कोरबा। रसोई की शान कही जाने वाली टमाटर की कीमत 100 रूपये किलो पहुंच गई है। ऊंचे दाम पर बिक्री से आम लोगों की बजट से बाहर हो गया है। मानसून आगम से पहले बाड़ियों में नए फसल की तैयारी की जा रही है। लोकल की सब्जियों के आवक कम होने से यह स्थिति निर्मित हुई है। हरी सब्जियों के दाम बढ़ने रसोई की स्वाद इन दिनों फीकी पड़ गई।
बाजार में हरी सब्जियों की बढ़ी कीमत ने गृहणियाें के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है। सप्ताह भर पहले 50 रूपये किलो बिक रहा टमाटर अब 100 रूपये पहुंच गया है। बताना होगा कि सब्जियों के उत्पाद में जिला अभी भी आत्मनिर्भर नहीं हुआ हैं। टमाटर के अलावा भिंडी, बैगन, करेला जैसी सब्जियों के लिए जिले का बाजार अब भी दीगर जिले या राज्य से आने वाली सब्जियाें पर निर्भर है। जनवरी से लेकर अप्रैल माह तक 10 से 30 रूपये किलो बिकने वाले टमाटर के दाम में वृद्धि हैरानी कर देने वाली है। किसानों को तकनीकी खेती के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण वर्षा काल में टमाटर जैसी सब्जी का दाम नहीं मिलता हैं। बताना होगा कि वर्षा काल शुरू होने से पहले किसानों ने बाड़ी में नए फसल लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। नए सिरे से हो रही बोआई के बाद फसल लगने में दो से तीन माह का समय लगेगा। तब तक बाजार में हरी सब्जियों की महंगाई बनी रहेगी। वर्तमान शहर में टमाटर की आपूर्ति दुर्ग जिले के बेरला, धमधा व बेमेतरा से हो रहा है। पंडरीपानी निवासी सब्जी विक्रेता छोटेलाल पटेल का कहना है मिट्टी में अंतर होने कारण गर्मी में टमाटर की उपज नहीं होती। बलुबा मिट्टी होने के कारण पानी ज्यादा समय तक नहीं ठहरता। नमी के अभाव में फसल तैयार करने में कठिनाई होती हैं। जुलाई माह बेंगलुरू से टमाटर की आवक होने होने के बाद ही लोगों को कीमत में राहत मिलेगी।
बिचौलियों की वजह से बढ़ रहा दाम
शहर बाजारों में थोक सब्जी की आपूर्ति के लिए व्यवसायिक खेती करने वाले कोरबा निवासी सुरेश कुमार निर्मलकर का कहना है कि बिचौलियों की वजह से सब्जियों के दाम में वृद्धि हो रही है। प्रशासन को इसके नियंत्रण के लिए उपाय करना चाहिए है। हम किसान हैं उपज लागत के साथ 10 से 20 प्रतिशत लाभ लेकर फसल की बिक्री करते हैं। बिचौलिया उसी सामान को 30 से 40 प्रतिशत लाभ लेकर बिक्री करते हैं। जिसका खामियाजा आम उपभोक्ताओं भुगतना पड़ता है।
अरहर दाल बिक रहा 180 रूपये किलो
बहरहाल हरी सब्जियों के दाम बढ़ने से पहले ही दलहन में मसूर, अरहर, मटर के दाम पहले से 120 से 180 रूपये किलो पहुंच चुके हैं। अभी मानसून की शुरूआत नहीं हुई है। बहरहाल वर्षा काल के दौरान गृहणियों महंगी सब्जी से सही काम चलाना होगा। सब्जी के बढ़े दाम की वजह से घरों सूखे मौसम में बनाए गए बड़ी, बिजौड़ी, आचार, पापड़ आदि सामानों की खपत बढ़ गई है। जुलाई माह में बरबट्टी, तरोई, कुंदरू, करेला तैयार होने के बाद ही उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
होटल रेस्टोरेंट के सब्जी कटोरी में डंडी
सब्जी में आई महंगाई का असर घरेलू रसोई के साथ होटल, रेस्टोरेंट के व्यवसाय पर पड़ा हैं। हरी सब्जियाें की कीमत में हुई बढ़ोतरी की वजह थाली के भी दाम बढ़ गए हैं। कई हाेटल या भोजनालय संचालकों ने सब्जियों की मात्रा थाली से कम कर दी है। दोबारा सब्जी लेने पर अतिरिक्त कीमत देने की शर्त लगा दी गई है। सब्जी की मंहगाई देखते हुए रेस्टोरेंट में कढ़ी, सोयाबीन की बड़ी, आलू जैसे काम चलाऊ सब्जी से ग्राहकों को संतोष करना पड़ रहा है।