Swami Swaroopanand Saraswati Died: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को निधन हो गया। स्वामी स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती दो पीठों (ज्योतिर्मठ और द्वारका पीठ) के शंकराचार्य थे। वह सनातन धर्म की रक्षा के लिए आजीवन प्रयासरत रहे। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती लंबे समय से बीमार थे। उन्होंने नरसिंहपुर जिले की झोतेश्वर पीठ के परमहंसी गंगा आश्रम में अंतिम सांस ली। स्वामी स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अपनी बेबाक बयानी के लिए भी चर्चित थे। उनके निधन से संत समाज में शोक है।
99 वर्षीय स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। कुछ ही दिन पहले ज्योर्तिमठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में लौटे थे। उन्होंने इसी आश्रम में दोपहर साढ़े 3 बजे अंतिम सांस ली। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था और जेल भी गए थे।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितंबर 1924 को हुआ था। स्वामीजी ने महज नौ साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था। 1980 में उन्हें शंकराचार्य की उपाधि मिली थी। वह धर्म के साथ राजनीतिक मुद्दों पर भी अपनी बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते थे। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत अनेक वरिष्ठ नेता उनके अनुयायी रहे हैं। वह ज्योतिर्मठ और द्वारका पीठ के शंकराचार्य थे।
शंकराचार्य के शिष्य ब्रह्म विद्यानंद की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार को शाम 5 बजे परमहंसी गंगा आश्रम में समाधि दी जाएगी। महज 19 साल की उम्र में स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर उनकी ख्याति देशभर में फैल चुकी थी और वह क्रांतिकारी साधु के रूप में चर्चित हो गए थे। यह 1942 का दौर था जब देश अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई लड़ रहा था