अंबिकापुर: परसा कोल् माइंस के बढ़ते राजनीतिकरण और उस से हो रहे क्षेत्र के रोजाना नुकसान से दुखी हो कर, छत्तीसगढ़ के सात गावों लोगों ने अब सीधे कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गाँधी से गुहार लगायी है 2 जून को लिखे गए पत्रों के द्वारा परसा, फतेहपुर, बासन, घटबर्रा, साल्हि, जनार्दनपुर तथा तारा के निवासियों ने विस्तार से खनन परियोजना से होने वाले लाभ को बताते हुए प्रार्थना की है की खनन कार्य जल्द से जल्द शुरू किया जाये| उन्होंने ये भी बताया की कुछ बाहरी लोग और फ़र्ज़ी NGO साथ मिल कर गांव वालों को इस परियोजना के खिलाफ भड़काने का कार्य कर रहे हैं।
विगत कुछ समय से बाहरी लोगों और फ़र्ज़ी NGO का लगातार हमारे ग्रामों में आवागमन हो रहा है एवं हमारे गांव के भोले-भाले आदिवासियों को भड़काकर परसा कोयला खदान को रोकने हेतु गैर कानूनी कदम उठाये जा रहे हैं, जिससे परियोजना खुलने में देरी हो रही है एवं हमें रोजगार मिलने में विलम्ब हो रहा है,” साल्हि ग्राम पंचायत की तरफ से राहुल गाँधी को लिखे गए पत्र में ग्रामीणों ने कहा।
गांव के 50 से अधिक लोगों ने इस पत्र पर अपने हस्ताक्षर भी किये।चिट्ठी की प्रतियां छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अशोक गेहलोत, क्रमशः, छत्तीसगढ़ के स्वास्थ मंत्री टी एस सिंह देव, सुरगुजा कलेक्टर और अंबिकापुर के पुलिस महानिरीक्षक को भी भेजी गयी।अपनी बात रखते हुए ग्रामीणों ने आगे कहा, “आपसे निवेदन है की बाहरी लोगों एवं NGO द्वारा हमारे ग्राम में चलाये जाने वाली गैरकानूनी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाते हुए परसा कोयला खदान जल्द से जल्द शुरू करवाने की कृपा करे ताकि भू-विस्थापितों परिवारों को अविलम्ब रोजगार प्राप्त हो सके एवं क्षेत्र के विकास के विकास का मार्ग प्रशष्त हो।
घटबर्रा गांव के निवासियों ने अपने पत्र में खनन परियोजना से होने वाले आर्थिक विकास का भी जिक्र किया। “हमारा क्षेत्र विकास की गतिविधायों से कोसों दूर था किन्तु परियोजना के आने से हमारे आदिवासी बहुल क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों की शुरआत हुई और हमें अपने जीवन स्तर में सुधार करने का अवसर मिला,” ग्रामीणों में अपने पत्र में लिखा।क्षेत्र में हुई आर्थिक उन्नति का हवाला देते हुए उन्होंने आगे बताया, “परियोजना के आने से यहाँ हज़ारों लोगों को रोजगार मिला| हमारे बच्चों को यहाँ अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने का मौका मिल रहा है। हमारे क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं उपलब्धता बढ़ी है और हमारे क्षेत्रवासी विकास की मुख्य धारा में जुड़ पा रहे हैं।”
बाकी गांव के लोगों ने भी गाँधी को लिखे अपने पत्रों में कहा की इलाके में गैर कानूनी तरीके से चल रहे NGOs पर प्रतिबन्ध लगे ताकि खनन का कार्य निर्बाध और सुचारु रूप से चल सके।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में भारत सरकार द्वारा अन्य राज्य जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, आँध्रप्रदेश, राजस्थान इत्यादि को कोल् ब्लॉक आवंटित किये गए हैं। जिसमें राजस्थान सरकार के 4400 मेगावॉट के ताप विद्युत उत्पादन संयंत्रों के लिए सरगुजा जिले में तीन कोयला ब्लॉक परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी), परसा और केते एक्सटेंशन आवंटित किया गया है।
इन तीन में से अभी फिलहाल पीईकेबी में ही कोयला खनन का कार्य चल रहा है। जबकि शेष दो की अनुमति राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में पिछले तीन सालों से अटकी हुई थी। इसके चलते परसा कोल ब्लॉक के अनुमोदन की त्वरित प्रक्रिया हेतु महीने भर पहले हजारों ग्रामीणों द्वारा एक आंदोलन भी किया गया था। इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत अपने उच्चाधिकारियों के साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर अपने राज्य में चल रही कोयले और बिजली की किल्लत का हल निकालने के लिए भी आये थे। श्री बघेल ने उनको भरोसा दिलाया था की वे राजस्थान को नियमानुसार हर तरह की सहायता प्रदान करेंगे। उसके बाद परसा के स्थानीय लोग को आशा जगी थी की क्षेत्र में खदान खुलने से उन्हें रोजगार मिलना शुरू हो जाएगा।
खनन कार्य के लिए अपनी स्वीकृति देते हुए इन सात गांवों के निवासियों ने पहले अपनी जमीनें सरकार को दे दी थी नियमानुसार उन्हें मुआवजे की राशि के साथ-साथ परियोजना में नौकरी भी मिलनी थी, किन्तु कार्य शुरू ना हो पाने की वजह से अब उन्हें दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ जीवनयापन के लिए उन्हें मुआवजे की राशि को खर्च करना पड़ रहा है, वहीँ दूसरी तरफ वो आर्थिक विकास के अभाव में उन्हें किसी और प्रकार का रोजगार भी नहीं मिल रहा है।
ग्रामीणों ने अपनी चिट्ठियों में गाँधी को यह भी कहा की छत्तीसगढ़ और राजस्थान दोनों ही कांग्रेस-शाषित राज्य हैं, अतः, “आपसे विनती है की छत्तीसगढ़ शासन को हमारे क्षेत्र में विकास-विरोधी गतिविधि चलाने वाले बाहरी लोगों को प्रतिबंधित करने के लिए आवश्यक निर्देश देने की कृपा करे।