कोरबा: लोडिंग प्वाइंट से एनटीपीसी सीपत के लिए कोयला लेकर जाने वाली मालवाहक ट्रेनें दीपका होकर ही जाया करेंगी। बुधवार को दीपका में एनटीपीसी की एमजीआर लाइन से रेलवे की नई ट्रैक को कनेक्ट कर लिया गया। इस उद्घाटन अवसर पर डीआरएम बिलासपुर प्रवीण पांडेय सहित रेलवे और एनटीपीसी सीपत के आला अधिकारी मौजूद रहे। आगामी दिनों में कुसमुंडा व गेवरा से लेकर जूनाडीह साइडिंग तक सीपत का कोयला लेकर जाने वाली मालगाड़ियां इसी मैरी-गो-राउंड दीपका से होकर सीधे गतौरा होते हुए सीपत पहुंचेंगी। उन्हें नदी पार कर कोरबा या चांपा रूट पकड़ने की जरूरत नहीं होगी। रेलवे के अनुसार इस रास्ते से लोड रैक का परिचालन भी जल्द शुरू किया जाएगा।
इस नई व्यवस्था उद्घाटन अवसर पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर के मंडल रेल प्रबंधक प्रवीण पांडेय स्वयं पहुंचे थे। कनेक्टिविटी को शुरू करने के पहले डीआरए श्री पांडेय ने खुद अपने विशेष निरीक्षण यान से परीक्षण भी किया। इस मौके पर एनटीपीसी सीपत के जीएम समेत डिविजन के अनेक उच्च अधिकारी मौजूद रहे। डीआरएम श्री पांडेय ने बताया कि दीपका से गतौरा वाली लाइन अब तक कनेक्टेड नहीं थी। उसी का एमजीआर से कनेक्शन किया गया। उसका निरीक्षण करने के साथ ही दीपका में उसका उद्घाटन भी किया गया। गतौरा से सीपत वाली लाइन की पहले कोरबा एरिया से कनेक्टिविटी नहीं थी। कनेक्शन पूर्ण हो गया है, जिसका निरीक्षण किया गया। उन्होंने कहा कि रेलवे के हमारे इंजीनियर्स ने काफी शीघ्रता से यह कार्य पूर्ण किया है। उन्होंने बताया कि एक्जिस्टिंग रेल लाइन को ही कनेक्ट कर बेहतर व्यवस्था की गयी है। वहां एनटीपीसी की ही रेल लाइन है, जिसे नई रेलवे ट्रैक बिछाकर कनेक्ट किया गया है। कोयले की आपूर्ति के लिए सीपत को भेजी जाने वाली रैक, जो कोरबा होकर चांपा व गतौरा से घूमकर जाती थी, अब सीधे दीपका से ही सीपत तक जाएंगी। फिलहाल इस व्यवस्था में एनटीपीसी सीपत वाले कोयला लोड रैक ही सीधे दीपका से सीपत तक चली जाएंगी।
बंद होगा कोरबा-चांपा से घूमकर 127 किमी का सफर, अब सिर्फ 45 किमी
कोरबा से घूमकर जाने पर जहां सीपत की लोड रैक को 127 किलोमीटर लंबा का चक्कर लगाना पड़ता था, दीपका से सीपत सीधे जाने की सुविधा शुरू होने पर करीब 40 से 45 किलोमीटर में ही मालगाड़ियां सीपत पहुंच जाएंगी। इस तरह से उनके लिए कम से कम 80 किलोमीटर का लंबा फेरा लगाने से राहत मिल सकेगी। सीधे दीपका से सीपत की दौड़ से न केवल समय और ऊर्जा की बचत होगी, इस लंबे सफर के चलते पेश आने वाली परेशानियों से भी बचा जा सकेगा। एनटीपीसी संयंत्र के लिए कोयला आपूर्ति की गति भी तेज होगी और जरूरत के अनुरूप पूर्ति की प्रक्रिया सतत जारी और निर्बाध रखने में भी मदद मिलेगी।
कुसमुंडा-पुराना कुसमुंडा, जूनाडीह व गेवरा से भी जाएगी रैक
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे कोरबा एरिया के क्षेत्रीय रेल प्रबंधक जगदीप ने बताया कि एनटीपीसी की लाइन को रेलवे की लाइन से जोड़ दिया गया है। इस तरह एनटीपीसी की जो रैक कोरबा-चांपा से होकर जाती थीं, अब दीपका से ही सीधे सीपत जा सकेगी। वर्तमान में एनटीपीसी मैरी-गो-राउंड में साइलो के माध्यम से दीपका से सीधे कोयला लेते हैं, रेलवे से नहीं। पर रेलवे की जूनाडीह, गेवरा, कुसमुंडा व ओल्ड कुसमुंडा से रैक भेजा जाता है, जो अब सीधे नदी उस पार से दीपका होते हुए सीपत जा सकेंगे। इस तरह उनका कोरबा-चांपा होकर लंबी दूरी का रास्ता बचेगा और वे रैक 40 से 45 किलोमीटर की छोटी दूरी तय कर सीपत पहुंच सकेंगे।
नए अवसरों, रेल सेवाओं के लिए खुलेंगे द्वार-एआरएम जगदीप
एआरएम कोरबा जगदीप ने इस संबंध में जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि इस कनेक्टिविटी से नए अवसरों की दिशा में आगे बढ़ने की नई परिकल्पनाओं को भी बल मिलेगा। निकट भविष्य में रेल परिवहन व अन्य सेवाओं के द्वार खुलने की राह तैयार हो सकेगी। आगे चलकर रेलवे की गाड़ियां भी उसी रास्ते निकलेंगी तो इस ओर कोरबा-चांपा रूट का दबाव कम करने में भी मदद मिलेगी। समय व आर्थिक बचत के साथ सुविधा व रेल सेवाओं को बेहतर करने की दिशा में कार्य किए जा सकेंगे।
इंजन से ट्रायल रन सफल, फिर डीआरएम ने किया परीक्षण
एमजीआर से कनेक्टिविटी के लिए जो नई ट्रैक बिछाई गई है, उस पर ट्रायल रन कराया गया। इसके लिए नई ट्रैक पर सबसे पहले इंजन को रन किया जाता है। इंजन का परीक्षण सफल रहा और उसके बाद मंडल रेल प्रबंधक श्री पांडेय ने अपनी विशेष निरीक्षण यान पर खुद सवार होकर नई ट्रैक पर रन कर उसका परीक्षण किया। रेलवे से निर्धारित सुरक्षा व गुणवत्ता के सभी पैमानों पर यह ट्रैक व कनेक्टिविटी खरी उतरी है, जिसमें आगामी दिनों में यथाशीघ्र कोयला लोड रैक का परिचालन भी शुरू कर दिया जाएगा। जूनाडीह, गेवरा व दीपका समेत नदी उस पार के ऐसे सभी लोडिंग प्वाइंट, जहां से सीपत के लिए लोड भेजा जाना है, वे सभी रैक कोरबा स्टेशन आने की बजाय दीपका मैरी गो राउंड के रास्ते निकल सकेंगी।