बिजनेस डेस्क। सोमवार को रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 80.15 पर आ गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त को देखते हुए रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 31 पैसे टूटकर अपने सबसे निचले स्तर 80.15 रुपये पर पहुंच गया।
इंटरबैंक विदेशी मुद्रा में रुपया, डॉलर के मुकाबले 80.10 पर खुला। लेकिन कुछ ही देर बाद यह 80.15 पर पहुंच गया। पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले इसमें 31 पैसे की गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 79.84 पर बंद हुआ था। इस तरह रुपया पिछले महीने के 80.06 के अपने सर्वकालिक निचले स्तर को भी पार कर गया। बता दें कि इस साल अमेरिकी डॉलर रुपये के मुकाबले अब तक 7 फीसद ऊपर है।
डॉलर इंडेक्स, जो छह मुद्राओं के मुकाबले ग्रीनबैक की ताकत का अनुमान लगाता है, 0.51 प्रतिशत बढ़कर 109.35 पर कारोबार कर रहा था। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल द्वारा मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए दरें बढ़ाते रहने के एलान के बाद डॉलर सूचकांक में तेजी आई। अब तक की सबसे खराब मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने इस साल अपनी प्रमुख ब्याज दरों में चार बार बढ़ोतरी की है। मौद्रिक नीति पर फैसला करने के लिए फेड नीति निर्माताओं की अगले महीने फिर से बैठक होगी। फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी के प्रमुख अनिल कुमार भंसाली के अनुसार, रुपया कमजोर नोट पर खुला। वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.86 प्रतिशत बढ़कर 101.86 डॉलर प्रति बैरल हो गया। स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक शुक्रवार को पूंजी बाजार में शुद्ध विक्रेता थे, क्योंकि उन्होंने 51.12 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की।
अमेरिकी डॉलर सूचकांक 20 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इसके चलते यूरो और पाउंड अपने रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गए। एशियाई मुद्राएं 0.30% – 0.50% के नुकसान के साथ कारोबार कर रही हैं। युआन 2 साल के निचले स्तर पर है। बाजार के जनकरोना का मानना है कि आज के कारोबार में रुपया 80.30 तक जा सकता है। आरबीआई ने फिलहाल इस ताजा गिरावट को रोकने के लिए कोई हस्तक्षेप नहीं किया है। लेकिन अगर यह सिलसिला थमा नहीं तो आरबीआई कुछ जरुरी कदम उठा सकता है।
जितना रुपया कमजोर होगा, उतना ही देश का आयात बिल बढ़ेगा। इससे व्यापार घाटा भी बढ़ेगा। भारत भारी मात्रा में पेट्रोलियम प्रोडक्ट, मोबाइल फोन, खाने का तेल, सोना-चांदी, रसायन और उर्वरक का आयात करता है। रुपया कमजोर होने से सभी आयात महंगे हो जाते हैं। रुपये की कमजोरी से विदेश यात्रा, विदेश में पढ़ाई करने या फिर विदेश से ली गई किसी अन्य सेवा के लिए भी पहले से अधिक पैसा देना पड़ता है।