अंबिकापुर: अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के तहत मिलेट्स कोदो, कुटकी, रागी ज्वार बाजरा इत्यादि के पोषक वैल्यू व खाद्य सुरक्षा को ध्यान रखते हुए जनमानस में जागरूकता लाकर दैनिक खान पान में शामिल करते हुए उत्पादन ,उत्पादकता एवं विपणन को प्रोत्साहित करने भारत सरकार के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ में भी आयोजनों की कार्य योजना निर्धारित की गई है ।जिसके तहत छत्तीसगढ़ शासन उच्च शिक्षा विभाग ने भी महाविद्यालयों को कार्यक्रम आयोजित करने के लिए दिशा निर्देश प्रदान किया है।
इस श्रृंखला में राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अंबिकापुर के भूगोल स्नातकोत्तर विभाग द्वारा व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ रिजवान उल्ला ने कहा कि अच्छी सेहत न केवल हर इंसान के लिए जरूरी है बल्कि देश के सरकार का भी यही विजन है कि कुपोषण की समस्या दूर हो और पूरा राष्ट्र स्वस्थ हो । मिलेट्स अनाजों के बारे में आज देश में जागरूकता की जरूरत पड़ गई है जबकि हमारे देश के खान-पान के प्रमुख फसल के रूप में जाने जाते रहे हैं।
आमंत्रित विषय विशेषज्ञ एवं अतिथि डॉ पीके जायसवाल, कृषि वैज्ञानिक शासकीय कृषि महाविद्यालय अजीरमा ने
अपने उद्बोधन में कहा कि खाद्यान्न सुरक्षा वास्तव में बहुआयामी अवधारणा है जिसमें भोजन की उपलब्धता हर आदमी तक उसकी पहुंच, उसका सही उपभोग व उसकी सुरक्षा सभी पहलू शामिल है ।स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक के 75 सालों के दौरान खाद्यान्न के उत्पादन, पैदावार, फसली क्षेत्र के आंकड़ों पर गौर करें तो पाते हैं की 1960 -65 के वर्ष तक भारत को खाद्यान्न अनाज आयात करना पड़ता था, किंतु 2023 में इसकी प्रगति आशा से भी अधिक है। हमारे देश की सरकार मोटे अनाज जिन्हें श्री अन्न नाम दिया है को लेकर बेहद गंभीर है ।न सिर्फ इन अनाजों के उत्पादन, प्रचार प्रसार, रिसर्च मार्केटिंग जैसे कामों के लिए भी इसमें बजट के प्रावधानों की घोषणा भी की गई है।
स्वागत उद्बोधन देते हुए भूगोल विभाग के अध्यक्ष डॉ रमेश जायसवाल ने कहा कि हमारे देश के पहल के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है । निश्चय ही मिलेट्स उत्पादन की प्रवृत्तियां बढ़ने से देश को न सिर्फ आर्थिक लाभ बल्कि स्वास्थ्य लाभ भी मिलेगा।
व्याख्यान माला की विषयवस्तु प्रस्तुत करते हुए भूगोल विभाग के प्राध्यापक डॉक्टर अनिल सिन्हा ने कहा कि अच्छी सेहत न केवल हर इंसान के लिए जरूरी है बल्कि देश के सरकार का भी यही विजन है कि कुपोषण एवं विभिन्न बीमारियों से संबंधित समस्या दूर हो और पूरा राष्ट्र स्वस्थ्य हो। खाद्यान्न समस्या दूर करने के लिए हरित क्रांति की पहल ने छोटे दानों वाले अनाज को हाशिए पर धकेल दिया ।
इस अवसर पर भूगोल विभाग के छात्रों ने भी अपने तीन व्याख्यान प्रस्तुत किए। इन छात्रों में पंकज तिवारी,बृजेश पांडे, विनीता सिंह, परमेश्वरी ,राहुल कुमार,सिंधु इस्माइल तिर्की ने प्रमुखता से प्रस्तुतीकरण में सहयोग दिया। उनके प्रस्तुत आलेख में कहा गया कि हमारे देश में इन श्री अन्न के उत्पादन को मानव की खाद्य श्रृंखला में शामिल करने से देश में कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी फसले उगाई जा सकती है और इन्हें वैकल्पिक आहार के रूप में शामिल किया जा सकता है। हम सभी जानते हैं की कॉर्नफ्लेक्स, दलिया या फाइबर युक्त सामग्री हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना उपयोगी है । निश्चय ही इन मोटे अनाजों के सेवन से शरीर को पर्याप्त ऊर्जा, पाचन तंत्र, हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर और अन्य बीमारियों के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान हो सकेगा।
इस अवसर पर महाविद्यालय के अध्यापक गण तथा विभिन्न कक्षाओं के छात्राएं उपस्थित रहे।व्याख्यान माला कार्यक्रम का कुशल संचालन व धन्यवाद ज्ञापन भूगोल विभाग की प्राध्यापिका दीपिका स्वर्णकार ने किया।