नई दिल्ली: भारतीय नौसेना पहली बार 50 देशों के साथ 19 से 27 फरवरी तक नौसैनिक युद्धाभ्यास करने जा रही है। इतने व्यापक स्तर के नौसैनिक युद्धाभ्यास ‘मिलन-24’ में 18 युद्धपोतों और विमानों का बेड़ा महासागर और बंदरगाह पर सैन्य अभ्यास करेगा। मिलन से देश के नौसैनिक हितों की सुरक्षा सर्वोपरि है। यह नौसैनिक सहयोग में एक नये युग की शुरुआत होगा।
भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर.हरि कुमार ने बताया कि अब तक के सबसे बड़े नौसैनिक समागम के लिए 58 देशों को आमंत्रित किया गया था जिसमें से पचास देशों ने आने की पुष्टि की है। सोमवार से शुरू हो रहे इस नौ दिवसीय सैन्य अभ्यास मिलन-24 के 12वें संस्करण में महासागर को सुरक्षित और मुक्त रखने के लिए लिहाज से हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर रणनीति को व्यवहारिक रूप से कसा और परखा जाएगा।
वह इस क्षेत्र की जटिलताओं को एकजुट होकर नेविगेट करेंगे। पूर्वी नौसैनिक कमांड ने एक्स पर पोस्ट करके वियतनाम की नौसेना के कोरवेट-20 जहाज और अमेरिकी नौसेना के यूएसएस हलसे (डीडीजी-97) का स्वागत किया है। दोनों देशों के युद्धपोत विशाखापत्तनम पहुंच चुके हैं। गहरे समुद्र में सुरक्षा को बढ़ाने के लिए मिलन एक अच्छा मंच साबित होगा। विभिन्न देशों के विकास के लिए वाणिज्य और समृद्धि के लिए इस क्षेत्र में हर तरह की सुरक्षा बेहद जरूरी है।
भारत-अमेरिका एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन का सौदा अगले कुछ महीनों में होने की उम्मीद है। इस संबंध में नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर.हरि कुमार ने बताया कि अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने को लेकर रक्षा अधिग्रहण परिषद ने मंजूरी दी है। अगले कुछ महीनों में चार अरब डालर के इस रक्षा सौदे पर दस्तखत होने की संभावना है। इसका पहला विमान 36 महीने से पहले नहीं आएगा।
अमेरिका से मिलने वाले 31 ड्रोनों में से 15 का संचालन भारतीय नौसेना करेगी जबकि भारतीय सेना और वायुसेना से आठ-आठ ड्रोन संचालित होंगे। इस रक्षा सौदे में अभियानों में इस्तेमाल होने वाले अन्य हथियारों और उपकरणों को भी शामिल किया है।
सोमालिया के समुद्री लुटेरों से बचाने के लिए पाकिस्तानी और ईरानी दलों के भारतीय नौसेना का आभार जताने के बाद अब नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर.हरि कुमार ने कहा कि वह संकट में आए लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वह क्षेत्र को सुरक्षित, स्वतंत्र और मुक्त रखना सुनिश्चित करना चाहते हैं।
सोमालिया के लुटेरों ने विभिन्न देशों के मछुआरों की नावों पर कब्जा किया था। लुटेरे इन नौकाओं का इस्तेमाल बड़े जहाजों को लूटने में करते हैं। इसलिए भारतीय नौसेना ने इन समुद्री लुटेरों का हथियार समेत समर्पण कराया। तीनों बड़ी नावों के चालक दल के सदस्यों को रिहा किया है। अभियान में भारतीय युद्धपोत आइएनएस सुमात्रा ने गोलाबारी की थी।