सूरजपूर: जिला कलेक्टर एस. जयवर्धन के निर्देश पर जिला कार्यक्रम अधिकारी रमेश साहू के मार्गदर्शन मे जिले में बाल विवाह मुक्त सूरजपुर अभियान लगातार जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल के नेतृत्व में चलाया जा रहा है इस अभियान के अंतर्गत अन्य बाल संरक्षण के विभिन्न विषयों की जानकारी प्रतापपुर विकासखंड के स्कूलों हाइस्कूल में छात्र छात्राओ को इस विषय पर जागरूक किया गया शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सोनगरा और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करवां में यूनिसेफ़ और महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में बाल विवाह और बाल संरक्षण के महत्वपूर्ण विषयों पर कार्यशाला का आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में छात्रों को बाल विवाह की हानियों और बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया।
ज़िला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने विद्यार्थियों को बाल विवाह मुक्त सूरजपुर अभियान के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि भारत में बाल विवाह की दरें चिंताजनक हैं, और एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार, सूरजपुर जिले में यह दर 34.4% है, जो देश में सबसे अधिक है। इसे समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। जायसवाल जी ने विद्यार्थियों से अपील की कि वे बाल विवाह रोकथाम के एंबेसडर के रूप में कार्य करें और समाज में जागरूकता फैलाने में योगदान दें। उन्होंने बाल विवाह की परिभाषा, इसके कारण, नकारात्मक प्रभाव, और रोकथाम के उपायों पर विस्तार से चर्चा की। अपने अनुभव साझा करते हुए, उन्होंने वास्तविक जीवन की कुछ केस स्टडी के माध्यम से बाल विवाह के गंभीर परिणामों को समझाया।उन्होंने बच्चों से इसके लिए सहयोग करने की अपील की जिस पर बच्चों ने आश्वासन दिया कि वे शासन का कदम से कदम मिलाकर साथ देंगें और अपने अपने गाँव को बाल विवाह मुक्त करेंगें
जायसवाल जी ने पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act) के तहत बच्चों को लैंगिक अपराधों से बचाने के प्रावधानों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बच्चों को गलत तरीके से घूरना, पीछा करना, रास्ता रोकना, आपत्तिजनक चित्र दिखाना, या अनुचित रूप से छूना भी कानूनन अपराध है। गुड टच और बैड टच की पहचान करने और पॉक्सो अधिनियम के तहत सुरक्षा के लिए तीन प्रमुख सूत्र – नो (विरोध करना), गो (घटना स्थल से भागना), और टेल (किसी विश्वसनीय व्यक्ति को बताना) – को समझाया गया। और शिक्षा का अधिकार के बारे भी बताया गया स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से शिक्षा से जोड़ने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इसके अलावा कार्यशाला में बाल श्रम और भिक्षावृत्ति के खिलाफ जागरूकता भी बढ़ाई गई। उन्होंने बाल श्रम निषेध और विनियमन अधिनियम, 1986 के प्रावधान समझाते हुए बताया कि बच्चों से श्रम कराने पर 6 महीने से 2 साल तक की सजा और ₹20,000 से ₹50,000 तक का जुर्माना हो सकता है।अंत में, जायसवाल जी ने विद्यार्थियों को साइबर क्राइम और नशे के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों की जानकारी दी। उन्होंने साइबर सुरक्षा के उपायों और नशे से बच्चों को बचाने के लिए समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया। हेल्पलाइन नम्बरों की जानकारी दी, जिसमें चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098, महिला हेल्पलाइन नंबर 181, और आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर 112 को शामिल किया गया। उन्होंने इन टोलफ्री नम्बरों के महत्व और इनके उपयोग के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी, ताकि किसी भी आपात स्थिति में सहायता ली जा सके।
इस कार्यशाला में इस कार्यक्रम में ज़िला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जयसवाल, यूनिसेफ़ के ज़िला समन्वयक प्रथमेश मानेकर, माध्यम पीआर के अमित घोष, आउट टीचर पवन दीवार, चाइल्ड लाइन से जनार्धन यादव, श्री दिनेश यादव, प्राचार्य परमेश्वर पैकरा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सोनगर, प्राचार्य सतीश भारद्वाज शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करवा, डॉ. निशा सिंह जगरनाथ प्रसाद, विद्यालयो से सभी शिक्षक- शिक्षिका वर्ग एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।