सूरजपुर: मानवाधिकारों के संरक्षण में पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। पुलिस खुले मन से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए आमलोगों को उनके अधिकारों को दिलाने तत्परता से कार्य करती है। उक्त उद्गार पुलिस अधीक्षक सूरजपुर रामकृष्ण साहू के निर्देश एवं मार्गदर्शन में मानवाधिकार विषय पर आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने कही। जिसमें 8 पुलिसकर्मियों की दो टीमों ने भागीदारी करते हुए मानव अधिकारों के संरक्षण के पक्ष और विपक्ष में तर्क दिए। किसी ने इसे जरूरी बताया तो कोई इसके विरोध में बोला।

प्रतियोगिता में दो समूह बनाया गया। इस प्रतियोगिता में पक्ष की ओर से कहा गया कि पुलिस एक ऐसी व्यवस्था का अंग है जिसका सीधे जुड़ाव आमलोगों से होता है। कोई भी पीड़ित पक्ष सबसे पहले न्याय के लिए पुलिस के पास आता है। शुरुआती दौर में ही पीड़ित पक्ष के दर्द को समझ कर पुलिस के द्वारा सहयोगात्मक भाव से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाती है। ऐसा करने से आमजनों में पुलिस के प्रति जहां विश्वास बढता है वहीं पीड़ित पक्ष के अधिकारों की रक्षा भी हो जाती है। कईयों ने मानव अधिकारों के संरक्षण के पक्ष में अपनी राय रखते हुए मानव अधिकारों के संरक्षण के प्रति पुलिस के संवेदनशील होने पर जोर दिया।

वहीं विपक्ष में पुलिसकर्मियों ने कहा कि मानव अधिकारों के संरक्षण को अपराधियों पर अंकुश लगाने में बाधक बताया। उनका तर्क था कि मानव अधिकारों की आड़ में कई शातिर अपराधी बच जाते हैं। कई मामलों में अकारण ही मानवाधिकार की कार्यवाही का उदाहरण देते हुए इसे घातक बताया। अंत में निर्णायक की भूमिका निभा रहे डीएसपी मुख्यालय नंदिनी ठाकुर, निरीक्षक धर्मानंद शुक्ला व स्टेनो अखिलेश सिंह द्वारा पक्ष से एसआई नीलाम्बर मिश्रा एवं विपक्ष से आरक्षक हेमन्त यादव को विजेता घोषित किया। जिले के इन दोनों विजेताओं को इसी विषय पर भाग लेने के लिए रेंज स्तर पर भेजा जाएगा।

इस दौरान अग्रिमा मिश्रा, प्रधान आरक्षक रामनिवास तिवारी, मुकेश्वर वर्मा, आरक्षक हेमन्त यादव, अनिश तिवारी, सूरज गुप्ता, आलोक सिंह, सुन्दर श्याम सोनी, जीवन साहू, महिला आरक्षक प्रफुल्ला मिंज व रामप्यारी मौजूद रहे।

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