रायपुर/अंबिकापुर।विधि की भाषा में डेड लेटर का मतलब होता है ‘बेकार’। सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में 30 अक्टूबर को अंजली भारद्वाज विरुद्ध केंद्र रिट याचिका में राज्य सरकारों द्वारा सूचना आयुक्त के रिक्त पदों को भरने में असफलता को लेकर कहा है कि राज्य सरकारें सुनिश्चित कर रही हैं कि सूचना का अधिकार एक डेड लेटर बन जाए। कोर्ट को यह भी बताया गया कि 6 नवम्बर से केन्द्रीय सूचना आयोग में कोई आयुक्त नहीं रहेगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने आदेशित किया है कि तत्काल ही रिक्त पदों को भरने के लिए कार्यवाही चालू करें। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रकरण की सुनवाई 24 नवंबर को निर्धारित करते हुए भारत सरकार से कहा है कि वह बताए कि देश में कितने सूचना आयुक्तों के पद हैं, उनमें से कितने रिक्त हैं और 31 मार्च तक कितने रिक्त होंगे, साथ ही कितनी अपील और शिकायतें लंबित है, इसकी जान करी मांगी है।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश आने उपरांत रायपुर के आरटीआई कार्यकर्ता भाविन जैन ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है की सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार तत्काल नियुक्ति की कार्यवाही करना सुनिश्चित करें। जैन ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय पहले भी आदेशित कर चुका है कि पद रिक्त होने के तीन माह पूर्व नियुक्ति की प्रक्रिया चालू करना है ताकि पद खाली न रहे। इसीलिए नवंबर और दिसंबर 2022 में छत्तीसगढ़ सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के पदों की रिक्ति होने के पूर्व उन्होंने अक्टूबर 2022 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देखकर मुख्य सचिव से निवेदन किया था कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार नियुक्ति शीघ्र की जावे, परंतु आज तक नियुक्ति नहीं की गई है। जैन ने आशा व्यक्त की सर्वोच्च न्यायालय के नए आदेश आने के उपरांत तत्काल ही नियुक्तियां की जाएगी।
आपको बता दें कि एमके राउत का कार्यकाल पूर्ण हो जाने के बाद नवंबर 2022 से छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त का पद खाली है। इसी प्रकार दिसंबर 2022 से अशोक अग्रवाल का कार्यकाल पूर्ण हो जाने से सूचना आयुक्त का एक पद खाली है। वर्तमान में पदस्थ दो सूचना आयुक्त मनोज कुमार त्रिवेदी और धर्मेंद्र जायसवाल का कार्यकाल 15 मार्च 2024 को पूरा हो जायेगा। इस से पहले 15 मार्च 2016 से 12 दिसम्बर 2017 तक भी मुख्य सूचना आयुक्त का पद रिक्त रखा गया था, तब चर्चा थी कि किसी आईएएस विशेष के लिए पद रिक्त रखा गया है।
राउत और अग्रवाल के कार्यकाल पूरा होने के पूर्व शासन ने नियुक्ति की प्रक्रिया चालू कर दी थी, आवेदन भी बुला लिए गए, जिनमे दो सेवा निवृत आईएएस ने भी आवेदन किया था, परन्तु नियुक्ति नहीं की गई। चर्चा है कि सरकार पुनः आवेदन बुलाने पर विचार कर रही थी, परन्तु सर्वोच्च न्यायालय के आदेश उपरान्त दिसम्बर में नई सरकार की प्राथमिकता आयुक्तों की नियुक्ति होगी। गौरतलब है कि पुरानी सरकार की परम्परा से हट कर भूपेश सरकार ने मीडिया से जुड़े दो लोगों की नियक्ति आयुक्त पद पर की थी।