
नई दिल्ली। इनकम टैक्स विवादित मामलों को पूरी तरह से निपटाने के लिए तैयार है। इनकम टैक्स से जुड़े सभी अपराधों को समझौते से खत्म करने (कंपाउंडिंग ऑफ आफेंस) योग्य बना दिया गया है। यहां तक कि अगर इनकम टैक्स से जुड़े अपराध में ईडी और सीबीआई भी छानबीन कर रही है तो उस अपराध को भी समझौते के साथ विभाग समाप्त कर सकता है।यहां तक कि किसी को इनकम टैक्स कानून के अन्य प्रविधान के तहत दो या उससे अधिक साल के कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है, वैसे अपराधी भी समझौते के साथ अपने अपराध माफी के लिए आवेदन कर सकेंगे।
सोमवार को इनकम टैक्स विभाग की तरफ से एक सर्कुलर जारी किया गया। हालांकि विभागीय अपराधों को समझौते से खत्म करने योग्य बनाने के संबंध में पिछले साल 17 अक्टूबर को दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। हालांकि लोगों को इसकी जानकारी पूरी तरह से नहीं मिल पाई थी। सोमवार को जारी सर्कुलर में साफ कहा गया है कि इनकम टैक्स कानून के अंतर्गत अब ऐसा कोई अपराध नहीं रहा, जिसे समझौते के साथ समाप्त नहीं किया जा सकता है।
विभाग के मुताबिक कंपाउंडिंग ऑफ आफेंस एक मैकेनिज्म है जो अपराध करने वाले को एक निश्चित धनराशि के भुगतान के साथ उसे तमाम वैधानिक पचड़ों के साथ अपराध से मुक्त करने का अवसर देता है। इस नए सर्कुलर पर पूरी तरह अमल से इनकम टैक्स से जुड़े मामलों में भारी कमी आएगी और विभाग को बड़ी धनराशि प्राप्त हो सकती है।
अपराध को समाप्त कराने के लिए एक निश्चित शुल्क के साथ करना होगा आवेदनअपने अपराध को समाप्त कराने के लिए अपराध करने वालों को आवेदन करना होगा। आवेदन करने के लिए एक निश्चित शुल्क देना होगा। गंभीर किस्म के अपराध में इनकम टैक्स विभाग के चेयरमैन को अपराधी के अपराध को समाप्त करने का अधिकार होगा।
उदाहरण के लिए इनकम टैक्स से जुड़े मामले में ईडी और सीबीआई भी जांच कर रही है तो माफी के लिए आवेदन करने पर अगर अभियुक्त ने देश विरोधी या आतंकवाद से जुड़ा कोई अपराध नहीं किया है तो उसे समझौते के साथ छोड़ा जा सकता है, लेकिन इस प्रकार की गतिविधियों में लिप्त होने पर समझौते के लिए इनकम टैक्स विभाग के चेयरमैन की मंजूरी लेनी होगी।वैसे ही अगर किसी को इनकम टैक्स से जुड़े अपराध में सजा हो गई तो चेयरमैन की मंजूरी पर ही उसके साथ समझौता किया जा सकता है। जिन लोगों ने इनकम टैक्स से जुड़े मामले के लिए अदालत में याचिका दायर कर रखी है, वे भी नए नियम के तहत समझौते से अपने मामले को समाप्त कर सकेंगे। इनकम टैक्स विभाग की साइट पर जाकर सर्कुलर के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की जा सकती है।



















