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कोरबा: देश में कोयले की कमी और बिजली संकट को देखते हुए कोल इंडिया ने देश के 8 राज्यों में 6 से 12 साल पहले बंद की गई 293 में से 20 खदानों को फिर शुरू करने का फैसला किया है। ये खदानें सुरक्षा तथा व्यावसायिक कारणों से बंद की गई थीं। दोबारा शुरू होने वाली खदानों में छत्तीसगढ़ की 4 हैं, जिनका साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स (एसईसीएल) ने टेंडर जारी कर दिया है।
दरअसल 8 मई की स्थिति में देश के 173 में से 109 पॉवर प्लांट में कोयला के स्टॉक की 63 फीसदी कमी थी, जिसमें रोजाना और कमी आ रही है। इस वजह से कई राज्यों में 10 से 14 घंटे तक बिजली कटौती की जा रही है। इसीलिए कोल इंडिया ने इन बंद खदानों में फिर से खुदाई शुरू करने का निर्णय लिया है।
देश के अधिकांश पॉवर प्लांट कोयले से बिजली बनाते हैं। इन पॉवर प्लांट को वर्तमान में कोयले की सप्लाई कोल इंडिया की 7 कंपनियों के अंतर्गत 8 राज्यों में 345 कोयला खदानें हैं। इनमें से 151 अंडरग्राउंड, 172 ओपन कास्ट और 22 खदानों में इन दोनों तरीकों से कोयला निकाला जाता है। देश में कोयला उत्पादन का 83 फीसदी कोयला कोल इंडिया की खदानों से ही निकाला जाता है।
एसईसीएल की बंद पड़ी चार खदानों के लिए टेंडर किया गया है, इसमें से चिरमिरी क्षेत्र के बरतुंगा हिल में 19.62 और अंजन हिल में 6.43 मिलियन टन कोयला निकलने की उम्मीद है। भटगांव के कल्याणी माइंस में 1.9 और जोहिला के बीरसिंहपुर माइंस में 3.46 मिलियन टन कोयला निकलने की उम्मीद है।
कोयले से बिजली के मामले में प्रदेश के एक्सपर्ट का अनुमान है कि इन खदानों से कुल मिलाकर 31.44 मिलियन टन कोयला निकलेगा तो इससे हर क्षेत्र के पावर प्लांट देशभर को 15 दिन तक सप्लाई करने लायक बिजली बना सकते हैं।
बंद पड़ी खदानों को फिर से संचालन के लिए निजी कंपनियों को आवंटित किया जाएगा। निजी कंपनियां संबंधित कोयला कंपनियों को रेवन्यू में हिस्सा देंगी। इसकी शुरुआत की जा चुकी है। एसईसीएल ने चार बंद पड़ी खदानों के आवंटन के लिए टेंडर भी जारी कर दिया है।
लेकिन इनमें खदानों में रिजर्व यानी कोयला कम होना, पानी भरना तथा सुरक्षा को खतरा प्रमुख कारण हैं। कई खदानों को कोयले का खनन व्यावसायिक रूप से महंगा पड़ने तथा कोयला खुदाई की विपरीत परिस्थितियों के कारण भी बंद करने का निर्णय लिया गया था। इन्हीं बंद पड़ी खदानों को फिर शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
कोयले की सप्लाई घटने से बिजली कमी की दिक्कत भी 2020-21 में कोल इंडिया ने 596.22 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया था, जिसमें से सर्वाधिक योगदान एसईसीएल का रहा था। देश में बढ़ी रही बिजली की खपत ने कोयले की जरूरत बढ़ा दी है। पिछले कुछ सालों से गर्मी के दिनों में कोयले की सप्लाई घटने से बिजली की कमी की समस्या सामने आ रही है।
कोरोनाकाल में कोयले का उत्पादन कम हुआ। हालांकि पॉवर कंपनियों का उठाव भी कम रहा, फिर भी कुछ अन्य वजहों से कोयले की कमी हुई। अब कोल इंडिया ने उत्पादन बढ़ाने के लिए बंद की जा चुकी खदानों को फिर शुरू करने का फैसला लिया है।
एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. सनिष चंद्रा ने बताया कि कोयला मंत्रालय के निर्देश पर एमडीओ मोड, रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर एसईसीएल की चार माइंस के लिए टेंडर किया गया है। निजी कंपनियों को काम सौंपा जाएगा। सीएमपीडीआईएल के अनुसार चारों खदानों से 30 मिलियन टन उच्च क्वालिटी का नॉन कोकिंग कोयला निकलने की उम्मीद है। इन खदानों में 6 से 12 साल पहले काम बंद किया गया था, इसलिए इन्हें शुरू करना आसान है।
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