नई दिल्ली। प्रधानमंत्री आवास योजना में राज्यों की भागीदारी को और अधिक पारदर्शी और स्पष्ट बनाने के लिए केंद्र सरकार ने इसके दूसरे चरण के क्रियान्वयन में राज्यों के लिए एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य कर दिया है कि वे अपने हिस्से की धनराशि खर्च करने में पीछे नहीं हटेंगे।
केंद्र सरकार का यह कदम इस लिहाज से अहम है, क्योंकि पीएम आवास योजना के पहले चरण में छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार और बंगाल की ममता बनर्जी सरकार जैसी कई गैर भाजपा शासित राज्य सरकारें केंद्र पर योजना की धनराशि जारी न करने या उसमें देरी के आरोप लगाती रही हैं।
कई सुधारों के साथ होगी लागू
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले सौ दिनों में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय की उपलब्धियों का विवरण देते हुए केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पीएम आवास योजना (शहरी) के दूसरे चरण में पहले के मुकाबले कई सुधार किए गए हैं। इनमें राज्यों को योजना में शामिल होने के लिए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के साथ एमओयू करना अनिवार्य है।
गौरतलब है कि पीएम आवास योजना (शहरी) के दूसरे चरण में एक करोड़ नए घर पांच साल की अवधि में बनाए जाने हैं, जिन पर करीब दो लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार खर्च करेगी। पीएम आवास योजना 2.0 में गांवों में दो करोड़ और शहरों में एक करोड़ घर बनाए जाने हैं। गत नौ सितंबर को कैबिनेट ने इस योजना को मंजूरी दी थी।
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि राज्यों को इस योजना के प्रति और अधिक जवाबदेह बनाने के लिए उनसे कई अहम सुधार करने के लिए कहा गया है, जिनमें प्रमुख हैं, उनकी ओर से एफोर्डेबल हाउसिंग नीति बनाना, शहरी नियोजन, डिमांड सर्वे के आधार पर लाभार्थियों की पहचान और धन के आवंटन के लिए पारदर्शी नीति का निर्माण।
इन्हीं सुधारों के आधार पर केंद्र सरकार की ओर से उनके लिए योजना का धन और प्रोत्साहन राशि जारी की जाएगी। इन सुधारों के लिए समय सीमा दिसंबर 2024 निर्धारित की गई है। एक अहम बदलाव यह भी है कि पीएम आवास योजना (शहरी) में पीएम स्वनिधि और पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभार्थियों, सफाईकर्मियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, उद्योगों के कर्मचारियों पर विशेष फोकस रहेगा।
इसके अलावा झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग भी इस योजना से जुड़ सकते हैं। जिनके पास अपनी जमीन नहीं है, उन्हें राज्य सरकार पट्टा उपलब्ध करा सकती है। झुग्गी-झोपडि़यों में रहने वाले लोग बीएलसी (बेनेफिशिएरी लेड कांस्ट्रक्टशन) और निजी-सरकारी सहयोग मॉडल पर चलाई जाने वाले एफोर्डेबेल रेंटल हाउसिंग, दोनों घटक में शामिल होकर योजना का लाभ ले सकते हैं।