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शहडोल: स्वास्थ सुविधाओं का दावा करने वाली सरकार पर तमाचे की तरह है यह तस्वीर, जहां एक बेटे को अपनी मां का शव खटिया के सहारे अपने बाइक में बंधकर शहर से 80 किमी दूर ले जाना पड़ा। पहले तो सरकारी अस्पताल में डॉक्टर्स इलाज के लिए नहीं मिले बाद में उसकी मौत के बाद उसके शव ले जाने के लिए कोई वाहन भी नहीं मिला।
मामला शहडोल के मेडिकल कॉलेज का है जहां मेडिकल कॉलेज में अनुपपुर जिले से इलाज कराने आए महिला को पहले तो अच्छे से इलाज नहीं मिल पाया जिससे महिला की मौत हो गई। हद तो तब हो गई जब उसकी लाश गांव ले जाने के लिए उसे शव वाहन भी नहीं मिला। इसके बाद बेबस बेटों ने पैसों के अभाव में मां के लिए 100 रुपए का एक लकड़ी का खटिया खरीदा और शव बाइक में रखकर 80 किलोमीटर का सफर तय कर अपने गृह ग्राम अनूपपुर जिले के गुड़ारु पहुंचे।
80 किलोमीटर के इस सफर के दौरान शहडोल से अनूपपुर जिले तक बाइक में शव लेकर सफर करने का इस दृश्य को जिसने देखा उसके मुंह से यही आवाज निकली हाय राम….ये क्या हो रहा है। किसी ने उसकी वीडियो भी बनाई और उसे सोशल मीडिया में वायरल कर दिया।
अनूपपुर के गोडारू गांव की रहने वाली महिला जयमंत्री यादव को सीने में तकलीफ होने के कारण बेटों ने उपचार जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था। जहां हालत खराब होने के कारण मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया। उपचार के दौरान देर रात उसकी मौत हो गई। मृतका के बेटे सुंदर यादव ने जिला अस्पताल की नर्सों पर लापरवाही से इलाज करने का आरोप लगाते हुए मां की मौत के लिए मेडिकल अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। उसका कहना है की लापरवाही के कारण ही उसकी मां की मौत हो गई।
मां की मौत के बाद उसके दोनों बेटों ने शव को घर ले जाने के लिए शव वाहन की जब मांग की तो उन्हें मेडिकल कॉलेज से टका सा जवाब दे दिया गया और शव वाहन नहीं मिला। वहीं शव ले जाने के लिये प्राइवेट शव वाहन वालों ने उससे 5 हजार रुपए की मांग की। विवश होकर बेटों ने सौ रुपए की एक लकड़ी की पटिया खरीदकर किसी तरह से मां का शव बांधकर शहडोल से अनूपपुर जिले के गुड़ारु 80 किमी दूर अपने घर ले कर गए।
इस दैरान जिस जिस गली सड़क होकर मां के शव को बाइक में लादकर जा रहे इस नजारे को जिसने देखा उसके होश उड़ गए। शव को बाइक पर बांधकर ले जाते देख लोगों की आंखों से भी आंसू छलक पड़े।