सूरजपुर: छत्तीसगढ़ राज्य में आगामी फसल बुआई कार्य के पूर्व खुले में चराई कर रहे पशुओं के नियंत्रण हेतु रोका-छेका प्रथा प्रचलित है, जिसमें फसल बुआई को बढ़ावा देने तथा पशुओं के चरने से फसल को होने वाली हानि से बचाने के लिये पशुपालक तथा ग्रामवासियों द्वारा पशुओं को बांधकर रखने अथवा पहटिया (चरवाहा) की व्यवस्था इत्यादि कार्य किया जाता है। इसी के परिपालन में सूरजपुर जनपद पंचायत के अंतर्गत बसदेई, केशवनगर, सिलफिली, झांसी एवं कमलपुर गौठान में ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में रोका-छेका का आयोजन किया गया।
इस दौरान फसल को चराई से बचाने हेतु पशुओं को गौठान में नियमित रूप से लाये जाने के संबंध में जानकारी दी गई। रोका छेका प्रथा अंतर्गत गौठानों में पशुओं के प्रबंधन व रखरखाव की उचित व्यवस्था, गौठानों में पशु चिकित्सा तथा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन करने, वर्षा के मौसम में गौठानों में पशुओं के सुरक्षा हेतु व्यापक प्रबंध करने की जानकारी दी गई एवं वर्षा से जल भराव की समस्या दूर करने के लिये गौठानों में जल निकास की समुचित व्यवस्था तथा गौठान परिसर में पशुओं के बैठने हेतु कीचड़ आदि से मुक्त स्थान की उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने की जानकारी दी गई।
वर्षा, बाढ़ से गौधन न्याय योजना अंतर्गत क्रय गोबर, उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट को सुरक्षित रखने के प्रबंध करने, गोधन न्याय योजना अंतर्गत उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट एवं सूपर कम्पोस्ट के खेती में उपयोग हेतु कृषकों को प्रेरित करने कहा गया।
गौठान में पर्याप्त चारा, पैरा आदि की व्यवस्था एवं ग्रीष्मकालीन धान की फसल के पैरादान हेतु कृषकों को प्रेरित करने कहा। इस दौरान सूरजपुर जनपद पंचायत सीईओ आकांक्षा त्रिपाठी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, बीपीएम, सरपंच, पंच, स्व सहायता समूह की महिलाएं एवं ग्रामीण जन उपस्थित थे।