अम्बिकापुर – सरगुजा संभाग में पदोन्नति की प्रक्रिया नियम और क़ानूनची अधिकारियों की लेट लतीफी की भेंट चढ़ गई। जहाँ एक ओर बाकी संभाग में साफ सुथरे तरीके से राज्य स्तर के नियम को आधार बना पदोन्नति प्रक्रियाधीन है, वही दूसरी ओर सरगुजा संभाग में जारी नित नए नियमों से शिक्षक हलाकान है और आखिरकार सरगुजा संभाग में शिक्षकों की पदोन्नति अधिकारियों की लेट लतीफी की भेंट चढ़ी । विदित हो कि संभागीय कार्यालय से जारी प्रथम वरिष्ठता सूची में दावा आपत्ति मंगाई गई, लेकिन उसका बिना परीक्षण किए अंतरिम सूची जारी करने के बजाय सीधे अंतिम सूची जारी कर दी गई।
जानकर बताते है कि यह अंतिम सूची प्रथम सूची से भी ज्यादा विसंगति पूर्ण है और इसमें सुधार के लिए बहुत सारे शिक्षकों के आवेदन वरिष्ठता व परीक्षा अनुमति सहित अन्य विषयों को लेकर भी दिए गए है, लेकिन क़ानूनची अधिकारी इन सारे आवेदनों को ताक पर रखते हुवे तर्क दे रहे है कि अंतिम सूची में कोई परिवर्तन नहीं होगा,ऐसी स्थिति में शिक्षक न्यायालय की शरण लेने को बाध्य हुवे और कोर्ट ने पदोन्नति प्रक्रिया पर स्थगन लगा दिया, जिसकी सारी जिम्मेदारी सरगुजा संभागीय कार्यालय के होशियार अधिकारियों के ऊपर जाती है। पदोन्नति पदस्थापना के लिए हुई सेटिंग के बाद नए संयुक्त संचालक की नियुक्ति से अपना खेल बिगड़ता देख सारे दलाल हलाकान हुवे और अपनी समस्या लेकर संभागीय कार्यालय आये शिक्षकों को काटने को दौड़ रहे है। संभाग के शिक्षक नए संयुक्त संचालक श्री हेमंत उपाध्याय से बहुत उम्मीद लगाए बैठे है,क्योंकि नए संयुक्त संचालक की कार्यशैली”स्वयमेव मृगेन्द्रिता” की है अतः उनसे मिल कर शिक्षक संवर्ग की अंतिम वरिष्ठता सूची में हुई खामियों को बताते हुवे कार्यालय की तानाशाही से अवगत करा सके,जिससे यह पदोन्नति का जिन्न क़ानूनची अधिकारियों द्वारा चिराग के रगड़ने से नही वरन शिक्षकों के हितों को सुरक्षित करने से निकले।