मधुमक्खी पालन बन रहा अतिरिक्त आय का साधन
बेमेतरा: छ.ग. शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा अउ बाड़ी अंतर्गत कुटीर उद्यागों, लघु एवं मध्यम कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए गौठान ग्राम-कुरुद, विकासखण्ड-साजा में कृषकों के प्रक्षेत्र पर मधुमक्खी पालन कार्य जिला कलेक्टर विलास भोसकर संदीपान के मार्गदर्शन एवं जिला पंचायत सी.ई.ओ. लीना मंडावी के निर्देशानुसार, इटेलियन प्रजाति की मधुमक्खी कॉलोनी की 60 मधुमक्खी पेटी में कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा द्वारा मधुमक्खी पालन कार्य संचालित किया जा रहा है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एकता ताम्रकार ने बताया कि रबी मौसम में ग्राम पातरझोरी एवं पथर्रीखुर्द मे 20-20 एकड़ मे सूरजमुखी तथा ग्राम कुरुद में 15 एकड़ मे धनिया फसल से मधुमक्खी पालन का कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में धनिया फसल से 40 किलोग्राम शहद का निष्कासन किया गया है। सूरजमुखी की फसल में फूल आने में 10 से 15 दिन का समय लगेगा, तत्पश्चात सूरजमुखी फसल से भी शहद निष्कासन किया जावेगा। सूरजमुखी फसल से शहद निष्कासन हेतु इटेलियन प्रजाति की मधुमक्खी कॉलोनी की 20 पेटी ग्राम पातरझोरी में एवं 20 पेटी ग्राम पथर्रीखुर्द में स्थापित की गई है।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रंजीत सिंह राजपूत के द्वारा बताया गया कि के.वि.के. बेमेतरा के तकनिकी मार्गदर्शन में केन्द्रीय मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान खादी और ग्रामोद्योग आयोग, पुणे से एक महीने का सर्टिफकेट कोर्स करके आये युवा कृषक संजय वर्मा तथा सुंदल लाल जंघेल के साथ साथ हेमचंद, देवराज वर्मा, राहुल पटेल एवं जमील अंसारी ने 10 अतिरिक्त मधुमक्खी पेटी तैयार कर कृषि महाविद्यालय बेमेतरा तथा रायपुर को प्रदान कर रूपए 44000 की अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त की जा रही है
कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा के वैज्ञानिक श्री तोषण कुमार ठाकुर, डॉ. जितेन्द्र जोशी, डॉ. हेमन्त साहू, शिव कुमार सिन्हा, पलाश चौबे, पंचूराम यादव, स्पर्श पटेल, ओमप्रकाश साहू द्वारा निरंतर कृषकों को गोठान ग्रामों में मधुमक्खी पालन हेतु तकनीकी मार्गदर्शन प्रदाय किया जा रहा है। कृषि विभाग, बेमेतरा से जितेन्द्र ठाकुर, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी, साजा, प्रेमेन्द्र पटेल एवं बलवंत डडसेना ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, ग्राम- पातरझोरी, पथर्रीखुर्द एवं कुरुद में सहयोग भी सराहनीय रहा। कृषि विभाग कृषकों से सतत संपर्क कर मधुमक्खी पालन हेतु सरसों, धनिया व सूरजमुखी फसल लगाने के लिए कृषकों को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है।