अम्बिकापुर: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश बिहारी घोरे के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अम्बिकापुर के सचिव अमित जिन्दल ने 17 अगस्त 2022 को केन्द्रीय जेल अम्बिकापुर में विधिक सहायता शिविर का आयोजन किया।
शिविर में उन्होंने बताया कि प्ली बारगेनिंग के अनुसार सात साल के दण्ड तक के मामले में उस दशा को छोड़कर जहां अपराध देश की सामाजिक आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है या स्त्री या 14 साल के बालक के विरूद्ध किया गया हो, अभियुक्त के स्वेच्छा से आवेदन पेश करने पर प्रकरण का पारस्पारिक सन्तोषप्रद निपटारा अर्थात आपसी बातचीत से निपटारा किया जा सकता है। ऐसी दशा में धारा 360 या अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, 1958 (958 का 20 ) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के प्रावधान अभियुक्त के प्रकरण में आकर्षित है, तो वह अभियुक्त परिवीक्षा पर निर्मुक्त किया जा सकता है या न्यूनतम दण्ड के आधे दण्ड से या अन्य दशा में अपराध के लिए उपबन्धित या विस्तारित जैसी स्थिति हो, दण्ड के एक-चौथाई दण्ड से दण्डित किया जा सकेगा।
अमित जिन्दल ने आगे बताया कि छ.ग. उच्च न्यायालय के निर्णय एवं आदेश के संबंध में बताया कि यह विधि व्यवस्था की गई है कि यदि दोषसिद्धी होने पर अभियुक्त जेल जाता है या विचाराधीन बंदी की दोषसिद्धी होती है तो अभियुक्त को प्रदत्त निर्णय की प्रतिलिपि के अतिरिक्त, निर्णय की एक अन्य अतिरिक्त सत्यापित प्रति जेल प्राधिकारी को प्रेषित किए जाने की व्यवस्था की गई है ताकि कोई भी बंदी अपील के अधिकार से वंचित न रहे।