रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूली विद्यार्थियों को आत्महत्या करने से रोकने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने मास्टर प्लान तैयार किया है। स्कूलों में काउंसलर नियुक्त किए जाएंगे। छत्तीसगढ़ के 57 हजार स्कूलों में प्रत्येक स्कूल से दो शिक्षकों को काउंसलर के रूप में प्रशिक्षित करने की तैयारी है। इसके लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज इंडिया बैंगलुरु (निम्हान्स) की मदद से स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रशिक्षण माड्यूल तैयार किया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने इसके लिए मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षित कर दिया है। ये मास्टर ट्रेनर अब जिलों में मास्टर ट्रेनर तैयार करेंगे और फिर विकासखंड व संकुल स्तर शिक्षकों को काउंसलर के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा।

एससीईआरटी के अतिरिक्त संचालक डा. योगेश शिवहरे का कहना है कि विद्यार्थी तनाव में है, इसकी पहचान करना ही पहली चुनौती है। सामान्य तौर पर शिक्षक शिक्षण के लिए बहुत काम करते हैं मगर अब वह तनाव दूर करने के लिए प्राथमिक उपचार के तौर पर मनोचिकित्सक की भी भूमिका निभा सकेंगे। शिक्षक समय पर विद्यार्थियों के तनाव को समझ पाएंगे।

इसके बाद समय रहते काउंसिलिंग देकर आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने से पहले रोक सकेंगे। इसके अलावा बच्चों को नशे से मुक्ति भी दिला पाएंगे। प्राथमिक काउंसिल यदि शिक्षक कर पाएंगे तो स्कूल परिसर में ही समस्या का निदान हो सकता है। यदि समस्या गंभीर होगी तो फिर अभिभावकों को समझाकर बच्चे को किसी मनोचिकित्सक के पास भेज सकेंगे।

प्रदेश मे औसतन हर वर्ष 500 से अधिक स्कूली विद्यार्थियों की मौत आत्महत्या के चलते हो रही है। इनमें ज्यादातर बच्चों में परीक्षा को लेकर भय, परीक्षा में अधिक अंक पाने का दबाव, असफलता की पीड़ा और अधिक पढ़ाई का तनाव जिम्मेदार है। राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़े देखें तो पिछले साल हर दिन औसतन 31 बच्चों ने आत्महत्या की है।
नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 में 11396 स्कूली बच्चों ने आत्महत्या की, जो 2019-20 की तुलना में 18 प्रतिशत और 2018 की तुलना में 21 प्रतिशत ज्यादा है। 2019 में देश में 9,613 और 2018 में 9,413 में बच्चों ने आत्महत्या की है। गौरतलब है कि प्रदेश के प्राइमरी, मिडिल, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में लगभग 60 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।

केंद्र सरकार ने 15 मार्च 2023 को संसद में रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इसके अनुसार वर्ष 2018 से 2022 के बीच देश के आइआइटी, एनआइटी और आइआइएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में 55 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है। इनमें छत्तीसगढ़के छह विद्यार्थी शामिल हैं।

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डा. सुमी जैन ने कहा, स्कूली विद्यार्थियों के आत्महत्या की कई वजहें हो सकती हैं। विद्यार्थी परीक्षा में अनुकूल परिण्ााम न पाने से तनाव में चले जाते हैं। कुछ आत्महत्या जैसे घातक कदम उठाते हैं। शिक्षा का मकसद है कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का विकास कैसे किया जाए। इसके लिए उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ बनाना शिक्षक और अभिभावक दोनों की जिम्मेदारी है। ऐसे में स्कूलों में काउंसलर की नितांत आवश्यकता है।

एससीईआरटी के संचालक राजेश सिंह राणा ने कहा, विद्यार्थियों में आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। कोरोना काल के बाद विद्यार्थी अधिक तनाव में है इसलिए अब उन्हें काउंसिलिंग की जरूरत महसूस की जा रही है। हमने मास्टर ट्रेनर तैयार किया है जो विद्यार्थियों की काउंसिलिंग करेंगे।

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