बलरामपुर:जिले में भारत सरकार की पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा संचालित भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् द्वारा जिले में लाख की खेती को वैज्ञानिक तरीके से बढ़ावा देने के लिए किसानों को मुफ्त लाख बीज का वितरण किया जा रहा है, जो किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में सहायक सिद्ध होगा।ज़िले में रघुनाथनगर वन परिक्षेत्र अंतर्गत वनों के आसपास वाले गांवों में लाख की खेती को बढ़ावा देने के लिए व जैव विविधता संरक्षण एवं जीविकोपार्जन के उद्देश्य से किसानों को लाख की खेती से जोड़ने की कवायद शुरू की गई है। किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए उन्होने मुफ्त में लाख बीज का वितरण कर उसे लगाने की विधि के बारे में जानकारी दी जा रही है। जिससे किसान अब अपनी परंपरागत खेती से हो रहे मुनाफे से इतर लाख की खेती कर अपना आय बढ़ा सकेंगे। लाख की खेती के लिए पहले किसानों को प्रशिक्षण दिया गया था, जिसके बाद बीज वितरण कर उसे पलाश के पेड़ों में बांधकर लाख की खेती का तरीका बताया जा रहा है। लाख सूक्ष्म कीड़ों की सहायता से करीब 8 से 9 महीने में बनकर तैयार हो जाता है, जिसे बेचकर किसानों को आय होगी। भारतीय वानिकी अनुसंधान के सामाजिक सलाहकार ने बताया कि जिले में सात गांव से करीब 1257 किसानों का चयन लाख की खेती के लिए किया गया है, हमारे द्वारा सैंपल की गुणवत्ता जांच कर मुफ्त में लाख बीज के साथ-साथ उसकी खेती करने का तरीका भी किसानों को बताया जा रहा है। लाख की खेती को बढ़ावा देने व आजीविका संवर्धन के लिए वर्ल्ड बैंक से आर्थिक मदद मिली है और किसानों की आय में वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया है। रघुनाथनगर वनपरिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर ने बताया कि किसानों को लाख की खेती के लिए भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् द्वारा प्रशिक्षित कर उन्हें खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, फसल तैयार होने के बाद उसे वन विभाग द्वारा शासकीय दर पर खरीदी करने की कार्ययोजना बनाई जा रही है। जिससे लाख की खेती करने वाले किसानों को अपनी फसल को बेचने के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ेगा।

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