सूरजपुर: खरीफ सीजन 2022 में सूरजपुर जिले मे सहकारी समितियों के माध्यम से खाद भंडारण हेतु शासन से निर्धारित लक्ष्य डीएपी 3400 मे. टन एवं एनपीके 6800 मे. टन के विरूद्ध डीएपी ,एनपीके के न्यून आपूर्ति के कारण विगत दिवस मे बहुत कम मात्रा में आपूर्ति की जा सकी थी। जिस पर जिला प्रशासन द्वारा किसानों एवं सहकारी समितियों के माग अनुसार एनपीके, डीएपी के साथ अन्य वैकल्पिक उर्वरक की मांग मार्कफेड मुख्यालय एवं कृषि उत्पादन आयुक्त को प्रेषित की गई। जिसके फलस्वरूप संभाग के रैक प्वाईंट विश्रामपुर में सभी जिलों हेतु एनपीके एवं अन्य वैकल्पिक रासायनिक उर्वरकों के आपूर्ति आदेश प्राप्त हुए हैं।
मार्कफेड मुख्यालय अटलनगर नवा रायपुर से जारी आपूर्ति आदेश अनुसार सूरजपुर जिले हेतु एनपीके, इफ्को-500, कोरोमंडल लिमिटेड-500, आई.पी.एल-500 कुल 1500 मे.टन, डीएपी उर्वरक की उपलब्धता अनुसार इफ्को-150 मे.टन एवं आई.पी.एल. 700 मे.टन कुल 850 मे.टन, एवं अन्य वैकल्पिक उर्वरक सुपर फास्फेट दानेदार ओस्तवाल (अन्नदाता) 1270 मे. टन कुल उर्वरक 3620 मे.टन प्राप्ति हेतु कार्यक्रम प्रदाय किया गया है। रैक योजना अनुसार उक्त रासायनिक उर्वरकों में से सुपर फास्फेट (अन्नदाता) दानेदार उर्वरक 16 जुलाई 2022 को 1265 मे.टन प्राप्त हुआ है जिसे जिले के समस्त सहकारी समितियों को उनकी मांग अनुसार रैक प्वाईट विश्रामपुर से संबंधित कंपनी के परिवहन व्यय पर सीधे समितियों मे भंडारण कराया गया है जिसका नियमानुसार आर.ओ.,डी.डी. प्राप्त कर समितियों में किसानों को वितरण का कार्य किया जा रहा है।
17 जुलाई 2022 को इंडियन फार्मर फर्टिलाईजर (इफ्को) कंपनी द्वारा रैक प्वाईंट विश्रामपुर से विपणन संघ के गोदाम विश्रामपुर एवं प्रतापपुर में 149.9 मे.टन डीएपी एवं 527.90 मे.टन एनपीके ,उर्वरक की आपूर्ति की गई है। जिसका सहकारी समितियों को पूर्व में आपूर्ति एवं आवश्यकता का आकलन कर उनकी मांग अनुसार कुल 1358 मेट्रिक टन डीएपी एनपीके का जिला स्तर पर आपूर्ति कार्यक्रम तैयार कर भंडारण एवं वितरण का कार्य प्रारंभ हो चुका है।
जिला विपणन अधिकारी अजय ठाकुर ने बताया कि लक्ष्य के विरुद्ध विपणन संघ मुख्यालय से डीएपी एवं एनपीके के अतिरिक्त अन्य वैकल्पिक उर्वरकों की आपूर्ति कार्य योजना तैयार कर प्राप्त होने पर प्राथमिकता अनुसार समितियों में उर्वरकों का वितरण की जाएगी। साथ ही जिले में यूरिया उर्वरक का पर्याप्त संग्रहण उपलब्ध है जिसे समितियों के मांग अनुसार प्रदाय किया जा रहा है।