अम्बिकापुर: राजीव गाँधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अम्बिकापुर में 6 और 7 दिसम्बर 2024 को “लैंगिक समानता में नारीवाद की भूमिका मुद्दे और चुनौतियाँ” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से विद्वान, शिक्षाविद, शोधकर्ता, और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए, जिन्होंने नारीवाद और लैंगिक समानता से जुड़े समकालीन मुद्दों पर चर्चा की।
सम्मेलन का उद्घाटन प्रो. प्रेम प्रकाश सिंह, कुलपति, संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय, सरगुजा ने किया। उन्होंने नारीवाद के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लैंगिक समानता समाज की प्रगति के लिए अनिवार्य है। विशिष्ट अतिथि प्रो. आशुतोष कुमार, संपादक आलोचना त्रैमासिक और प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय, ने नारीवाद के सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए। डॉ. शुभ्रा नगालिया, एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. बी. आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, ने बीज वक्तव्य देते हुए नारीवाद की आवश्यकता और उससे जुड़े संघर्षों पर जोर दिया।
प्रथम तकनीकी सत्र: “जाग तुझको दूर जाना”
इस सत्र में छत्तीसगढ़ की पूनम वासम और झारखंड की पार्वती तिर्की ने अपनी कविताओं के माध्यम से नारीवाद और लैंगिक समानता के मुद्दों को रेखांकित किया। सत्र की अध्यक्षता प्रो. आशुतोष कुमार ने की, जबकि डॉ. उमा गुप्ता ने संयोजन किया।
दूसरा दिन: फिल्म प्रदर्शन और शोध पत्र प्रस्तुतिकरण
दूसरे दिन की शुरुआत फिल्म जया जया जया हो’की स्क्रीनिंग और परिचर्चा से हुई। फिल्मकार निरंजन कुजूर ने इसके सामाजिक संदेश पर चर्चा की। तकनीकी सत्र में विभिन्न शोधकर्ताओं ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। सत्रों की अध्यक्षता प्रो. प्रणय कृष्ण (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) और डॉ. अनिल कुमार सिन्हा ने की। कोरस इलाहाबाद द्वारा प्रस्तुत नाटक चलीं हैं कलेक्टर बनाने”ने नारीवाद और लैंगिक समानता की जमीनी चुनौतियों को प्रभावी ढंग से दर्शाया।
इस समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. एस. के. त्रिपाठी ने लैंगिक समानता की दिशा में सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया। अन्य विशिष्ट अतिथियों ने भी सम्मेलन की उपलब्धियों को रेखांकित किया।