बलरामपुर: बलरामपुर–रामानुजगंज में बिहान परियोजना अतंर्गत महिलाओं की सशक्तिकरण का कार्य किया जा रहा है। इसके  लिए महिला कैडर तैयार किया गया है जो कि अपने ग्राम से उठकर छ0ग0 के अन्य जिलो में प्रोफेशनल रिसोर्स पर्सन के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं।  वर्ष 2012 में जिले में राष्ट्रोय ग्रामीण आजीविका मिशन की शुरूआत हुई। तब आंध्रप्रदेश के प्रशिक्षकों द्वारा बलरामपुर जनपद पंचायत में 3 वर्ष तक प्रशिक्षण देकर 125 मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए। साथ ही 12 लोगों को आंध्रप्रदेश भेजकर विशेष प्रशिक्षण किया गया। इनके द्वारा जिले के तीन जनपद पंचायतों में संकुल संगठन में नियोजित कर राज्य एवं जिला स्तर में प्रशिक्षण द्वारा 52 नए प्रोफेशनल रिसोर्स पर्सन(पी आर पी) तैयार किये गये जो अन्य 5 जिलो बिलासपुर, जशपुर, कोरिया, सरगुजा और जांजगीर चांपा में भी अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं।

वर्तमान में ये प्रोफेशनल रिसोर्स पर्सन 13200 की मासिक आय आर्जित कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहीं हैं । आज ये रिर्सोस पर्सन सुरजपुर एवं सरगुजा जैसे जिलों में भी अपनी  सेवाएं प्रदान कर रही हैं। वनांचल की आदिवासी महिलाओं के लिए यह गर्व की बात है कि आज वे विकास कार्यो में अपना योगदान दे रही हैं। ऐसे ही महिलाओ को एक समूह में जोड़ने के लिए आतंरिक सामुदायिक संसाधन व्यक्ति (ICRP) भी तैयार किये गये हैं जो कि गरीबी उन्मूलन हेतु  अपनी सेवाएं देते हैं।

दूरस्थ अंचलों के पहाडी कोरवा, बैगा ,पण्डो जनजाति की महिलाओं को संगठित करने एवं प्रशिक्षण देने का काम इन आई.सी.आर.पी द्वारा किया जाता है। इन जनजातीय  महिलाओं को समूह में जोड़कर बिहान परियोजना से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है एवं विभाग से जनजातीय संबंधी विशेष योजनाओ से लाभान्वित करवाने का कार्य किया जा रहा है।

बलरामपुर जिले में 9669 समूह गठन करने का श्रेय इन महिला कैडरों को ही जाता है। जो कि गृह जिलो के साथ अन्य जिलो में भी समूह गठन करने का कीर्तिमान रचा है। इन महिलाओ को इस कार्य के एवज में 400रू प्रतिदिन का मानदेय एवं वर्ष में अधिकतम 120 दिवस का कार्य दिया जाता है । जो कि 48000रू का मानदेय प्रति ICRP प्रति वर्ष होता है ।  वनांचल की महिलाएं परंपरा गत तौर पर कृषि एवं पशुपालन करती हैं इसलिए बिहान योजना के तहत ऐसी 125 महिलाओं को चिन्हाकित कर नेशनल रिसोर्स पर्सन द्वारा 45 दिवस का दो चरणो में प्रशिक्षण कराया गया है। जो अब पशु सखी और कृषी सखी के रूप में मास्टर ट्रेनर बन कर पिछले 3 वर्षो में 1.8 लाख महिला किसानों को किचन गार्डन, जैविक कृषि से जोड़ा है। पशु सखी जहां ग्राम में पशुपालक को आधारभूत बीमारियों के इलाज रखरखाव संबंधी जानकारी देती हैं एवं ग्राम स्तर पर पशुधन विकास विभाग से समन्वय कर पशुओं में बड़ी बीमारी होने पर उनका समाधान करवाते हैं। वहीं कृषि सखी  जैविक किसानी, एवं आधुनिक मशीन से कृषि करने का  प्रचार प्रसार करती हैं। ये महिलाओ का महिलाओं पर विश्वास की जीत ही तो है जो आधुनिक कृषि एवं पशुपालन के लिए अभिनव पहल को स्वीकारा है।

बिहान के संबंध में केरता मानिकपुर, बलरामपुर जनपद पंचायत निवासी पी.आर.पी बसंती रवि कहती हैं कि “मैं जनपद पंचायत राजपुर के परसागुडी संकुल संगठन में काम करते हुए अपने 2 बच्चो को अच्छी परवरिश दे रही हुं और मेरा जीवन समाजिक कार्य में दे रही हु । मुझे बिहान परियोजना से जुडकर एक पहचान, मान सम्मान मिला है जिससे मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस करती हुं।

Leave a reply

Please enter your name here
Please enter your comment!