रायपुर: महंगाई भत्ता और गृह भाड़ा बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदेश के करीब पांच लाख सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर हैं। हड़ताल पांच दिन की थी, लेकिन शनिवार और रविवार के कारण नौ दिन की हो गई हैै।

इससे सरकार के खजाने और कामकाम पर विपरीत असर पड़ा है। कर्मचारी नेताओं के अनुसार हड़ताल के कारण करीब 12 सौ करोड़ से अधिक का राजस्व प्रभावित हुआ है। वहीं, जिलों से लेकर मंत्रालय तक करीब 25 हजार से ज्यादा फाइलें जाम हो गई हैं।

छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने बताया कि हड़ताल के कारण प्रदेश केसभी सरकारी कार्याल्य बंद हैं। आबकारी, कलेक्टेरेट, तहसील कार्यालयों, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, नगर निगम जैसे कई महत्वपूर्ण विभाग में तालीबंदी रही। इसका सीधा असर सरकार के राजस्व आदम पर पड़ा है। हड़ताल के दौरान राज्य शासन को लाखों रुपये के राजस्व की हानि हुई है।

इधर, सरकारी कामकाज ठप होने का असर आम लोगों के काम पर भी पड़ रहा है। लोक सेवा के अंर्तगत मिलने वाली जन्म, मृत्यु प्रमाण पत्र सहित अन्य के लिए च्वाइस सेंटरों के माध्यम से आवेदन तो जमा हो रहे हैं, लेकिन हड़ताल की वजह से प्रमाण पत्र जारी नहीं हो पा रहा है।


हड़ताल के बावजूद सरकार ने अब तक कर्मचारियों की मांगों पर कोई निर्णय नहीं लिया है। फेडरेशन के नेताओं ने इसे सरकार की हठधर्मिता बताया है। फेडरेशन के संयोजक वर्मा ने बताया कि सरकार के रवैये को देखते हुए कर्मचारियों में रोष बढ़ा है। अब अनिश्चितकालीन हड़ताल की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए फेडरेशन में शामिल सभी मान्यता प्राप्त संगठनों की 31 जुलाई को रायपुर में बैठक बुलाई गई है।

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