अंबिकापुर: भारत में 1960-70 के दशक में खाद्यान्न की कमी के कारण होने वाली भूख की समस्या से निजात दिलाने वाले भारतीय हरित क्रांति के जनक प्रोफेसर एम एस स्वामीनाथन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर व्याख्यान माला के साथ-साथ राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अंबिकापुर द्वारा श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। विभाग में सर्वप्रथम प्रोफेसर एस स्वामीनाथन के फोटो चित्र पर दीप प्रज्वलन कर पुष्पांजलि अर्पित की गई तथा 2 मिनट का मौन रखा गया।
व्याख्यान माला प्रारंभ करते हुए भूगोल विभागाध्यक्ष डा. आर के जायसवाल ने कहा कि भूगोल मनुष्य की प्रमुख आर्थिक व्यवस्था एवं विकास के प्राथमिक सेक्टर कृषि का अध्ययन करने वाला विषय है।
एमएस स्वामीनाथन ने एक ऐसी दुनिया की कल्पना के लिए लगातार काम किया जिसमें कोई भूख या गरीबी आबादी न हो। प्रोफेसर स्वामीनाथन ने भारत के लिए कृषि क्षेत्र में जिस नवीन प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग किया जिसके कारण अनाज का न सिर्फ उत्पादन बढा अपितु भंडारण के साथ-साथ निर्यात की ओर भी भारत ने कदम बढ़ाया।
इस अवसर पर विभाग के प्राध्यापक डॉ अनिल सिन्हा ने कहा कि प्रोफेसर स्वामीनाथन ने न सिर्फ कृषि उत्पादनों में वृद्धि के लिए वैज्ञानिक तरीके बताएं अपितु कृषि- पर्यावरण अनुकूल तकनीक, खाद्य उपलब्धता, जैव विविधता संरक्षण के लिए भी महान काम किया।विश्व में भारत को खाद्यान्न शक्ति के रूप में स्थापित करने में उनकी भूमिका अतुलनीय है।विभाग की प्राध्यापक दीपिका स्वर्णकार ने कहा कि स्वामीनाथन ने हरित क्रांति की मूल नींव रखी थी जिसके परिणाम स्वरूप भारत में धान, गेंहू के साथ-साथ सभी फसलों की उत्पादन मात्रा में आशातीत बढ़ोतरी हुई।यही कारण है कि भारत सरकार ने उनकी सेवाओं के आधार पर अनेकानेक सम्मान व पुरस्कार से नवाजा था।
भूगोल स्नातकोत्तर परिषद के छात्र पंकज तिवारी ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला तथा उन्हें भारत रत्न दिए जाने पर देश का सम्मान बढ़ने की बात कही। स्वाति ने कृषि नवाचारों व उत्पादन को बढ़ावा देने के योगदान के साथ किसानों के हितों की वकालत करने वाला वैज्ञानिक बताया। इस अवसर पर भूगोल विभाग के ओमकार कुशवाहा तथा छात्रों में भी अपने विचार रखे।व्याख्यान वाला का संचालन बृजेश कुमार पांडे ने किया तथा धन्यवाद किया भूगोल परिषद की अध्यक्ष कु. चंचल गुप्ता ने किया। इस अवसर पर भूगोल विभागों की समस्त स्नातकोत्तर छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।