विजय प्रताप सिंह
सीतापुर।लोकसभा चुनाव के विगुल बज चुका लेकिन आदिवासी लोकसभा सीट सरगुजा के आदिवासियों का मुख्य मुद्दा जल, जंगल, जमीन का चुनावी मुद्दा गायब है कोई भी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर बात करना नही चाह रहे है, जो कि आदिवासियों कि समाजिक व संस्कृतिक धरोहर है जो दिन प्रतिदिन विलुप्त हो रही है, सरगुजा लोकसभा में आदिवासी समाज के लोग अपनी जल, जंगल एवं जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे है लेकिन कोई भी राजनीतिक दल जल, जंगल एवं जमीन बचाने को लेकर कोई चर्चा चुनावी सभाओं मे नही कर रहे है एक तरफ कारपोरेट जल, जंगल जमीन उजाड़ रहे है जो समाज एवं जंगल मे निवास करने लोगो कि चिंता बढ़ रही है जब जल, जंगल, जमीन कि रक्षा सता एवं विपक्ष में बैठे लोग नही कर पा रहे है तो कौन करेगा जो आदिवासी समाज एवं आमजन मानस के बीच चिंता का विषय है। एक तरफ जंगल उजड़ने मानव हाथी द्वंद बढ़ रहे, हाथी जंगलो को छोडकर रिहायसी बस्तियों के तरफ आ रहे है जिससे जनहानि भी हो रही है। मानव हाथी द्वंद रोकने का कोई सार्थक प्रयास भी नही दिख रही है। जंगल का कटाई होने से काभी हद तक गरमी बढ़ जा रही है और वर्षा भी कम हो रही है। इस तरह गंभीर विषय पर कोई कोई राजनीतिक दल चर्चा से परहेज है जो हमेशा के चुनाव में जल, जंगल व जमीन प्रमुख मुद्वा हुआ करता था।