शाला में अतिरिक्त शिक्षक पदस्थ करने वाले अधिकारियों पर हो कार्यवाही
शाला के सेटअप से कम पद युक्तियुकरण में क्यो
अंबिकापुर।छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक संजय शर्मा ने कहा है कि युक्तियुक्तकरण की दोषपूर्ण नीति से शिक्षा विभाग में शिक्षा की गुणवत्ता गिरेगी, अतिशेष शिक्षकों के समायोजन की सोच शिक्षा विभाग की सही है लेकिन शिक्षा विभाग इस बात का जवाब दें कि शाला के सेटअप हेतु निर्धारित पद के अतिरिक्त पोस्टिंग करने वाले अधिकारी कौन है, अधिकारियों ने गलती क्यों किया, क्या ऐसे अधिकारियों को चिन्हांकित कर कार्यवाही किया जाएगा, जिन्होंने शाला विशेष में पद रिक्त नहीं होने के बाद भी पदोन्नति या ट्रांसफर में ज्यादा संख्या में शिक्षकों को पदस्थ किया।
किसी भी शाला में सेवारत शिक्षकों का कोई दोष नहीं है क्योंकि उनकी पदस्थापना शिक्षा विभाग के अधिकारियों के द्वारा ही किया गया है सेटअप के विपरीत युक्तियुक्तकरण का नियम शिक्षकों को स्वीकार नहीं है, सेटअप शिक्षा विभाग के शालाओं में पद का मूल आधार है अतः 2008 को जारी सेटअप का समुचित क्रियान्वयन हो, युक्तियुक्तकरण के दोषपूर्ण व विसंगतिपूर्ण बिंदुओं को शिक्षा विभाग अलग करें, इसके बाद शिक्षकों की व्यवस्थापन के विषय में सोंचे और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिर किन अधिकारियों के द्वारा अतिरिक्त संख्या में शिक्षकों की पद स्थापना शालाओं में की गई ऐसे अधिकारियों की जिम्मेदारी तय किया जाये।
शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रदेश सह संयोजक हृषिकेश उपाध्याय ने मुख्यमंत्री से अपील किया है कि दोषपूर्ण युक्तियुकरण नीति पर पुनर्विचार करें, अभी सभी शिक्षक अपने वृद्ध माता – पिता व बच्चो का व्यवस्था कर सेवा दे रहे है, बीच सत्र में उनके स्थान परिवर्तन से पूरा परिवार प्रभावित होगा, अव्यवहारिक नीति के विरोध में पूरे प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय सुकमा, दंतेवाड़ा से बलरामपुर, सूरजपुर में भी भारी संख्या में शिक्षकों ने उपस्थिति देकर विसंगतिपूर्ण, दोषपूर्ण युक्ति युक्तकरण नियम का जबरदस्त विरोध किया है।
शिक्षक संघर्ष मोर्चा बलरामपुर के जिला संयोजक पवन सिंह ने स्पष्ट किया है कि आने वाले दिनों में इस विषय को माननीय मंत्री, सांसद, विधायक और समस्त जनप्रतिनिधियों के बीच रखते हुए उन्हें तथ्यों से अवगत कराया जाएगा और निवेदन किया जाएगा कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही किया जावे और सेटअप का शालाओ में पालन किया जाये। शालाओ के सेटअप में पदस्थ शिक्षकों का किसी भी प्रकार से दोष नहीं है, जिन शालाओं में शिक्षकों की संख्या कम है ऐसे शालाओं की पूरे प्रदेश भर में गणना किया जावे और नवीन टेट, डीएड, बीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों के लिए रोजगार का अवसर खोलते हुए शिक्षक पद पर भर्ती प्रारंभ किया जाये। नीति में सबसे बड़ी विसंगति तो यही है कि प्रत्येक शाला में एक-एक पद न्यूनतम छात्र संख्या पर कम किया गया है साथ ही एक ही परिसर के शालाओं को सम्बद्ध करने कहा गया है, इससे शाला का प्रबंध कमजोर होगा और इस नियम के तहत सम्बद्ध शालाओ के प्रधान पाठक पद को खत्म किया जा रहा है, इससे शिक्षकों की पदोन्नति नही होगी। निम्न ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम बलरामपुर जिले के कलेक्टर व जिला शिक्षा अधिकारी को दिया गया।
युक्तियुक्तकरण?
01. प्राचार्य, व्याख्याता, शिक्षक, प्रधानपाठक (प्राथमिक/पूर्व माध्यमिक) के पदों पर पहले पदोन्नति किया जाये।
02. 2008 के सेटअप में मिडिल स्कूल में न्यूनतम छात्र संख्या पर एक प्रधान पाठक एवं चार शिक्षक पदस्थ करने का नियम बनाया गया था, और इसी के आधार पर भर्ती व पदोन्नति विभाग द्वारा की गई है, एक पद घटाने से एक शिक्षक तो स्वमेव अतिशेष हो जाएंगे यह नियम व्यवहारिक नही है,तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उलंघन है, अतः 2 अगस्त 2024 के युक्तियुक्तकरण नियम में न्यूनतम विद्यार्थी संख्या पर भी एक प्रधान पाठक एवं चार शिक्षक का सेटअप स्वीकृत किया जाये।
03. 2008 के सेटअप में प्राथमिक शाला में न्यूनतम छात्र संख्या पर एक प्रधान पाठक व दो सहायक शिक्षक का पद स्वीकृत किया गया था, वर्तमान में एक पद कम कर दिया गया है यह व्यवहारिक नही है, तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उलंघन है, अतः 2 अगस्त 2024 के युक्तियुक्तकरण नियम में न्यूनतम विद्यार्थी संख्या पर एक प्रधान पाठक एवं दो सहायक शिक्षक का सेटअप स्वीकृत किया जाये।
04. प्रधान पाठक का पद समाप्त करने वाला इस युक्तियुक्तकरण नियम से सहायक शिक्षक व शिक्षक की पदोन्नति 50% तक कम होगी, इससे शिक्षकों के पदोन्नति के अवसर कम होंगे जो पूर्णतः अनुचित है।
05. प्रत्येक प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शाला का स्वतंत्र अस्तित्व हो जिसके नियंत्रण व शिक्षण व्यवस्था के लिए स्वतंत्र प्रधान पाठक जरूरी है, इससे सहायक शिक्षक व शिक्षकों को पदोन्नति भी मिलेगी।
06. बालवाड़ी संचालित स्कूलों में बालवाड़ी 1 व प्राथमिक 5 कुल 6 कक्षा के संचालन हेतु न्यूनतम संख्या में भी 1 अतिरिक्त सहायक शिक्षक दिया जाये।
07. 2 अगस्त 2024 को जारी युक्तियुक्तकरण नियम से शाला में पदों की संख्या कम किया गया है इससे नई भर्ती नही होने से प्रशिक्षित बेरोजगारों के साथ भी अन्याय होगा।
08. स्वामी आत्मानंद शालाओ में प्रतिनियुक्ति के शिक्षकों व शालाओ पर नियम की प्रभावशीलता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है।
09. युक्तियुक्तकारण से उच्चतर विद्यालय में काम का बोझ बढ़ जाएगा जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन सही तरीके से नही हो पायेगा। इस पूरी प्रकिया में समय, शासकीय सम्पत्तियो (रिक्त भवन जो खंडहर हो सकता है) एवं छात्रों के भविष्य पर कुठाराघात होगा।
10. एक ही परिसर में उच्चत्तर शाला में निचले शाला को मर्ज करना स्वतंत्र शाला के नियंत्रण व शिक्षण व्यवस्था पर विपरीत असर डालेगा।
11. प्राथमिक शाला व माध्यमिक शाला में न्यूनतम शिक्षक संख्या घटाया गया है इससे इन शालाओ के शिक्षण स्तर में गिरावट आएगा।
12. बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों में संचालित पोटा कैबिन में विभागीय सेट-अप स्वीकृत किया जावे।
13. युक्तियुक्तकारण की संपूर्ण प्रक्रिया सार्वजनिक की जावे तथा दावा आपत्ति करने व उसके निराकरण का समुचित अवसर प्रदान किया जावे।
14. स्कूल शिक्षा विभाग भविष्य में भी शिक्षा व्यवस्था से जुड़े मामलों में एकतरफा आदेश निर्देश जारी करने से पहले कर्मचारी संगठनों से चर्चा कर सर्वसम्मत व प्रभावी कदम उठाए।
ऑनलाइन अवकाश?
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा एजुपोर्टल में ऑनलाइन अवकाश के सम्बंध में नियम बनाया गया है वह विसंगतिपूर्ण है, जिसमें निम्नानुसार सुधार किया जाये।
01. मेडिकल अवकाश, अर्जित अवकाश, संतान पालन अवकाश लेने के एक सप्ताह के अंदर एजुपोर्टल में ऑनलाइन एंट्री का ऑप्शन दिया जाये।
02. C L व O L अवकाश को ऑफ लाइन आवेदन देने की प्रक्रिया को यथावत रखा जाये।
शिक्षक एल बी संवर्ग का एक सूत्रीय मांग?
पूर्व सेवा की गणना कर प्रथम नियुक्ति तिथि से सही वेतन का निर्धारण कर, सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर कर, क्रमोन्नत वेतनमान का निर्धारण कर, पुरानी पेंशन निर्धारित करे एवं कुल 20 वर्ष की पूर्ण सेवा में पुरानी पेंशन प्रदान किया जाये।