नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी रविवार को यानी आज तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। इसी के साथ वह जवाहरलाल नेहरू की भी बराबरी कर लेंगे जोकि लगातार तीन बार (1952, 1957 और 1962 का आम चुनाव जीतकर) पीएम बने थे। शाम सवा सात बजे राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले समारोह में उनके साथ करीब चार दर्जन मंत्री शपथ लेंगे।

इसके पहले शनिवार को सरकार में भागीदारी को लेकर राजग के सहयोगी दलों के बीच सामंजस्य बना लिया गया। किस दल को कितनी हिस्सेदारी मिलनी है और पहले चरण में किस-किस सांसद को मंत्रिपरिषद में जगह मिलेगी, इसका निर्णय कर लिया गया। भाजपा के बाद राजग के बड़े दलों में शुमार तेदेपा और जदयू से एक-एक कैबिनेट और एक-एक राज्य मंत्री शपथ लेंगे।

पांच तक सांसदों वाली पार्टी से एक मंत्री बनेगा। नई सरकार के स्वरूप में सामाजिक समीकरण और देश के विकास की आकांक्षा का भरपूर ख्याल रखा गया है। सहयोगी दलों का सम्मान और समन्वय बनाए रखने के रास्ते तलाश लिए गए हैं। माना जा रहा है कि गृह, वित्त, रक्षा, विदेश के अलावा शिक्षा और संस्कृति जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय भाजपा के पास रहेंगे।

भाजपा से राजनाथ सिंह जैसे नेताओं को नए मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की पूरी संभावना है, वहीं लोकसभा चुनाव जीतने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बासवराज बोम्मई, मनोहर लाल और सर्बानंद सोनोवाल भी मंत्रियों में शामिल होने के प्रबल दावेदार हैं।

राजग में भाजपा के बाद तेदेपा, जदयू, शिवसेना और लोजपा (आर) चार बड़े दल हैं। रविवार को तेदेपा और जदयू से दो-दो, शिवसेना एवं लोजपा (आर) से एक-एक सांसद को मंत्री पद मिलेगा। बिहार में जदयू एवं भाजपा की सीटें बराबर हैं। इसलिए मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या भी उसी अनुपात में होगी।

सूत्रों का दावा है कि जदयू सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह एवं राज्यसभा सदस्य रामनाथ ठाकुर को मंत्रिमंडल में स्थान मिलना लगभग तय है। संजय झा एवं वाल्मीकि नगर के सांसद सुनील कुमार को भी मंत्री बनाया जा सकता है, लेकिन इनका नंबर बाद में आ सकता है।

बिहार से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतनराम मांझी एवं लोजपा (आर) प्रमुख चिराग पासवान भी मंत्री बनेंगे। उन्हें कैबिनेट या फिर स्वतंत्र प्रभार का राज्य मंत्री बनाया जा सकता है। आंध्र प्रदेश में भाजपा व तेलुगु देसम पार्टी (टीडीपी) की सहयोगी जनसेना पार्टी से भी एक मंत्री बनेगा।

आंध्र प्रदेश से भाजपा कोटे से दो सांसदों के मंत्री बनने की संभावना है। बिहार से भी भाजपा के दो सांसद भी मंत्री बनेंगे। रालोद को भी मंत्री पद मिल रहा है और उसके मुखिया जयन्त चौधरी को कैबिनेट में रखा जा रहा है।

उधर, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने शनिवार शाम को कहा कि उसके नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह के लिए अभी तक निमंत्रण नहीं मिला है, जबकि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने घोषणा की कि उनकी पार्टी इस समारोह में शामिल नहीं होगी। इस बीच शपथ ग्रहण समारोह के चलते नई दिल्ली में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और नौ व 10 जून को राष्ट्रीय राजधानी को नो-फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है। समारोह में कई देशों के प्रमुख शिरकत करेंगे।

सूचना है कि प्रधानमंत्री ने मंत्रिपरिषद के सदस्यों के नामों के साथ-साथ मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी लगभग तय कर दी है। इसके लिए सहयोगी दलों से प्रस्ताव मांगे गए थे, किंतु नीतीश कुमार एवं चंद्रबाबू नायडू समेत सभी दलों के शीर्ष नेताओं ने सब कुछ नरेन्द्र मोदी पर ही छोड़ दिया। इसके पहले भाजपा समेत सभी घटक दलों के नेताओं ने दो दिनों के विमर्श एवं सभी पक्षों पर विचार करने के बाद अंतिम सूची तैयार की है।

बिहार में डेढ़ वर्ष बाद विधानसभा चुनाव होना है। इसलिए भाजपा जातीय समीकरण से कोई समझौता करने के पक्ष में नहीं है। यही कारण है कि काराकाट संसदीय सीट से निर्दलीय प्रत्याशी पवन सिंह के चलते भाकपा माले के राजाराम सिंह से चुनाव हारने वाले उपेंद्र कुशवाहा को भी भाजपा जोड़कर रखना चाहती है।

इस बार बिहार में कुशवाहा फैक्टर अत्यंत प्रभावी रहा है। इसके चलते भाजपा को चार-पांच सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा उपेंद्र को मंत्रिमंडल में लाकर कुशवाहा वोट बैंक में सकारात्मक संदेश देना चाहती है।

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