बलरामपुर: जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिराजुद्दीन कुरैशी की अध्यक्षता में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आरागाही में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं द्वीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
विधिक साक्षरता शिविर में सिराजुद्दीन कुरैशी ने उपस्थित समस्त छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि कानून अपने आप में एक समंदर है, सभी कानूनों को विस्तारपूर्वक जानना संभव नहीं है, किन्तु कुछ मूलभूत कानूनों के बारे में आवश्यक रूप से अवगत होगा चाहिए इससे अपने आप के साथ-साथ समाज में भी जागरूकता आती है। हम कानून के मूलभूत जानकारी के आधार पर अपराध करने से बच सकते हैं, यह कानून मील का पत्थर साबित हो सकती है। उन्होंने उपस्थित छात्र-छात्राओं को कहा कि वर्तमान में छोटे उम्र के लड़के-लड़कियां भी अपराध कर रहे हैं, जिस वजह से हम ऐसे अंधेरे में फंस जाते हैं, जिनका कोई अंत नहीं है। यदि कोई व्यक्ति आपसे गंदी बातें करता है अथवा अन्य तरीके से छूने की कोशिश करता है, तो उसका विरोध तुरंत करना चाहिए, आपकी खामोशी अपराधी का हौसला बढ़ाती है। उन्होंने मोबाईल के दुष्परिणाम से भी छात्र-छात्राओं को अवगत कराया। श्री कुरैशी ने छात्र-छात्राओं को मोबाइल के दुरुपयोग से बचने को कहा क्योंकि वर्तमान समय में मोबाइल, अपराध का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। छात्र जीवन में अनुशासन अत्यंत आवश्यक है, अनुशासन के आधार पर ही छात्र अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं को नशा मुक्त रहने की सलाह के साथ विधिक सहायता एवं सलाह के बारे में विस्तार पूर्वक बताया।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आशीष पाठक ने उपस्थित समस्त छात्र-छात्राओं को पॉक्सो एक्ट के बारे में बताते हुए कहा कि इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामले में कार्यवाही की जाती है। इस कानून के तहत् अपराधों की सुनवाई विशेष न्यायालय द्वारा बच्चे के माता-पिता या जिन लोगों पर बच्चे भरोसा करते है, उनकी उपस्थित में होता है। इस प्रकरण में पीड़ित बच्चे की पहचान, जिसके अंतर्गत उसका नाम, पता, फोटोचित्र, परिवार के विवरण, विद्यालय, पड़ोसी या किन्ही अन्य विवरण को प्रकट नहीं किया जाता है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंकज आलोक तिर्की ने मोटर व्हीकल एक्ट के बारे में बताते हुए कहा कि बगैर लाइसेंस के वाहन चलाना, अयोग्य व्यक्ति द्वारा वाहन चलाना, ओवर स्पीड में वाहन चलाना, शराब पीकर वाहन चलाना, रेसिंग करना, लाइसेंस नियमों का पालन न करना, ओवरलोडिग वाहन चलाना, सीट बेल्ट नहीं लगाना, दो पहिया वाहन पर दो से अधिक व्यक्ति को बैठाना, बगैर हेलमेट वाहन चलाना तथा एम्बुलेंस आदि को रास्ता न देना सभी मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आते हैं। इन सभी मोटर व्हीकल एक्ट नियमों का उल्लंघन करने पर करने पर 1 हजार से 10 हजार रूपये तक का जुर्माना एवं जेल का प्रावधान है। उन्होंने साईबर क्राइम के बारे में बताते हुए कहा कि साईबर क्राइम एक ऐसा अपराध है जो कम्प्यूटर एवं नेटवर्क से जुड़ा हुआ है। मोबाईल आदि में होने वाले धोखाधड़ी आदि साईबर क्राइम के अंतर्गत आने वाले मामले हैं। आज के टेक्नीकल युग में कम्प्यूटर और इंटरनेट का उपयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है। अतः वर्तमान इंटरनेट की दुनिया में हम सभी को सर्तक होने की आवश्यकता है। मोबाइल में किसी भी अनजान व्यक्ति को अपने किसी भी दस्तावेजों का विवरण नहीं देनी चाहिए। मोबाइल में आने वाले अनावश्यक संदेश एवं लिंक पर नहीं जाना चाहिए।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव रेशमा बैरागी ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39(क) का उल्लेख करते हुए समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता के बारे में बताते हुए कहा कि इस अनुच्छेद के अंतर्गत सरकार यह कोशिश कर रही है कि समान अवसर के आधार पर न्याय सुलभ हो और वह कोई नागरिक आर्थिक परेशान से न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाए, इस हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विधिक सहायता एवं सलाह हेतु निरंतर प्रयास कर रहा है। विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा कमजोर वर्ग के पक्षकारों को किसी कानूनी कार्यवाही में कोर्ट फीस और देय अन्य सभी प्रभार यदा करना, कानूनी कार्यवाही में वकील उपलब्ध कराना, विधिक साक्षरता शिविर के माध्यम से कानून के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ बहुत से विधिक सेवा से संबंधित गतिविधियां की जा रही है, साथ ही उन्होंने नालसा हेल्प लाईन 15100 कानूनी जानकारी प्रदान करते हुए प्रथम सूचना रिपोर्ट एवं टोनही प्रताड़ना अधिनियम को विस्तारपूर्वक जानकारी दी।