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नई दिल्ली। बिहार में भाजपा और जदयू के बीच राजनीतिक खींचतान की खबरें यूं तो चलती रहती हैं। लेकिन जदयू के वरिष्ठ नेताओं की मानी जाए तो दिल्ली में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीशों के सम्मेलन से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गैरमौजूदगी केवल व्यक्तिगत कारणों से थी। इसकी जानकारी नीतीश ने बहुत पहले केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री को दे दी थी।
नीतीश के करीबी मंत्री का कहना है कि मुख्यमंत्री प्रशासनिक कार्यों में कभी राजनीति नहीं आने देते हैं। उनकी गैरमौजूदगी को राजनीतिक रंग देना विरोधियों की शरारत के अलावा कुछ भी नहीं है।
चूंकि नीतीश और केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री के बीच आपसी चर्चा हुई थी, इसीलिए उनका नाम नहीं बताते हुए जदयू के मंत्री ने कहा कि अलग-अलग इफ्तार को लेकर भी कुछ घटनाओं को तूल दिया गया। बिहार में सरकार अच्छे से चल रही है। विकास कार्य हो रहे हैं। केंद्र और बिहार सरकार के बीच विकास को लेकर सतत चर्चा होती है।
उक्त मंत्री ने कहा कि शनिवार को भी नीतीश कुमार उद्योग विभाग के कार्यक्रम में थे और उद्योग मंत्री भाजपा के ही शाहनवाज हुसैन हैं। अगर भाजपा से किसी तरह की दूरी होती तो मुख्यमंत्री किसी और कार्यक्रम में भी जा सकते थे। गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी एक ऐसे ही सवाल पर पहले कह चुके हैं कि बिहार में दोनों दलों में शीर्ष स्तर पर कोई संशय नहीं है। बड़े तकनीकी और चुनावी मुद्दों पर भी दोनों दलों के नेताओं में बिना किसी अड़चन फैसला होता है। लिहाजा तनाव की बातें अटकलों के अलावा कुछ नहीं है।