नई दिल्ली: देश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए मोदी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसमें काफी सफलता भी मिली है। इसी दिशा में मोदी सरकार ने किसानों को बेहतर मूल्य प्रदान करने और उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमत में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए 35,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ पीएम-आशा योजना को जारी रखने की मंजूरी दी है। एक सरकारी बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने और उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमत में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दी गई।

इससे राज्यों को ‘संकट’ बिक्री को रोकने के लिए किसानों से एमएसपी पर इन फसलों की अधिक खरीद करने में मदद मिलेगी। सरकार ने कहा, ‘‘हालांकि, सत्र 2024-25 के लिए अरहर, उड़द और मसूर के मामले में यह सीमा लागू नहीं होगी क्योंकि 2024-25 सत्र के दौरान अरहर, उड़द और मसूर की 100 प्रतिशत खरीद होगी, जैसा कि पहले तय किया गया था।’’ केंद्र ने एमएसपी पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और नारियल गरी (खोपरा) की खरीद के लिए मौजूदा सरकारी गारंटी को नवीनीकृत और बढ़ाकर 45,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इससे बाजार की कीमतें जब भी एमएसपी से कम होंगी, तो दलहन, तिलहन और खोपरा की अधिक खरीद में मदद मिलेगी। कृषि विभाग द्वारा किसानों से एमएसपी पर खरीद की जाएगी, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) के ई-समृद्धि पोर्टल और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पहले से पंजीकृत किसान शामिल हैं।

यह योजना जमाखोरी और सट्टेबाजों को हतोत्साहित करने में मदद करेगी। जब भी बाजार में कीमतें एमएसपी से अधिक होंगी, तो बाजार मूल्य पर दालों की खरीद उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा की जाएगी, जिसमें नेफेड के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पूर्व-पंजीकृत किसान शामिल होंगे। बफर रखरखाव के अलावा पीएसएफ योजना के तहत हस्तक्षेप टमाटर जैसी अन्य फसलों और भारत दाल, भारत आटा और भारत चावल की सब्सिडी वाली खुदरा बिक्री में किया गया है। राज्यों को अधिसूचित तिलहनों के लिए एक विकल्प के रूप में मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीडीपीएस) के कार्यान्वयन की दिशा में आगे आने को प्रोत्साहित करने के लिए कवरेज को राज्य तिलहन उत्पादन के मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है और किसानों के लाभ के लिए कार्यान्वयन अवधि को तीन से बढ़ाकर चार महीने कर दिया गया है।

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