अंबिकापुर: मां कुदरगढ़ी एल्यूमिना प्लांट स्थापित करने जमीन सीमांकन के लिए शनिवार क़ो सुबह 6 बजे पहुंचे अफसरों व कर्मचारियों क़ो ग्रामीणों ने खदेड दिया। इसके बाद तनाव की स्थिति बनी रही और इसके बाद गांव में बेरीकेट्स लगा दिया गया। यहां तनाव क़ो देख कलेक्टर और एसपी क़ो खुद मौके पर जाना पड़ा लेकिन ग्रामीण भी किसी भी हाल में प्लांट नहीं खोलने देने की बात करते रहे।
चिरगा में सुबह 6 बजे से ही सभी बड़े राजस्व और पुलिस के अधिकारी बतौली पहुंच चुके थे। इसके बाद मां कुदरगढ़ी एल्युमिना प्लांट स्थल का सीमांकन के लिए 7 बजे ग्राम चिरगा में अफसर लोगों का मूड जानने गए लेकिन ग्राम वासियों ने पुलिस वालों को वहां से खदेड़ दिया। तब एएसपी विवेक शुक्ला के नेतृत्व में अंबिकापुर एसडीओपी, सीतापुर एसडीओपी के साथ सभी बड़े अधिकारी बतौली थाना में थे वही कलेक्टर सरगुजा कुंदन कुमार, अपर कलेक्टर अमृत लाल ध्रुव, डिप्टी कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर शिवानी, एसडीएम सीतापुर रवि राही, एसडीएम अंबिकापुर के साथ 10 तहसीलदार और नायाब तहसीलदार, 80 पटवारी, 30 राजस्व निरीक्षक और 200 कोटवार-चौकीदार सुबह ही बतौली थाना में पहुंच गए थे। दोपहर बाद 1 बजे कलेक्टर सरगुजा और पुलिस अधीक्षक सरगुजा ग्राम चिरगा में पहुंचे। तब 10 गांव के करीब 4000 ग्रामीण 10 से 15 स्थानों पर चार पांच सौ की संख्या में पूरे क्षेत्र को घेरे रखे। यहां आने वाले किसी भी अधिकारी-कर्मचारी व अनजान व्यक्तियों को धरनानास्थल, आंदोलन स्थल से आने से रोकते रहे। यहां चिरंगा, मांजा, लैगू, करदना, कालीपुर, झरगंवा, उमापुर, पोकसरी, सेदम, सरस्वतीपुर गांव के सैकड़ों ग्रामीण पारंपरिक हथियारों टांगा, तब्बल, तीर-धनुष, गैंती, फ़ावड़ा, गुलेल, लाठी-डंडा से लैस थे।
पूर्व विधायक प्रोफेसर गोपाल राम भी दो दिनों से आंदोलनकारी ग्राम वासियों के साथ हैं। हजार की संख्या में पुलिस बल तैनात की गई है। सभी दंगा रोधी उपकरणों से लैस है। ग्रामीणों का कहना है कि इस जमीन का उपयोग खेती बाड़ी के लिए कर रहे हैं। यहां फैक्ट्री लगाकर कब्जा नहीं करने देंगे। मां कुदरगढ़ी एलुमिना फैक्ट्री के लिए आवंटित 227 एकड़ भूमि को सीमांकन के लिए पुलिस और राजस्व प्रशासन पिछले 1 सप्ताह से प्रयास कर रही है।
पुलिस ने चिरगा ग्राम पंचायत की ओर जाने वाली सभी मार्गों पर बेरिकेड्स लगा दिए थे। वहीं आंदोलनकारियों में 70 प्रतिशत से ज्यादा महिला आंदोलनकारी हैं जो छोटे-छोटे बच्चों को साथ लेकर आए हुए हैं। आंदोलनकारी अपने घर से लाए हुए भोजन धरना स्थल पर करते हैं और वहीं पर दिन और रात पहरेदारी में लगे हुए हैं। आंदोलनकारी 300-400 की संख्या में लगभग 2 किलोमीटर के एरिया को घेरे हुए हैं। जिनकी संख्या 3 से 4 हजार है।
कलेक्टर सरगुजा कुंदन कुमार और पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता ने एक घंटा तक आंदोलनकारी ग्राम वासियों को समझाने पुलिस ने एक बड़े साउंड सिस्टम का उपयोग किया। कलेक्टर कुंदन कुमार ने आंदोलनकारी ग्रामीणों को कहा, फैक्ट्री लगने से क्षेत्र में सड़क, नाली, बिजली, स्कूल, अस्पताल और अन्य कई विकासात्मक कार्य किए जाएंगे। आप लोग हमारे नए प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए उन पर हस्ताक्षर कीजिए। ग्राम वासियों ने इसका विरोध किया और माहौल खराब हो गया। ग्रामीणों ने कलेक्टर से कहा कि हमें आपके द्वारा बताई गई सड़क,बिजली, पानी,अस्पताल और अन्य विकास कार्य नहीं चाहिए। फैक्ट्री भी नहीं चाहिए। ग्रामीणों के आंदोलन और अचानक उग्र रूप धारण करते हुए देख प्रशासन की टीम वापस आ गई।
एसपी भावना गुप्ता ने बताया कि चिरगा प्रस्तावित जमीन के पास 90 लोगों की जमीन है, जिसका सीमांचल करने गए थे लेकिन ग्रामीण प्लांट का विरोध करने लगे। लोग लाठी डंडे से लैस थे, वहीं कुछ लोग उन्हें बरगला रहें हैं उनसे सीधी बात करने गए थे। अब उन्होंने आश्वासन दिया है कि वे गांव में होने वाले किसी शिविर का विरोध नहीं करेंगे।
कलेक्टर कुंदन कुमार ने बताया कि चिरगा में अफसर सीमांकन के लिए गए थे लेकिन लोग विरोध में लाठी डंडा से लैस होकर विरोध करने लगे। वे 2019 से प्लांट का विरोध कर रहें हैं और हाई कोर्ट भी गए हैं। हमने उन्हें आश्वत किया कि हम सरकार के प्रतिनिधि हैं किसी कंपनी के नहीं। विकास कार्यों के लिए शिविर आयोजित कराये जा रहें हैं।