बलरामपुर: गर्म पानी के कुंड और सांस्कृतिक धरोहर से समृद्ध तातापानी में मकर संक्रांति पर लगने वाले ऐतिहासिक तातापानी महोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं।

बलरामपुर-रामानुजगंज जिले का यह महोत्सव न केवल स्थानीय लोगों के लिए आस्था और उत्सव का प्रतीक है, बल्कि पड़ोसी राज्यों झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। तातापानी महोत्सव छत्तीसगढ़ मे साल का पहला बड़ा उत्सव के रूप में अपनी पहचान बना चुका है, जो न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी राज्य की समृद्ध धरोहर को प्रदर्शित करता है। इसके अलावा यहां महोत्सव के दौरान विभागीय स्टॉलों के माध्यम से सरकारी योजनाओं की जानकारी, स्थानीय हस्तशिल्प, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पारंपरिक खानपान का अनूठा अनुभव मिलता है। जिला प्रशासन इसे भव्य बनाने के लिए तैयारियों में जुटा हुआ है।

प्राचीन आस्थाओं से लेकर समृद्ध उत्सव तक की यात्रा

तातापानी अपनी प्राकृतिक गर्म पानी के कुण्ड के लिए प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है। इन कुंडों में सल्फर पाई जाती है, जो इन्हें औषधीय गुण प्रदान करती है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इन कुंडों से निकलने वाला गर्म जल न केवल शारीरिक रोगों से मुक्ति दिलाते हैं, बल्कि आत्मिक शांति का अनुभव भी कराते हैं। ऐतिहासिक रूप से तातापानी का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों और लोक कथाओं में भी मिलता है, जहां इसे स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक ऊर्जा के केंद्र के रूप में माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान राम को अपने वनवास के दौरान रघुकुल के आदेश से वनवास पर जाना पड़ा, तो उन्होंने तातापानी में कुछ समय बिताया था। यही कारण है कि तातापानी का धार्मिक महत्व और भी गहरा हो गया, और इसे एक पवित्र स्थान के रूप में पूजा जाता है। इसके अलावा मकर संक्रांति हिंदू पंचांग का पहला बड़ा पर्व है स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार तातापानी मेले की शुरुआत लगभग सौ वर्ष पूर्व हुई थी, जब स्थानीय ग्रामीण और श्रद्धालु मकर संक्रांति के दिन तातापानी के गर्म कुंडों में स्नान के लिए जुटते थे। समय के साथ यह धार्मिक परंपरा एक भव्य सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव में परिवर्तित हो गई।

स्थानीय किसानों, व्यापारियों और कलाकारों के लिए अवसर

तातापानी महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की संास्कृतिक विविधता का एक जीवंत मंच भी है। मेले में विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा हितग्राही योजनाओं पर आधारित स्टॉल लगाए जाते हैं, जहां स्थानीय लोगों को योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है और उन्हें लाभ प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त, मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम, हस्तशिल्प प्रदर्शनी, और स्थानीय व्यंजन विशेष आकर्षण का केन्द्र होता है। बच्चों और युवाओं के लिए खेलकूद, झूले, और मनोरंजन की भरपूर व्यवस्था होती है, जो इसे हर आयु वर्ग के लिए एक अनोखा अनुभव बनाती है। मकर संक्रांति, जो फसल कटाई का प्रतीक है, तातापानी मेले के माध्यम से इस कृषि उत्सव का प्रतीक बन जाता है। यह समय किसानों के लिए नई शुरुआत का होता है, और इस मेले से उनके जीवन में उल्लास और खुशी का संचार होता है। इसके साथ ही, यह मेला स्थानीय व्यापारियों, शिल्पकारों, और कलाकारों को अपने उत्पादों और कौशल को प्रदर्शित करने का बेहतरीन अवसर भी प्रदान करता है।

आस्था और संस्कृति का जीवंत उत्सव

तातापानी मेला छत्तीसगढ़ में साल की पहली बड़ी पर्यटक गतिविधि के रूप में भी पहचाना जाता है। यह आयोजन न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है, बल्कि अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं। राज्य सरकार द्वारा इसे एक व्यवस्थित और भव्य आयोजन के रूप में मनाया जाता है, जहां सुरक्षा, स्वच्छता, पेयजल व्यवस्था, और आवागमन जैसी सुविधाओं का खास ख्याल रखा जाता है। तातापानी महोत्सव जिले की परंपरा, धर्म और संस्कृति का प्रतीक है। यह मेला साल की शुरुआत में ही राज्य की समृद्ध विरासत का परिचय कराता है और जनमानस को एकजुट करता है। इस मेले के माध्यम से तातापानी ने अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को मजबूत किया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि तातापानी मेला जिले का गौरव और पहचान बन चुका है, जो न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि राज्य की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में भी अहम योगदान देता है।

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