अम्बिकापुर: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष आर.बी. घोरे के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री अमित जिन्दल ने बुधवार को केन्द्रीय जेल अम्बिकापुर में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया।

बताया गया कि जब भी किसी को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 तथा दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 50 के अनुसार गिरफ्तारी के कारण जानने का अधिकार है तथा दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 50 ए के अनुसार उसके परिवारजनों को उस व्यक्ति की गिरफ्तारी तथा गिरफ्तारी के कारण बताये जायेगें तथा माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय डी.के. बासू बनाम पश्चिम बंगाल राज्य ए.आई.आर. 1997 एस.सी. 610 में दिए गए निर्देशों के अनुसार गिरफ्तारी करने वाला पुलिस अधिकारी स्पष्ट पहचान चिन्ह धारण करेगा तथा गिरफ्तारी का मेमो तैयार करेगा तथा गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के परिवारजनों को उस व्यक्ति की गिरफ्तारी तथा गिरफ्तारी के कारण जानने का अधिकार होगा तथा गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को उक्त संबंध में जानने का तथा मेडिकल परीक्षण का तथा अधिवक्ता से मिलने का भी अधिकार होगा।

श्री जिन्दल ने बताया कि जमानतीय अपराध की दशा में जमानत दिए जाने का आज्ञापक प्रावधान है तथा प्ली बारगेनिंग के अनुसार सात साल के दण्ड तक के मामले में उस दशा को छोडकर जहां अपराध देश की सामाजिक आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है या स्त्री या 14 साल के बालक के विरूद्ध न किया गया हो को छोडकर अभियुक्त के स्वेच्छा से आवेदन पेश करने पर प्रकरण का पारस्परिक सन्तोषप्रद व्ययन किया जा सकता है तथा ऐसी दशा में अभियुक्त धारा 360 या अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, 1958 ( 958 का 20 ) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के प्रावधान अभियुक्त के प्रकरण में आकर्षित है, तो वह अभियुक्त परिवीक्षा पर निर्मुक्त किया जा सकता है या न्यूनतम दण्ड के आधे दण्ड से या अन्य दशा में अपराध के लिए उपबन्धित या विस्तारित जैसी स्थिति हों, दण्ड के एक-चौथाई दण्ड से दण्डित किया जा सकेगा ।

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