अम्बिकापुर: उन्नत नस्ल के बछिया उत्पन्न करने पशु चिकित्सा विभाग द्वारा गायों में शुरू की गई कृत्रिम गर्भाधान में सेक्स शॉर्टेड सीमेन के उपयोग का सकारात्मक परिणाम मिलने लगा है। शहर के डीसी रोड निवासी एक पशु पालक के गाय में इस तकनीक का उपयोग किया गया था जिससे उनके यहां एक उन्नत और स्वस्थ बछिया का जन्म हुआ है।
कलेक्टर संजीव कुमार झा ने मवेशियों में नस्ल सुधार तथा दूध का उत्पादन बढ़ाने कृत्रिम गर्भाधान में सेक्स शार्टेड सीमेन के उपयोग को बढावा देने के निर्देश पशुपालन विभाग के अधिकारियों को दिए हैं। उनके निर्देशानुसार पशुपालन विभाग द्वारा जिले में सेक्स शॉर्टेड सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान का कार्य प्रारंभ किया गया है जिसका लाभ पशुपालकों को मिलने लगा है।
पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ सीके मिश्राने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान का उद्देश्य पशुओं के नस्ल में सुधार करना होता है। नस्ल परिवर्तन से पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ती है और पशुपालक को अधिक लाभ होता है जिससे उनकी आर्थिक स्तर में सुधार होता है। कृत्रिम गर्भाधान का कार्य विभाग पिछले कई सालों से करता रहा है। उन्होंने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान से पशुओं में जो बच्चे उत्पन्न होते हैं उसमें मादा और नर होने की संभावना 50-50 प्रतिशत होती है किन्तु अब जिले में नया सेक्स शॉर्टेड सीमेन का उपयोग किया जा रहा है इसमें मादा होने की संभावना 90 प्रतिशत तक होती है। सेक्स शार्टेड सीमेन से जिले में लगभग 300 कृत्रिम गर्भाधान का कार्य किया गया और 65 बछिया अभी तक प्राप्त हो चुके हैं। कलेक्टर के निर्देश पर ये सीमेन उत्तराखंड से मंगाया गया है ताकि जिले के किसानों को इस नई तकनीक से कृत्रिम गर्भाधान का लाभ मिल सके। जिले में सेक्स शॉर्टेड सीमेन 4 नस्ल के उपलब्ध है जिनमे गिर, साहीवाल, जर्सी और होलिस्टिन शामिल है।
आवारा मवेशियां की संख्या में आएगी कमी-
आजकल खेती में मशीनरी का उपयोग ज्यादा होने से किसान बछड़ां का उपयोग खेती किसानी में बहुत कम करते हैं। किसान इन बछड़ों को खुला छोड़ देते है जो सड़क में घूमते है और समस्या खड़ी करते हैं। इसके साथ ही इनके कारण सड़क दुर्घटना भी होती है। चूंकि सेक्स शॉर्टेड सीमेन के उपयोग से नर बच्चा पैदा होने की 90 प्रतिशत तक संभावना होती है जिससे मादा की संख्या बढ़ेगी और खुला छोड़ने की समस्या भी अत्यंत कम हो जाएगी ।