रायपुर:- भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने समर्थन मूल्य पर धान की सरकारी ख़रीद की तारीख़ तय नहीं करने को लेकर प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए प्रदेश के कृषि मंत्री रवीन्द्र चौबे से इस्तीफ़ा मांगा है। श्री साय ने कहा कि प्रदेश में हर साल समर्थन मूल्य पर धान की सरकारी ख़रीद की तारीख़ को लेकर संशय बनाए रखने की प्रदेश सरकार की बदनीयती के चलते प्रदेश के लाखों किसान इस बात के लिए सदैव आशंकित रहते हैं कि आख़िर प्रदेश सरकार कब से उनका धान ख़रीदेगी? श्री साय ने प्रदेश सरकार द्वारा धान ख़रीदी की तारीख़ तक घोषित नहीं किए जाने को किसानों के साथ छलावा बताया है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा प्रदेश सरकार के शासनकाल में 01 नवंबर से धान ख़रीदी की मांग पर प्रलाप करने वाली कांग्रेस की मौज़ूदा प्रदेश सरकार के अब 01 नवंबर से धान ख़रीदी करने में हाथ-पाँव क्यों फूल जाते हैं? प्रदेश सरकार के लिए इससे अधिक शर्मनाक और प्रदेश के किसानों के साथ इससे बड़ा छल-कपट और क्या हो सकता है कि कांग्रेस की सरकार इस बार 01 दिसंबर से धान ख़रीदी का एलान तक नहीं कर सकी है। घोर किसान विरोधी चरित्र का परिचय देती प्रदेश सरकार किसानों का सबसे ज़्यादा नुक़सान करने पर आमादा है। श्री साय ने कहा कि प्रदेश सरकार इस साल फिर बारदानों को लेकर रोना-धोना मचाने लगी है कि बारदानों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हुई है, जबकि जुलाई में ही भाजपा ने पत्र लिखकर प्रदेश सरकार को इसके लिए आग़ाह कर दिया था कि इस साल धान ख़रीदी में प्रदेश सरकार की कोई भी अड़ंगेबाजी और बहानेबाजी क़तई नहीं चलेगी और प्रदेश सरकार बारदाना समेत धान ख़रीदी के तमाम इंतज़ाम पुख़्ता तौर पर कर ले। इसके बावज़ूद ख़ुद को किसान पुत्र कहकर प्रदेश के किसानों को झाँसा देने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसानों का धान ख़रीदने की व्यवस्था करने के बजाय सियासी नौटंकियों और केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ मिथ्या प्रलाप करने में ही वक़्त जाया करते रहे, प्रदेश के किसानों के हक़ का पैसा उत्तरप्रदेश में अपनी व्यक्तिगत सम्पदा मानकर लुटाते और स्वामीभक्ति दिखाते रहे, और अब भी धान ख़रीदी के इंतज़ाम तय करने के बजाय उत्तरप्रदेश में सियासी लफ़्फ़ाजियाँ करते घूम रहे हैं। श्री साय ने कहा कि सोमवार को धान ख़रीदी पर निर्णय को लेकर हुई बैठक में भी धान ख़रीदी की तारीख़ तय नहीं करके प्रदेश सरकार ने किसानों का उत्पीड़न किया है, इससे ज़्यादा दु:खद और लज्जाजनक कुछ नहीं हो सकता।

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