अंबिकापुर: सरगुजा जिले के लुंड्रा ब्लाक में पहाड़ी कोरवा युवकों क़ो ड्राइविंग की ट्रेनिंग देने में एनजीओ द्वारा कागजी खानापूर्ति मामले का खुलासे के बाद कलेक्टर ने जिला रोजगार अधिकारी ललित पटेल क़ो जांच के आदेश दिए थे जिसके बाद जिला रोजगार अधिकारी ने अपनी जांच पूरी कर ली है। उनका कहना है कि जांच रिपोर्ट में क्या बात सामने आया है वे सार्वजनिक रूप से नहीं बता सकते, रिपोर्ट क़ो उन्होंने कलेक्टर के पास पेश कर दिया है, उन्होंने इतना जरूर बताया कि ड्राइविंग ट्रेनिंग 29 युवकों क़ो देने की बात सामने आई थी लेकिन वे मात्र 18 युवकों से ही जांच के दौरान मिल सके। बता दें कि ज़ब यह मामला उजागर हुआ था तब अफसरों ने कहा था कि जांच के बाद जो भी फैक्ट सामने आएगा उसे मीडिया के सामने रखा जाएगा और ट्रेनिंग देने वाले समाज सेवी संस्था पर कार्यवाही होगी लेकिन न जांच रिपोर्ट सार्वजनिक हुई और न ही कोई कार्यवाही की जानकारी सामने आई है। मामले क़ो सूचना के अधिकार के तहत सामने लाने वाले आरटीआई कार्यकर्त्ता के खिलाफ अवैध उगाही की शिकायत कर पुलिस में केस दर्ज कराया गया था। दूसरी तरह समाजसेवी संस्था ने जिन पहाड़ी कोरवा युवकों क़ो ट्रेनिंग दिया था उन्हें अब इस तथाकथित कौशल विकास के बाद भी कोई नौकरी या रोजगार नहीं दिया गया जबकि केंद्र सरकार से मिले 10 लाख रुपए क़ो आदिवासी विकास विकास ने इसी उद्देश्य से जनपद सीईओ लुंड्रा क़ो दिया था। इस पर 29 पहाडी कोरवा युवकों क़ो ट्रेनिंग के नाम पर 10 लाख एनजीओ ने खर्च किए थे।
बयान बदलने मिला था 30 हजार, शिकायत पर कार्यवाही नहीं
इस मामले की ज़ब जांच चल रही थी तब पहाड़ी कोरवा युवक 30 हजार रुपए लेकर एसपी व सरगुजा आयुक्त दफ्तर तक पहुंच गए थे और उनका कहना था कि यह पैसे उन्हें बयान पक्ष में देने के लिए दिया गया है लेकिन वे पैसा नहीं लेना चाहते, उन्हें जबरदस्ती पैसे थमा दिया गया है तब भी उनका पैसा किसी अफसर ने वापस नहीं लिया और न ही रिश्वत के रूप में पैसे देने वाले का पता कर कोई कार्यवाही की गई। इसके बाद ज़ब युवक गांव गए तो जिस दलाल ने उन्हें समझौता के लिए पैसे दिया था वह वापस ले लिया। वही अब इस मामले में अफसरों व स्थानीय नेताओं व जनप्रतिनिधियों की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं.