मियों से अल्प वेतन में मनरेगा कार्य और प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यों के अलावा शासन के अन्य कार्य भी लिए जा रहे हैं. इसके बावजूद भी विगत 4 माह से वेतन नहीं मिल पाया है. जिसके कारण कर्मचारी मानसिक रूप से पीड़ित एवं सरकार के प्रति आक्रोशित हैं। साथ ही सरकार इनके सुरक्षित भविष्य के लिए मानव संसाधन नीति भी सरकार लागू नहीं कर पाई है, जिसके लिए ये कर्मचारी लंबे समय से संघर्षरत हैं।
मनरेगा महासंघ के ब्लाॅक अध्यक्ष निर्मल कुमार श्याम, प्रेमसाय पैकरा, ओम प्रकाष तिवारी, विजय एक्का ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अध्यक्षता में ‘‘छ.ग. मनरेगा कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक सामाजिक और सेवा सुरक्षा की दृष्टि से मानव संसाधन नीति लागू किये जाने के लिए ‘‘ राज्य स्तरीय 8 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। गठन होने के बाद कागजों में सीमट गई है निर्णय।
वादा पूरा होने का इंतजार करते थके मनरेगा कर्मी
मीडिया प्रभारी गणेश ने आगे बाताया कि अत्यंत खेद का विषय है कि पूर्व कांग्रेस सरकार में जिस प्रकार पिछले 5 वर्षों में केवल कमेटी-कमेटी खेला गया, अब वही काम इस सुशासन की सरकार में भी किया जा रहा है. सितंबर 2024 में 15 दिनों के भीतर कमेटी का प्रतिवेदन प्रस्तुत करने और उसमें मनरेगा कर्मियों के सेवा/भविष्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा तथा अनुकंपा नियुक्ति जैसी महत्वपूर्ण बिंदुओं का समावेश करने के लिए छत्तीसगढ़ के डिप्टी सी0एम0 विजय शर्मा के वादे को पूरे होने का इंतजार करते अब ये मनरेगा कर्मी भी थक गए हैं. कभी-कभी देर से मिला न्याय भी अन्याय सा प्रतीत होता है।
महात्मा गांधी नरेगा योजनांतर्गत कार्यरत कर्मियों की तत्कालीन मांगे:-
1. नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक मनरेगा कर्मियों के सेवा एवं सामाजिक सुरक्षा हेतु मानव संसाधन नीति तत्काल लागू किया जावे।
2. पूर्व में किये गये हड़ताल अवधि का वेतन/मानदेय तत्काल प्रदान करें।
3. विगत 03-05 माह से लंबित वेतन/मानदेय का तत्काल भुगतान किया जावे। तथा प्रतिमाह 1 से 5 तारीख के मध्य वेतन/मानदेय भुगतान किया जाये।
4. उपरोक्त मांग पूरी होने तक मनरेगा कर्मियों से केन्द्र व राज्य शासन के निर्देशानुसार महात्मा गांधी नरेगा योजना के अलावा अन्य कोई कार्य न लिया जावे।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद योजनाओ के उत्कृष्ट क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार दिलाने वाले मनरेगा कर्मचारियों की स्थिति दिनों-दिन दयनीय होती गई। केंद्र शासन की महत्वकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में इन्होंने विगत 3 माह मे हजारो आवास पूर्ण करने के बाद भी इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं हैं। प्रदेश में मनरेगा योजना अंतर्गत 10 वर्ष से अधिक सेवा अवधि पूर्ण कर चुके कर्मचारियों की बड़ी संख्या है। वर्षों सेवा देने के बाद भी इन कर्मचारियों के लिए मानव संसाधन निधि नहीं बन पाई या यूं कहें पार्टियों के चुनावी वादे विपक्ष में रहते इनके मंचों तक ही सीमित रह गई है। जिससे क्षुब्ध और पीड़ित कर्मचारी 3 दिवसीय सांकेतिक हड़ताल 26 एवं 27 मार्च को जिले में कर्मचारी हड़ताल में रहेंगे एवं 27 मार्च को सभी जिलों में रैली निकालकर कलेक्टर को ज्ञापन देंगे, वही 28 मार्च को राज्यस्तरीय हड़ताल में शामिल होकर रैली के माध्यम से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नाम से ज्ञापन सौंपेंगे। मांगे पूर्ण नहीं होने कि स्थिति में समस्त मनरेगा अधिकारी/कर्मचारी अनिष्चित कालीन हड़ताल के लिये बाध्य होंगे।
आज जिला स्तरीय सांकेतिक हडताल में मनरेगा कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष सुनील कुमार गुप्ता, जिला कार्यकारी अध्यक्ष प्रेमसाय साय पैकरा, जिला सचिव ओम प्रकाष तिवारी, जिला मीडिया प्रभारी गणेश यादव, उपाध्यक्ष रविकांत सोनी, सदस्य निर्मल कुमार श्याम, प्रेमसाय पैकरा, ओम प्रकाष तिवारी, विजय एक्का, छत्तरधारी प्रजापति, प्रमोद कुमार रवि, देवेन्द्र सिंह, लीना राजवाड़े, विजय राजवाड़े, अर्जुन साहु, संजय साह, कमल सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, सत्येन्द्र सिंह, सतेन्द्र केरकेट्टा, उपासना नायक, रुपा यादव, ममता सिंह, पूनम तिवारी, रेहाना परवीन, संजय कुमार यादव, विवके कुमार, संजय कुमार साहु, मधुसुदन सिंह, सुधीर कुमार गुप्ता, निरज साहु, संजय सोरी, मनीलाल एवं अन्य कर्मचारी/अधिकारी उपस्थित रहे।