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बलरामपुर: नागरिकों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने एवं सामूहिक रूप से अपने गांव व क्षेत्र को स्वच्छ रखने जिल में ‘‘स्वच्छता ही सेवा’’ अभियान चलाया जा रहा है। इस वर्ष स्वच्छ भारत मिशन की 10वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। जिसके उपलक्ष्य में 02 अक्टूबर 2024 तक ‘‘स्वभाव स्वच्छता-संस्कार स्वच्छता’’ की थीम पर स्वच्छता ही सेवा अभियान मनाया जा रहा है। स्वच्छता ही सेवा अभियान का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए अपने आस-पास के क्षेत्र को स्वच्छ रखते हुए  कचरा का उचित प्रबंधन करना है।
इसी कड़ी में जिला मुख्यालय पुलिस ग्राउंड में जिला स्तरीय ‘‘स्वच्छता ही सेवा’’ कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य  कृष्णा गुप्ता, जनपद अध्यक्ष  विनय पैंकरा, उपाध्यक्ष  भानुप्रकाश दीक्षित अन्य जनप्रतिनिधि गण, कलेक्टर रिमिजियुस एक्का एवं जिला पंचायत सीईओ रेना जमील शामिल हुए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीणजन, समूह की महिलाएं, अधिकारी-कर्मचारी, मीडिया प्रतिनिधि मौजूद रहे। इस दौरान प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों, स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने रस्सा-कस्सी, कब्बड्डी प्रतियोगिता में दमखम दिखाया। इस प्रतियोगिता में बड़ी संख्या में महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। कार्यक्रम में ग्रामीणों ने स्थानीय परंपरा को जीवंत रखते हुए शैला एवं करमा नृत्य कर स्वच्छता का संदेश दिया। साथ ही उपस्थित आमनागरिकों को स्वच्छता के प्रति संकल्प भी दिलाया गया।

स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम में उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने स्वच्छता के संबंध में अपने-अपने विचार भी व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि जिस तरह हम अपने घर को स्वच्छ रखते हैं वैसे ही हमारे आस-पास के गली मोहल्ले, गांव, शहर को भी साफ-सफाई रखने की जरूरत है। घरों से निकले कचरे को सूखा और गीला कचरा अलग-अलग करके निकालना और स्वच्छता के लिए कचरों का प्रबंधन, अच्छी तरह से करना आवश्यक है। जिससे विभिन्न बीमारियों से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि बाजार या अन्य जगहों पर खरीदी के लिए जायें तो कपड़े के थैले को उपयोग में लाने की बात कही। उन्होंने बताया कि अन्यत्र जगह पर प्लास्टिक की थैलियां रहने पर पशु अपना चारा समझ सेवन कर लेते हैं और उन्हें गंभीर बीमारियां हो जाती है, कई बार ऐसी परिस्थितियां हो जाती है कि पशुओं को बचा पाना संभव नही हो पाता। ऐसी समस्याओं से बचाव के लिए हमें कपड़े के थैलियों को ही उपयोग में लाना चाहिए। जिससे हम पशुओं के जीवन सुरक्षित करने के साथ अपना बेहतर भविष्य बना पाएंगे। साथ ही व्यक्तिगत शौचालय, समुदायिक शौचालय का निरंतर उपयोग करने एवं साफ-सफाई करने, घरों का कचरा संग्रहण करने तथा चौंक-चौराहों को स्वच्छ रखने हेतु जागरूकता लाने का प्रयास किया गया। कार्यक्रम में सभी को साथ मिलकर अपने क्षेत्र को स्वच्छ रखने का प्रयास करने के साथ ग्रामीणों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। जिससे आस-पास का वातावरण स्वच्छ और साफ-सुथरा रहे।

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