सूरजपुर: सरगुजा व बस्तर संभाग में स्थानीय आरक्षण को शत् प्रतिशत तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भर्ती में स्थानीय मूलनिवासियों के लिए सुनिश्चित करते हुए पूर्व कि भांति जिला रोस्टर बहाल करने और छत्तीसगढ़ पेशा नियम 2022 में सुधार करते हुए, केंद्रीय पेशा कानून 1996के मूलभावना अनुरूप बनाये जाने के संबंध में सर्व आदिवासी समाज सूरजपुर ने सीएम के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

देखिए यह है प्रमुख मांग

01. यह कि छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में बस्तर एवं सरगुजा संभाग व कोरबा पेन्ड्रा, मरवाही एवं अन्य जिलों के अनुसूची विकास खण्डो, कैडरों के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदो पर स्थानीय मूलवासियों के लिए शत्-प्रतिशत् पदो पर आरक्षित करते हुए जिला रोस्टर अनुसार भर्ती किया जावे । छत्तीसगढ़ पेसा नियम 2022 में सुधार करते हुए उसे केन्द्रीय पेसा कानून के मूल भावना अनुरूप बनाया जावे जिसमें यह प्रावधान हो (क) ग्राम सभा का कार्यालय गांव में ही बनाया जावे।

(ख) ग्राम सभा का सचिव ग्राम सभा द्वारा ही गांव के लोगो में से तय किया जावे।

(ग) ग्राम सभा का खाता ग्राम सभा द्वारा नामित दो व्यक्ति द्वारा संचालित किया जावे ।

(घ) ग्राम सभा के निर्णय के खिलाफ अपील सिर्फ ग्राम सभा में ही कि जावे, ना किएस.डी.एम. के समक्ष ।

(ङ)ग्राम सभा को सभी वनोपज, जिसमें तेन्दुपत्ता भी शामिल है, का पूर्ण स्वामित्व, खरीदी और बिक्री का अधिकार मिले जिसमें सभी राष्ट्रिकृत वनोपज भी शामिल किया जावे।

(च) छत्तीसगढ़ पेसा नियम 2022 के नियम 35 (1) के अनुसार सभी ग्राम सभा को तत्काल गांव से संबंधित सभी राजस्व और वन अभिलेख की अद्यतन प्रति उपलब्ध करवाई जावे ।

(छ) छत्तीसगढ़ पेसा नियम 2022 के नियम 55 के अनुसार विश्व आदिवासी दिवस 09 अगस्त 2023 तक राज्य के सभी कानून, नियम, आदेश, निर्देश और परिपत्र में संशोधन किया जावे।

03.छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता की धारा 165 (6) (दो) के बाद दिए गए स्पष्टीकरण को विलोपित करते हुए पांचवी अनुसूची क्षेत्र में आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों द्वारा पट्टा पर लिए जाने की छूट को समाप्त किया जावे।

छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग मंत्रालय महानदी भवन रायपुर का पत्र क्रमांक एफ-7-4 / सात- 1 / 2014 (पार्ट) नया रायपुर 23 अगस्त 2016 को जारी आदेश को निरस्त कर अनुसूचित क्षेत्रों में जो भूमि पट्टा एवं अनुबंध (लीज) पर दिया गया है। उसे मूल भूमि स्वामी को वापस दिलाया जावे।

04. भारत सरकार द्वारा वन संरक्षण अधिनियम 1980 में संशोधन के लिए लाया गया वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023 वापस लिया जाए, इस बाबत राज्य सरकार वापसी हेतु मन्तव्य पत्र हेतु प्रेषित किया जावे।

05. वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 के तहत् मान्य किए गए सामुदायिक वन संसाधन क्षेत्र (सीआरपीए) में से जमीन अधिग्रहण होने पर प्रदाय किए जाने वाले मुआवजे को ले कर स्पष्ट निर्देश दिए जाए। साथ ही छत्तीसगढ़ पेसा नियम 2022 के नियम 38 (4) (3) के तहत् वनोपज का नुकसान होने पर उसका मुआवजा 30 साल तक दिए जाने हेतु भी निर्देश प्रसारित किए जावे ।

06.पांचवी अनसूची क्षेत्रों पर बन्दोबस्त त्रुटि सुधार एवं 170 (क) (ख) के मामलों और पैतृक सम्पति में फौती नामान्तरण को ग्राम सभा के अन्तर्गत लाया जावे तथा आदिवासी विवाहित बहन-बेटियों का पैतृक सम्पती में फौती नामान्तरण हिन्दु उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत् कराने पर तत्काल लगाया जावे तथा पैतृकसम्पति में आदिवासी परम्परा अनुसार ही फौंती नामान्तरण किया जावें ।

7.पांचवी अनुसूची क्षेत्रों पर आदिवासियों के देवाठाना, देवल्ला, सरना, अखरा, रायस, ढोढ़ी, पोखर, तालाब, मरघट, गोचर आदि भूमियों का संरक्षण किया जावे ।

ज्ञापन सौंपने के दौरान मोतीलाल पैकरा जिलाध्यक्ष सूरजपुर, बृजमोहन सिंह गोंड महासचिव,राजा क्षितिज उइके जिलाध्यक्ष युवा प्रभाग, कृष्णा नारायण प्रताप सिंह चेरवा कोषाध्यक्ष,जुनास एक्का उपाध्यक्ष, चंद्र विजय आर्मो, पीताम्बर सिंह, सुषमा मिंज,निर्मला, लोरिया टोप्पो,मक्सिमा टोप्पो,स्माइल खलखो और भारी संख्या में सगाजन सम्मिलित रहे।

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