सूरजपुर: महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रतापपुर से महज 5 किलोमीटर की दुरी पर बसे बाबा जलेश्वर नाथ की नगरी शिवपुर धाम मे महाशिवरात्रि के मौके पर भारी संख्या मे श्रधांलुओं का जथा उमड़ा और अर्धनारीश्वर महादेव बाबा जलेश्वर नाथ के दर्शन किये।

शिवपुर धाम मे प्रत्येक साल महाशिवरात्रि और सावन के मौके पर विशाल मेले का आयोजन होते आ रहा है। शिवपुर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व होने के कारण पुरे जिले सहित दूर – दूर से श्रद्धांलू बाबा जलेश्वरनाथ का दर्शन करने आते है।ज्ञात हो कि प्रतापपुर क्षेत्र में आस्था का केन्द्र बने शिवपुर धाम में प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि पर लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है। इस अवसर पर विशाल मेले का भी आयोजन किया जाता है। पिछले दो दशक से भी अधिक समय से आयोजित हो रहे इस मेले को देखने के लिये उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, के सीमावर्ती क्षेत्रों से भी भक्तों का जन्म सैलाब उमड़ता है। मंदिर को भी इस वर्ष फूलों के साथ में झालर व लाइटिंग की भव्यता के साथ में सजाया गया है जिससे मंदिर का सौंदर्य और भी बढ़ गया है। भोले बाबा के जयकारे लगाते हुए लोग बरबस ही शिवपुर खींचे चले आ रहे थे

ऐसी मान्यता है कि प्रतापपुर के राजा प्रताप सिंह को स्वप्न में शिवपुर स्थित पहाड़ी के भीतर इस शिवलिंग के दर्शन हुए थे, जिसके बाद राजा ने पहाड़ को खोदवाया था। खोदाई में यह शिवलिंग मिला और इसी समय से ही पहाड़ से जलधारा बहनी शुरू हुई, जो अब तक बह रही है।

पुराने इतिहास की जानकारी रखने वाले बताते हैं कि मंदिर में नाग-नागिन का जोड़ा रहा करता था, लेकिन जंगल की आग में एक दिन नाग-नागिन के जोड़े में से एक की मृत्यु हो गई, जिसके बाद भगवान शिव के अभषिेक के लिए पहाड़ से निकलने वाली जलधारा बंद हो गई थी, लेकिन राजा ने फिर भगवान शिव का दुग्धाभषिेक किया जिसके बाद पहाड़ से जलधारा दोबारा प्रवाहित होनी शुरू हो गई।

गौरतलब है कि यह धारा बारहों महीने बराबर रफ्तार में बहती है न ही बरसात में इसमें बाढ़ आती है और न ही गर्मी में यह सूखती है। यहां शिवलिंग के साथ महागौरी का संगम शिवलिंग में देखा जा सकता है, इसके अलावा पहाड़ से जो जलधारा निकलती है वो शिवलिंग का अभषिेक करते हुए एक मानव निर्मित बड़े से कुंड में एकत्रित होती है। पहाड़ी से निकलने वाली यह जलधारा प्राचीन काल से ही रहस्य बनी हुई है, कई भूगर्भ शास्त्री इस जल के स्रोत का पता लगाने आए पर कोशिशों के बावजूद जल के स्रोत का पता लगाने में असफल रहे।

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